खूंटी: जिला के आमरेश्वर धाम का शिवलिंग प्राचीन शिवलिंगों में से एक माना जाता है. रांची-सिमडेगा सड़क मार्ग के किनारे बसा अंगराबारी गांव में स्थित यह शिवलिंग बाबा आमरेश्वर के नाम से प्रचलित है. आमरेश्वर धाम नाम के पीछे की वजह है स्वयंभू शिवलिंग. यह शिवलिंग आम के पेड़ के नीचे अवस्थित है, इसलिए इसका नाम आमरेश्वर धाम पड़ा. मंदिर प्रबंधक ने आमरेश्वर धाम का इतिहास बताया, जो काफी रोचक है.
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क्या है आमरेश्वर धाम का इतिहास: मंदिर प्रबंधक सत्यजीत कुंडू के अनुसार पहले रांची से सिमडेगा जाने के लिए सड़क की स्थिति बहुत खराब थी. पुल नहीं थे और एक ही बस चलती थी जो एक सप्ताह में पहुंचती थी या फिर रास्ते में खराब हुई तो कई-कई दिन लग जाते थे. एक दिन अंगराबारी के समीप रांची से सिमडेगा जाने वाली बस खराब हो गयी. तभी बस मालिक को लघु शंका की जरूरत पड़ी तो वह आम पेड़ के समीप झाड़ियों में गया. वहां से वापस घर जाने के बाद रात में बस मालिक को स्वप्न आया कि जिस जगह पर आप लघु शंका निपटाने के लिए गए थे वो जगह महादेव की है. उस जगह की साफ सफाई करें. जिसके ठीक दूसरे दिन बस मालिक ने वहां जाकर देखा और झाड़ियों को साफ कराया. तभी उस स्थान पर स्वयंभू शिवलिंग नजर आने लगा. जिसके बाद बस मालिक ने वहां पर पूजा अर्चना की और जैसे ही बस स्टार्ट करके चला तो बाबा भोलेनाथ की महिमा से सप्ताह में पहुंचने वाली गाड़ी एक ही दिन में रांची से सिमडेगा और सिमडेगा से रांची पहुंच गयी. तब से लोगों में आस्था जागृत हुआ और लोग पूजा पाठ करने लगे. आज तक ये मान्यता है कि जो भी वाहन इस सड़क से गुजरती है, वाहन मालिक या चालक मंदिर में शीश झुका कर ही आगे बढ़ते हैं.
आकर्षक ढंग से सजा है मंदिर: मुंडा पहान भी यहां खेती बारी से पहले पूजा पाठ किया करते थे. धीरे-धीरे इस जगह पर मंदिर निर्माण कराया गया लेकिन, वृक्ष को क्षति नहीं पहुंचायी गयी. आम के पेड़ को चारों तरफ से घेराबंदी कर चबूतरा बनाया गया और शिवलिंग को आकर्षक ढंग से सजाया गया है. आमरेश्वर धाम में शिवलिंग के बगल में ही माता पार्वती के मंदिर का निर्माण कराया गया है. राम, सीता, लक्ष्मण समेत पूरा दरबार मंदिर में बनाया गया है. माता दुर्गा का मंदिर भव्य स्वरूप में अवस्थित है. साथ ही काली मंदिर, गणपति बप्पा का मंदिर, नंदी और बजरंग बलि का मंदिर समेत कुल आठ मंदिर इस परिसर में अवस्थित हैं और सारे मंदिर का निर्माण भक्तों द्वारा कराया गया है. भक्तों के चढ़ावे से ही मंदिर परिसर की सजावट या रख रखाव होती है. हालांकि, बीते दो सालों में पर्यटन विभाग के द्वारा सौंदर्यीकरण का काम कराया गया है.
दो साल बाद पहुंच रहे भक्त: कहते हैं जो भी भक्त बाबा आमरेश्वर धाम आते हैं और सच्चे मन से पूजा अर्चना करते हैं. उनको कभी निराशा नहीं होती है. बाबा सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं. हालांकि सड़क मार्ग से सटा हुआ होने के बावजूद मंदिर परिसर में शांति की अनुभूति होती है. इस वजह से भक्त बार-बार यहां आना चाहते हैं. हालांकि पिछले दो साल कोविड को लेकर मंदिर परिसर में भगवान का दर्शन आम लोगों के लिए निषेध किया गया था. अब 2022 में भारी संख्या में शिवभक्त बाबा आमरेश्वर धाम पहुंच बाबा का जलाभिषेक कर रहे हैं. भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए. प्रत्येक सोमवारी को अतिरिक्त मजिस्ट्रेटों की तैनाती की गई है. जिला बल, सीआरपीएफ की टुकड़ियां, एसआईआरबी-टू, रैफ और महिला बल तैनात रहेंगे.