खूंटीः आदिवासी बच्चियां अपनी इच्छाशक्ति और मजबूत इरादों के साथ सपनों की उड़ान भर रही हैं. खूंटी जिला प्रशासन इन बच्चियों के सपनों को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा. जिला प्रशासन द्वारा चलाई जा रही सपनों की उड़ान योजना से नक्सल प्रभावित क्षेत्र के दूरस्थ इलाकों से निकलकर आदिवासी बच्चियां जेईई और मेडिकल की तैयारी कर रही हैं.
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झारखंड के खूंटी जिले में शुरू हुई सपनों की उड़ान योजना सरकारी स्कूलों के बच्चों को जोड़ा जा रहा है. तीन वर्ष के प्रयास से जिला प्रशासन ने दर्जनों आदिवासी बच्चियों को ग्रामीण इलाकों से निकालकर उनको बेहतर शिक्षा और सपनों को साकार करने का मौका दिया है. गांव देहात जाकर जिला प्रशासन की टीम बच्चियों को स्कूल और बेहतर शिक्षा के बारे में बता रही हैं, जिससे बच्चियों को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है.
इस योजना के पहले बैच में 28 छात्राएं जुड़ीं, जिसमें तीन ने जेईई और दो छात्रा ने नीट की परीक्षा पास की है. वहीं दूसरे बैच से 54 लड़कियों ने दिन रात मेहनत कर तैयारी की, जिसमें 18 बच्चियों ने परीक्षा लिखीं और जेईई मेंस पास किया है. जिसमें एक बच्ची ने जेईई एडवांस पास किया जबकि तीसरे बैच में लगभग 45 आदिवासी बच्ची जेईई और मेडिकल की तैयारी कर रही हैं. जिला प्रशासन इन बच्चों को लगातार प्रोत्साहित कर रहा है ताकि वो अपने सपनों को पूरा कर सके और जिला ही नहीं देश प्रदेश का नाम रोशन कर सकें.
खूंटी जिला प्रशासन की पहल पर चलाई जा रही सपनों की उड़ान योजना से धीरे धीरे बच्चियां जुड़ रही हैं. जिससे अब कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में सीट से अतिरिक्त नामांकन फॉर्म जमा हो रहे हैं. जेईई और मेडिकल की परीक्षा पास करने वाली छात्राओं की संख्या लगातर बढ़ने से बच्चियां लगातार प्रोत्साहित हो रही हैं और आज कस्तूरबा स्कूल में साइंस में बच्चों की संख्या बढ़ रही है.
स्कूल के शिक्षक भी बच्चियों को नीट की तैयारी करा रहे हैं. स्कूल प्रशासन के अनुसार कस्तूरबा स्कूल में साइंस के लिए 75 सीट रिजर्व है लेकिन अभी तक 100 से ज्यादा बच्चियां नामांकन के लिए आवेदन कर चुकी हैं. स्कूल प्रशासन अब टेस्ट लेने के बाद एडमिशन लेगा. पिछड़ा जिला होने के कारण और साइंस की पढ़ाई नहीं होने से जिले की अधिकांश बच्चियां स्कूल छोड़ देती थीं. लेकिन इस योजना से जुड़कर आज बड़ी संख्या में खूंटी की बच्चियां नीट में सफल हुई हैं.
खूंटी के कालामाटी स्थित कस्तूरबा स्कूल में बड़ी संख्या में आदिवासी लड़कियां नीट की तैयारी कर रही हैं. छात्राओं ने बताया कि उन्हें पढ़ने का मौका मिला है, कल तक नक्सल और दूरस्थ इलाका होने के कारण परिवार वाले भी अगके की पढ़ाई नही करवाते थे. लेकिन जिला प्रशासन की पहल और नक्सल के खिलाफ लगातार कार्रवाई के कारण बेखौफ होकर हमलोग बाहर निकले हैं और अपने सपनों को पूरा करने की तैयारी कर रही हैं. आदिवासी बच्चियों का सपना है कि वो उच्च शिक्षा हासिल करके डॉक्टर और इंजीनियरिंग बनेंगी.
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