खूंटी: जल संरक्षण को लेकर जिला प्रशासन, सेवा वेलफेयर सोसाइटी और ग्रामसभा के संयुक्त तत्वावधान में चलाए जा रहे जनशक्ति से जलशक्ति अभियान फेज टू के तहत मुरहू में श्रमदान से चार बोरीबांधों का निर्माण किया गया. जिले के डीसी शशि रंजन ने भी गुटीगड़ा गांव में बन रहे बोरीबांध में ग्रामीणों के संग श्रमदान कर उनका हौसला बढ़ाया. डीसी के साथ श्रमदान कर ग्रामीण गौरवान्वित और उत्साहित हुए.
एक बोरीबांध का निर्माण
गुटीगड़ा में एक, डेहकेला में दो और पंगूरा गांव में एक बोरीबांध का निर्माण किया गया. इन तीनों स्थानों पर 200 से ज्यादा ग्रामीणों ने श्रमदान किया. इन चार बोरीबांधों से 40 एकड़ भूमि सिंचित हो सकेगी. जिसके लिए डीसी ने ग्रामीणों से सोलर सिंचाई सुविधा मुहैया कराने का आश्वासन दिया है. मौके पर डीसी शशि रंजन ने कहा कि बोरीबांध से पानी की समस्या का सामाधान होने के साथ सकारात्मक सामाजिक बदलाव भी प्रदर्शित हो रहा है. बोरीबांध के बन जाने से ग्रामीणों को खेती करने में सुविधा होगी. अब पानी की समस्या नहीं होगी.
बोरियों में बालू और मिट्टी भरकर बांध बनाने का काम
डीसी ने ग्रामीणों से बातचीत करते हुए कहा कि ग्रामसभा ने इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने ग्रामीणों की सराहना की जिन्होंने सीमेंट की बोरियों में बालू और मिट्टी भरकर बांध बनाने का काम किया. उन्होंने कहा कि खूंटी जिले में अधिकतर जनसंख्या खेती पर सीधे रूप से निर्भर है. किसान खेती के लिए जल की समस्याओं के विरुद्ध जल संरक्षण के प्रभावशाली माध्यम को अपनाते हुए अग्रसर हुए हैं. उन्होंने बताया कि जहां पानी का उच्च स्तर है वहां लिफ्ट इरिगेशन की भी सुविधा की जाएगी. जिससे ग्रामीणों को सीधा लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि कुसुम, लाह आदि के लिए भी यहां पौधरोपण किया जाएगा. इसके साथ ही ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मजदूरी भी मिलेगी. मत्स्य पालन के लिए भी कार्य किये जाएंगे, ताकि बोरीबांध से बहुआयामी लक्ष्यों को पूर्ण किया जा सके.
ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने का कार्य
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि सेवा वेलफेयर सोसाइटी की तरफ से इस दिशा में निरंतर सहयोग करते हुए ग्रामीणों को प्रोत्साहित करने का कार्य किया गया है. उनके तरफ से ग्रामीणों से लगातार संपर्क स्थापित करते हुए. उन्हें एकजुटता के लिए प्रोत्साहित किया गया. आगे उपायुक्त ने कहा कि इससे खेती और जल संरक्षण के साथ-साथ मवेशियों के पीने का पानी के लिए भी सहायक है. इससे गांवों में छाने वाले जल संकट छटी है और भूगर्भिय जलस्तर भी उपर आया है. इन सभी संयुक्त प्रयासों के परिणामस्वरूप खूंटी में बोरीबांध सफलता की उंचाई तक पहुंची है. उन्होंने कहा कि सामुहिक प्रयासों से बोरीबांध का क्रियान्वयन व्यापक रूप से संभव हुआ है.
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बनाए गए 96 बोरीबांध
बोरीबांध फेज वन में पिछले वर्ष 96 बोरीबांध बनाए गए थे. फेज टू में अब तक कुल 10 बोरीबांधों का निर्माण किया जा चुका है. अड़की के मुरगीडीह में दो, मुरहू के पंगूरा में दो, डेहकेला में दो, गुटीगड़ा में दो, बुरूहातु में दो बोरीबांध बनाये जा चुके हैं. फज टू में बनाए गए बोरीबांधों से 100 एकड़ भूमि सिंचित हो सकती है. खूंटी जिले में बन रहे बोरीबांध मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित 65वां स्कॉच अवार्ड प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल और राष्ट्रीय जलशक्ति अवार्ड से नवाजा जा चुका है. यही नहीं खूंटी के इस बोरीबांध मॉडल को झारखंड सरकार ने मनरेगा में शामिल करने का काम किया है. जिले में फेज वन में 96 बोरीबांधों का निर्माण किया गया था, जबकि फेज टू के प्रारंभ में अब तक दस बोरीबांध का निर्माण किया जा चुका है.
सरकार की तरफ से बनवाया गया चेक डैम
गुटीगड़ा में विवादित पत्थलगड़ी के कारण सरकारी योजनाओं से ग्रामीण नहीं जुड़ रहे थे. वहीं, घोर नक्सल प्रभावित गांव गुटीगड़ा में जिस स्थान पर बोरीबांध का निर्माण किया गया. वहां पूर्व में सरकार की तरफ से चेक डैम बनाया जा रहा था, लेकिन नक्सली समस्याओं के कारण चेक डैम का निर्माण नहीं हो सका था. जहां बोरीबांध का निर्माण किया गया. उसके कुछ ही दूरी पर विवादित पत्थलगड़ी के बड़े नेता बिरसा ओड़ेया का घर है. इन तमाम चुनौतियों के बीच पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रामीणों ने इस स्थान पर सामुहिक श्रमदान कर बोरीबांध का निर्माण किया.
ये हुए शामिल
बोरीबांध निर्माण में डीसी शशि रंजन समेत मुरहू के सीओ शंभूनाथ राम, सेवा वेलफेयर सोसाइटी के मो शकील पाशा, केवड़ा पंचायत के मुखिया मुचिराय ओड़ेया, हेठगोवा की मुखिया सुनीता पुर्ती, सेवा टीम के मो नईमुद्दीन खां, पौलुस पुर्ती, चाईल्ड लाईन के सुशील सोय, ग्रामप्रधान श्याम मुंडा, जेई सुभाष कच्छप, पंचायत सेवक राजकुमार सिंह, बीपीओ अखिलेश मंडल, रोजगार सेवक राहित कुमार, जनसेवक विशुन कंडीर, रंजीत ओड़ेया समेत गुटीगड़ा, डेहकेला, चेंदागुटू, पंगूरा आदि गांवों के ग्रामीणों ने श्रमदान किया.