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खूंटी: कांची नदी पर तीन साल पहले बने पुल के टूटने की वजह, जानिए ग्रामीणों की जुबानी

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Published : May 28, 2021, 2:20 PM IST

Updated : May 28, 2021, 6:27 PM IST

बुंडू अनुमंडलीय क्षेत्र में कांची नदी पर बना पुल टूटकर गिर गया. बुंडू, तमाड़ और सोनाहातू 3 प्रखंडों की आम आवाम के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता था, लेकिन कांची नदी से पुल टूटने और यास तूफान के आने से पहले 25 मई तक लगातार बालू का उत्खनन जारी रहा.

Villagers say illegal mining is the reason for the fall of the bridge in khunti
ग्रामीणों ने बताया क्यों ढह गया पुल

खूंटी: लोकसभा क्षेत्र के तमाड़ प्रखंड क्षेत्र में लगभग 4 साल में 2 पुल टूटकर गिर गए. पहली तस्वीर 27 जुलाई 2017 की है, जबकि दूसरी घटना 27 मई 2021 की जब यास की चक्रवातीय तूफानी बारिश ने एक झटके में उच्चस्तरीय पुल की पोल खोलकर रख दी. 3 साल में 13 करोड़ की लागत से बुंडू अनुमंडलीय क्षेत्र में कांची नदी पर इस पुल का निर्माण किया गया था.

देखें पूरी रिपोर्ट

बुंडू, तमाड़ और सोनाहातू 3 प्रखंडों की आम आवाम के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता था, लेकिन कांची नदी में पुल टूटने और यास तूफान के आने से पहले 25 मई तक लगातार बालू का उत्खनन जारी रहा. स्थानीय लोगों के अनुसार कांची नदी क्षेत्र के तटीय इलाकों में हर दिन बालू का उत्खनन और बालू की ढुलाई होती है. एक तरफ ग्रामीण कहते हैं कि आज तक खनन पदाधिकारी कांची नदी पर छापेमारी के लिए नहीं आये. अगर कोई प्रशासनिक पदाधिकारी यहां पहुंचता है, तो बालू खनन करने वाले माफिया को पहले ही सूचना मिल जाती है.

ये भी पढ़ेंः यास तो बहाना है...! कांची नदी पर बना बूढ़ाडीह पुल ध्वस्त, बालू के अवैध परिवहन की चढ़ा भेंट

क्या प्रशासन की शह पर होता है खनन

अब सवाल आता है कि बगैर पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से बालू का खनन और बालू की सप्लाई रांची, टाटा समेत अन्य इलाकों में कैसे की जाती है? क्या बालू खनन से लेकर बालू डंपिंग और बालू की सप्लाई तक में कहीं कुछ अवैध नहीं है. शायद सब वैध है, इसलिए आज तक न एसडीओ स्तर से न डीएसपी से शिकायत रांची मुख्यालय पहुंची. सब कुछ सामान्य प्रक्रिया से होता रहा और आम जनता देखती रही कि यहां हर दिन 50-60 ट्रैक्टर आखिर किस सिस्टम के हैं, जिन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है.


पुल निर्माण में बरती गई लापरवाही

अब जब 50-60 ट्रैक्टर को कोई रोकने टोकने वाला नहीं था तो महज 3 दिन में यास चक्रवातीय तूफान ने कैसे रेत पर बने सीमेंट कॉन्क्रीट और मोटी मोटी छड़ों से निर्मित उच्चस्तरीय पुल को ध्वस्त कर दिया. स्थानीय लोगों की मानें तो पुल निर्माण में घोर अनियमितता बरती गयी, जिसकी वजह से ये बनने के बाद दूसरे ही साल ध्वस्त हो गया. वहीं, पुल ध्वस्त होने का सबसे बड़ा कारण स्थानीय लोग बालू तस्करों की ओर से कांची नदी पुल के आसपास जेसीबी लगाकर बालू के खनन को मानते हैं. प्रतिदिन यहां 50 -60 ट्रैक्टर बालू की ढुलाई की जाती है.

विधायक विकास मुंडा ने की जांच की मांग

वहीं, स्थानीय विधायक विकास मुंडा पुल टूटने की खबर पर घटनास्थल पहुंचे और पुल का मुआयना किया. विधायक ने भी मांग की है कि इससे पहले भी एक और उच्चस्तरीय पुल ध्वस्त हुआ है और दोनों पुल का कंस्ट्रक्शन एक ही कंपनी ने किया है. यास तूफान और बारिश तो एक बहाना बन गया. आखिर उच्चस्तरीय पुल महज तीन साल में गिर गया यह जांच का विषय है. आखिर दोषी कौन है? विभाग और संवेदक दोनों पर उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.

सीएम ने दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा है कि 'इस मामले में मैंने उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे दिया हैं. मेरे सेवाकाल में भ्रष्टाचार और जनता के पैसों की लूट किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

Villagers say illegal mining is the reason for the fall of the bridge in khunti
सीएम हेमंत का ट्वीट

रांची उपायुक्त करेंगे रोड डिवीजन कंपनी से बात

रांची उपायुक्त छवि रंजन ने भी बालू खनन मामले पर पांच दिन पहले कहा था कि एसडीओ और डीएसपी लगातार इसपर छापेमारी करते रहते हैं. एसएसपी से भी इस मसले पर संपर्क में हैं. लगातार कार्रवाई भी होती रही है. अवैध बालू उत्खनन की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई भी करते हैं. संबंधित थाने को भी अलर्ट किया गया है. जहां तक पुल की बात है रोड डिवीजन कंपनी से बात करते हैं देखते हैं क्या कार्रवाई की जा सकती है. उपायुक्त ने माना है कि अवैध बालू उत्खनन का मामला संबंधित अधिकारियों की ओर से नहीं आया है.

2017 में भी गिरा था एक पुल

एक झलक ये भी देखें कि कैसे 26 जुलाई 2017 को भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जहां हल्की बारिश में सिल्ली और तमाड़ विधानसभा को जोड़ने वाले बम्लाडीह तमाड़ कांची नदी पर 2 साल पहले बना उच्चस्तरीय पुल धंस गया था. इससे तमाड़ और सोनाहातु का संपर्क कट गया. पुल का निर्माण लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया था. इस पुल के टूटने से सोनाहातु पूर्वी क्षेत्र की 7 पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय सोनाहातु से संपर्क टूट गया, जिससे हजारों की आबादी जो इस रास्ते से आवागमन करती थी, वो प्रभावित हो गयी. सबसे ज्यादा असर छात्र छात्राओं पर और दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा, जो रोजाना पुल के सहारे आवगमन करते थे.

बारिश नहीं झेल सका पुल

स्थानीय लोगों की लाख कोशिशों के बाद सरकार ने सोनाहातु के ग्रामीणों को आवगमन के लिए पुल दिया था. शिलान्यास कार्यक्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो और पूर्व मंत्री राजा पीटर ने अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत झोंकी थी. इसमें दोनों मंत्रियों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने श्रेय लेने के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था, लेकिन लोगों का सपना पहली ही बारिश में डूब गया. इस नदी से भी भारी संख्या में बालू का उत्खनन हुआ, जो आजतक जारी है. बालू माफिया की ओर से पुल के नीचे जेसीबी मशीन लगाकर अंधाधुंध बालू की खुदाई करवा कर पुल को खोखला कर दिया गया, जिससे पुल धंस गया.

सरकारी अधिकारियों ने कभी नहीं उठाया खनन का मुद्दा

आज फिर से वही तस्वीर सामने आई, जहां ये स्पष्ट हो गया कि बालू माफिया के अवैध खनन के कारण अब लोगों का आवागमन करना भी मुश्किल हो गया है. एक तरफ ग्रामीण बालू माफिया, खनन विभाग की निष्क्रियता और पुल निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी को दोषी बता रहे हैं. वहीं सरकारी पदाधिकारी बालू उत्खनन में अवैध खनन की शिकायत अबतक नहीं आयी है. छापेमारी होती है, ऐसा मानते हैं, तो अब आखिर दोषी कौन है? यह बड़ा सवाल है. जिस सवाल को उठाने में यास चक्रवात की बड़ी भूमिका है.

खूंटी: लोकसभा क्षेत्र के तमाड़ प्रखंड क्षेत्र में लगभग 4 साल में 2 पुल टूटकर गिर गए. पहली तस्वीर 27 जुलाई 2017 की है, जबकि दूसरी घटना 27 मई 2021 की जब यास की चक्रवातीय तूफानी बारिश ने एक झटके में उच्चस्तरीय पुल की पोल खोलकर रख दी. 3 साल में 13 करोड़ की लागत से बुंडू अनुमंडलीय क्षेत्र में कांची नदी पर इस पुल का निर्माण किया गया था.

देखें पूरी रिपोर्ट

बुंडू, तमाड़ और सोनाहातू 3 प्रखंडों की आम आवाम के लिए यह पुल लाइफ लाइन माना जाता था, लेकिन कांची नदी में पुल टूटने और यास तूफान के आने से पहले 25 मई तक लगातार बालू का उत्खनन जारी रहा. स्थानीय लोगों के अनुसार कांची नदी क्षेत्र के तटीय इलाकों में हर दिन बालू का उत्खनन और बालू की ढुलाई होती है. एक तरफ ग्रामीण कहते हैं कि आज तक खनन पदाधिकारी कांची नदी पर छापेमारी के लिए नहीं आये. अगर कोई प्रशासनिक पदाधिकारी यहां पहुंचता है, तो बालू खनन करने वाले माफिया को पहले ही सूचना मिल जाती है.

ये भी पढ़ेंः यास तो बहाना है...! कांची नदी पर बना बूढ़ाडीह पुल ध्वस्त, बालू के अवैध परिवहन की चढ़ा भेंट

क्या प्रशासन की शह पर होता है खनन

अब सवाल आता है कि बगैर पुलिस प्रशासन की मिलीभगत से बालू का खनन और बालू की सप्लाई रांची, टाटा समेत अन्य इलाकों में कैसे की जाती है? क्या बालू खनन से लेकर बालू डंपिंग और बालू की सप्लाई तक में कहीं कुछ अवैध नहीं है. शायद सब वैध है, इसलिए आज तक न एसडीओ स्तर से न डीएसपी से शिकायत रांची मुख्यालय पहुंची. सब कुछ सामान्य प्रक्रिया से होता रहा और आम जनता देखती रही कि यहां हर दिन 50-60 ट्रैक्टर आखिर किस सिस्टम के हैं, जिन्हें कोई रोकने टोकने वाला नहीं है.


पुल निर्माण में बरती गई लापरवाही

अब जब 50-60 ट्रैक्टर को कोई रोकने टोकने वाला नहीं था तो महज 3 दिन में यास चक्रवातीय तूफान ने कैसे रेत पर बने सीमेंट कॉन्क्रीट और मोटी मोटी छड़ों से निर्मित उच्चस्तरीय पुल को ध्वस्त कर दिया. स्थानीय लोगों की मानें तो पुल निर्माण में घोर अनियमितता बरती गयी, जिसकी वजह से ये बनने के बाद दूसरे ही साल ध्वस्त हो गया. वहीं, पुल ध्वस्त होने का सबसे बड़ा कारण स्थानीय लोग बालू तस्करों की ओर से कांची नदी पुल के आसपास जेसीबी लगाकर बालू के खनन को मानते हैं. प्रतिदिन यहां 50 -60 ट्रैक्टर बालू की ढुलाई की जाती है.

विधायक विकास मुंडा ने की जांच की मांग

वहीं, स्थानीय विधायक विकास मुंडा पुल टूटने की खबर पर घटनास्थल पहुंचे और पुल का मुआयना किया. विधायक ने भी मांग की है कि इससे पहले भी एक और उच्चस्तरीय पुल ध्वस्त हुआ है और दोनों पुल का कंस्ट्रक्शन एक ही कंपनी ने किया है. यास तूफान और बारिश तो एक बहाना बन गया. आखिर उच्चस्तरीय पुल महज तीन साल में गिर गया यह जांच का विषय है. आखिर दोषी कौन है? विभाग और संवेदक दोनों पर उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए.

सीएम ने दिए जांच के आदेश

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा है कि 'इस मामले में मैंने उच्चस्तरीय जांच का आदेश दे दिया हैं. मेरे सेवाकाल में भ्रष्टाचार और जनता के पैसों की लूट किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

Villagers say illegal mining is the reason for the fall of the bridge in khunti
सीएम हेमंत का ट्वीट

रांची उपायुक्त करेंगे रोड डिवीजन कंपनी से बात

रांची उपायुक्त छवि रंजन ने भी बालू खनन मामले पर पांच दिन पहले कहा था कि एसडीओ और डीएसपी लगातार इसपर छापेमारी करते रहते हैं. एसएसपी से भी इस मसले पर संपर्क में हैं. लगातार कार्रवाई भी होती रही है. अवैध बालू उत्खनन की सूचना मिलने पर तुरंत कार्रवाई भी करते हैं. संबंधित थाने को भी अलर्ट किया गया है. जहां तक पुल की बात है रोड डिवीजन कंपनी से बात करते हैं देखते हैं क्या कार्रवाई की जा सकती है. उपायुक्त ने माना है कि अवैध बालू उत्खनन का मामला संबंधित अधिकारियों की ओर से नहीं आया है.

2017 में भी गिरा था एक पुल

एक झलक ये भी देखें कि कैसे 26 जुलाई 2017 को भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जहां हल्की बारिश में सिल्ली और तमाड़ विधानसभा को जोड़ने वाले बम्लाडीह तमाड़ कांची नदी पर 2 साल पहले बना उच्चस्तरीय पुल धंस गया था. इससे तमाड़ और सोनाहातु का संपर्क कट गया. पुल का निर्माण लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से कराया गया था. इस पुल के टूटने से सोनाहातु पूर्वी क्षेत्र की 7 पंचायतों का प्रखंड मुख्यालय सोनाहातु से संपर्क टूट गया, जिससे हजारों की आबादी जो इस रास्ते से आवागमन करती थी, वो प्रभावित हो गयी. सबसे ज्यादा असर छात्र छात्राओं पर और दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा, जो रोजाना पुल के सहारे आवगमन करते थे.

बारिश नहीं झेल सका पुल

स्थानीय लोगों की लाख कोशिशों के बाद सरकार ने सोनाहातु के ग्रामीणों को आवगमन के लिए पुल दिया था. शिलान्यास कार्यक्रम में पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो और पूर्व मंत्री राजा पीटर ने अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत झोंकी थी. इसमें दोनों मंत्रियों के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने श्रेय लेने के लिए भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया था, लेकिन लोगों का सपना पहली ही बारिश में डूब गया. इस नदी से भी भारी संख्या में बालू का उत्खनन हुआ, जो आजतक जारी है. बालू माफिया की ओर से पुल के नीचे जेसीबी मशीन लगाकर अंधाधुंध बालू की खुदाई करवा कर पुल को खोखला कर दिया गया, जिससे पुल धंस गया.

सरकारी अधिकारियों ने कभी नहीं उठाया खनन का मुद्दा

आज फिर से वही तस्वीर सामने आई, जहां ये स्पष्ट हो गया कि बालू माफिया के अवैध खनन के कारण अब लोगों का आवागमन करना भी मुश्किल हो गया है. एक तरफ ग्रामीण बालू माफिया, खनन विभाग की निष्क्रियता और पुल निर्माण कंस्ट्रक्शन कंपनी को दोषी बता रहे हैं. वहीं सरकारी पदाधिकारी बालू उत्खनन में अवैध खनन की शिकायत अबतक नहीं आयी है. छापेमारी होती है, ऐसा मानते हैं, तो अब आखिर दोषी कौन है? यह बड़ा सवाल है. जिस सवाल को उठाने में यास चक्रवात की बड़ी भूमिका है.

Last Updated : May 28, 2021, 6:27 PM IST
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