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खूंटी में बह रही है जल संरक्षण की बयार, श्रमदान कर चंद घंटों में बांध बना रहे हैं ग्रामीण - बोरी बांधों का निर्माण

खूंटी जिला की चर्चा पत्थलगड़ी और नक्सली घटनाओं की वजह से हुआ करता था, लेकिन अब इस जिले में 'जल है तो कल है' का नारा गूंज रहा है. सुरूंदा गांव में जल संरक्षण को लेकर ग्रामीणों ने महज तीन घंटे के अंदर दो बोरी बांधों का निर्माण कर दिया.

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बांध का निर्माण
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Published : Jan 19, 2021, 8:52 PM IST

रांची/खूंटी: रांची से महज 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिला की चर्चा पत्थलगड़ी और नक्सली घटनाओं की वजह से हुआ करता था, लेकिन अब इस जिले में 'जल है तो कल है' का नारा गूंज रहा है. बोरी बांध बनाने का एक अभियान सा चल पड़ा है. 19 जनवरी को मुरहू प्रखंड के सुरूंदा गांव में जल संरक्षण को लेकर ग्रामीणों में एक जबरदस्त जज्बा दिखाई पड़ा. सुबह सात बजे से ही गांव की महिलाएं, पुरूष, बच्चे, बूढ़े सभी सुरूंदा नदी के पास जुटे और दो भागों में बंटकर महज तीन घंटे के अंदर दो बोरी बांधों का निर्माण कर दिया. इससे उत्साहित ग्रामीणों ने एक और बोरीबांध बना डाला. खुशी का मौका था लिहाजा निर्माण स्थल पर ही सामूहिक भोज का आयोजन किया गया.

देखें पूरी खबर

खूंटी के अलग-अलग गांव में जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाइटी की पहल पर जनशक्ति से जल शक्ति अभियान के तहत ग्रामीणों को एकजुट कर बोरी बांध बनाया जा रहा है. सुरूंदा में और तीन बोरीबांध जल्द ही बनाए जाऐंगे. ग्राम प्रधान सवना मुंडू ने बताया कि ग्रामसभा में बोरी बांध बनाने के निर्णय के बाद सामूहिक प्रयास से बोरीबांध का निर्माण हुआ. उन्होंने कहा कि गांव में बोरीबांध बनने के बाद अब युवा लगभग 15 एकड़ में तरबूज और सब्जी की खेती करेंगे. उन्होंने बताया कि प्रारंभ में यहां एक एकड़ में लेमनग्रास की खेती भी की जाएगी.

महिलाओं और पुरूषों के अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था

गांव के युवा राय मुंडा ने कहा कि तीन बोरी बांध बनने के बाद महिलाओं और पुरूषों के अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था हो गई है, इन बांधों से नहाने-धोने के साथ मवेशियों को भी पीने का पानी मिल सकेगा. वहीं बेंजामिन मुंडू ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बोरी बांध के बगल में स्थित तालाब जिसमें मछली पालन किया गया है, बांध का पानी इस साल गर्मी में नहीं सुखेगा, इसकी पूरी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भूगर्भिय जलस्तर बढ़ने से गांव के कुंआ और चापानलों में भी पानी नहीं घटेगा.

100 से ज्यादा बोरीबांध बनाए जाएंगे : देवा

सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा और मो. शकील पाशा ने बताया कि इस साल अभियान के तहत 100 से ज्यादा बोरी बांध बनाए जाएंगे, 21 जनवरी को बिरबांकी में 120 फीट लंबा बोरी बांध बनाया जाएगा, संस्था का लक्ष्य किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाकर जिले में हरित क्रांति लाना है.

इसे भी पढे़ं: खूंटी में टुसू मेला का आयोजन, पारंपरिक नृत्य के साथ केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का किया गया स्वागत

उत्सव भरे माहौल में हुआ बोरी बांधों का निर्माण

सुरूंदा में मंगलवार को उत्सव जैसा माहौल था. विषय था जल संरक्षण. गांव के जिन लोगों ने बोरी बांध निर्माण में अपना योगदान दिया उनमें ग्राम प्रधान सवना मुंडू, राय मुंडा, गंगाराम मुंडू, सुनूर मुंडू, अब्रहाम मुंडू, महादेव मास्टर, नंददेव मुंडू, फुलमनी मुंडू, हिंदू मुंडू, मतियस मुंडू, बेंजामिन मुंडू, शंकर ओड़ेया, नारायण मुंडू, मरसा मुंडू समेत ग्रामसभा सदस्यों के नाम शामिल हैं.

रांची/खूंटी: रांची से महज 50 किलोमीटर दूर खूंटी जिला की चर्चा पत्थलगड़ी और नक्सली घटनाओं की वजह से हुआ करता था, लेकिन अब इस जिले में 'जल है तो कल है' का नारा गूंज रहा है. बोरी बांध बनाने का एक अभियान सा चल पड़ा है. 19 जनवरी को मुरहू प्रखंड के सुरूंदा गांव में जल संरक्षण को लेकर ग्रामीणों में एक जबरदस्त जज्बा दिखाई पड़ा. सुबह सात बजे से ही गांव की महिलाएं, पुरूष, बच्चे, बूढ़े सभी सुरूंदा नदी के पास जुटे और दो भागों में बंटकर महज तीन घंटे के अंदर दो बोरी बांधों का निर्माण कर दिया. इससे उत्साहित ग्रामीणों ने एक और बोरीबांध बना डाला. खुशी का मौका था लिहाजा निर्माण स्थल पर ही सामूहिक भोज का आयोजन किया गया.

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खूंटी के अलग-अलग गांव में जिला प्रशासन और सेवा वेलफेयर सोसाइटी की पहल पर जनशक्ति से जल शक्ति अभियान के तहत ग्रामीणों को एकजुट कर बोरी बांध बनाया जा रहा है. सुरूंदा में और तीन बोरीबांध जल्द ही बनाए जाऐंगे. ग्राम प्रधान सवना मुंडू ने बताया कि ग्रामसभा में बोरी बांध बनाने के निर्णय के बाद सामूहिक प्रयास से बोरीबांध का निर्माण हुआ. उन्होंने कहा कि गांव में बोरीबांध बनने के बाद अब युवा लगभग 15 एकड़ में तरबूज और सब्जी की खेती करेंगे. उन्होंने बताया कि प्रारंभ में यहां एक एकड़ में लेमनग्रास की खेती भी की जाएगी.

महिलाओं और पुरूषों के अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था

गांव के युवा राय मुंडा ने कहा कि तीन बोरी बांध बनने के बाद महिलाओं और पुरूषों के अलग-अलग स्नान करने की व्यवस्था हो गई है, इन बांधों से नहाने-धोने के साथ मवेशियों को भी पीने का पानी मिल सकेगा. वहीं बेंजामिन मुंडू ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है कि बोरी बांध के बगल में स्थित तालाब जिसमें मछली पालन किया गया है, बांध का पानी इस साल गर्मी में नहीं सुखेगा, इसकी पूरी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भूगर्भिय जलस्तर बढ़ने से गांव के कुंआ और चापानलों में भी पानी नहीं घटेगा.

100 से ज्यादा बोरीबांध बनाए जाएंगे : देवा

सेवा वेलफेयर सोसाईटी के देवा हस्सा और मो. शकील पाशा ने बताया कि इस साल अभियान के तहत 100 से ज्यादा बोरी बांध बनाए जाएंगे, 21 जनवरी को बिरबांकी में 120 फीट लंबा बोरी बांध बनाया जाएगा, संस्था का लक्ष्य किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध करवाकर जिले में हरित क्रांति लाना है.

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उत्सव भरे माहौल में हुआ बोरी बांधों का निर्माण

सुरूंदा में मंगलवार को उत्सव जैसा माहौल था. विषय था जल संरक्षण. गांव के जिन लोगों ने बोरी बांध निर्माण में अपना योगदान दिया उनमें ग्राम प्रधान सवना मुंडू, राय मुंडा, गंगाराम मुंडू, सुनूर मुंडू, अब्रहाम मुंडू, महादेव मास्टर, नंददेव मुंडू, फुलमनी मुंडू, हिंदू मुंडू, मतियस मुंडू, बेंजामिन मुंडू, शंकर ओड़ेया, नारायण मुंडू, मरसा मुंडू समेत ग्रामसभा सदस्यों के नाम शामिल हैं.

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