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Panchayat election in Jharkhand: मुंडा आदिवासी नहीं लेंगे पंचायत चुनाव में भाग, बंदगांव बाजार टांड़ में ऐलान

झारखंड में पंचायत चुनाव नजदीक आते ही दबाव समूह सक्रिय हो गए हैं और अपने मांगों को पूरा कराने के लिए बहिष्कार का ऐलान करने लगे हैं. इस कड़ी में खूंटी चाईबासा सीमा के पास बंदगांव में सोमवार को मुंडा मानकी और ग्राम प्रधानों ने बैठक की.

Panchayat election in Jharkhand Munda tribe meeting in Bandgaon Bazar Tand
मुंडा आदिवासियों की बैठक
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Published : Oct 26, 2021, 10:21 AM IST

Updated : Oct 26, 2021, 12:26 PM IST

खूंटीः मुंडा मानकी शासन व्यवस्था (Munda tribe) को लागू करने की मांग को लेकर बंदगांव बाजार टांड़ में आदिवासी नेताओं और ग्रामीणों का जुटान हुआ. यहां आदिवासी नेताओं ने कहा कि जब तक मुंडा शासन व्यवस्था को सरकार लागू नहीं करती तब तक पंचायत चुनाव नहीं होने देंगे और न ही कोई आदिवासी पंचायत चुनाव में भाग लेगा.

ये भी पढ़ें-झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध, 22 पड़हा समिति ने राजभवन के सामने किया प्रदर्शन


खूंटी चाईबासा सीमा के पास बंदगांव में सोमवार को मुंडा मानकी और ग्राम प्रधानों ने संयुक्त बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्तमान सरकार झारखंड के अनुसूचित इलाकों में पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का कड़ाई से पालन नहीं करा रही है. ऐसे में पंचायत चुनाव का विरोध किया जाएगा.

देखें पूरी खबर

बैठक में उपस्थित मानकी मुण्डा समेत कई वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार भी पूर्व की सरकारों की तरह पांचवी अनुसूची को अनुसूचित इलाकों में लागू नहीं करवा पा रही है.

सीधे मिले ग्रामसभा को राशि

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि झारखंड राज्य बने हुए 21 साल हो गए, इसके बावजूद गांवों का विकास नहीं हो पाया है. विकास की योजनाएं गांवों में अधूरी हैं. वक्ताओं ने कहा कि अनुसूचित इलाकों में विकास के लिए दी जाने वाली राशि सीधे ग्राम सभा को मिले ताकि ग्रामसभा अपनी इच्छा अनुसार गांव में विकास कार्य चला सके.

तीन साल पहले भी हुआ था जुटान

बैठक में यह यह भी बताया गया कि पूर्व में खूंटी समेत आसपास के इलाकों में किया गया पत्थलगड़ी असंवैधानिक था उसमें एसी/ कुटुंब सरकार लिखा गया था. वर्तमान पत्थलगड़ी में संविधान की गलत व्याख्या की गई थी.

Panchayat election in Jharkhand Munda tribe meeting in Bandgaon Bazar Tand
मुंडा आदिवासियों की बैठक

ऐसे में लोगों में भटकाव आया था इसलिए इन सभी इलाकों में पांचवी अनुसूची को सख्ती से लागू करने के लिए सरकार से कहा जाएगा. अगर इसपर सरकार कोई पहल नहीं करती है तो आगे मुंडा समाज पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेगा. बता दें कि तीन वर्ष पूर्व भी आदिवासी नेताओं का जुटान इसी तरह हुआ था.

इन जगहों के ग्रामीण जुटे

बंदगांव बाजार टांड की बैठक में भाग लेने चाईबासा जिले के बंदगांव प्रखंड क्षेत्र से जलसार, सिंदूरबेड़ा, उषाडीह, साओनेया, बंदगांव, मेरोंगगुटु पंचायत, जबकि खूंटी जिले के अड़की प्रखंड से कोचांग बीरबांकी, कुरुंगा और मुरहू पंचायत क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण जुटे.

कई और लोग कर रहे विरोध

पंचायत चुनाव के बहिष्कार की धमकी देकर अपनी मांग पूरा कराने की कोशिश करने वाले और भी हैं. बीते दिन आदिवासी समाज की 22 पड़हा समिति ने राजभवन के सामने प्रदर्शन कर पंचायत चुनाव का विरोध किया था और पांचवी अनुसूची का कड़ाई से पालन करने की मांग की थी.

क्या है पांचवीं अनुसूची जिसकी झारखंड में है चर्चा

भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची देश के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू है. संविधान की यह अनुसूची स्थानीय समुदाय का लघु वन उत्पाद, जल और खनिज पर अधिकार सुनिश्चित करती है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया था कि बगैर ग्रामसभा की इजाजत लिए अनुसूचित क्षेत्रों में किए जा रहे सभी प्रकार के खनन और औद्योगिक गतिविधियां गैरकानूनी हैं.

Panchayat election in Jharkhand Munda tribe meeting in Bandgaon Bazar Tand
मुंडा आदिवासियों की बैठक

इस आदेश में न्यायालय ने ग्रामसभा की भूमिका को भी परिभाषित किया और खनन व अन्य कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपने राजस्व को कोऑपरेटिव के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ साझा करें. इसी फैसले के बाद इस अनुसूची के प्रावधान प्रकाश में आए थे.

खूंटीः मुंडा मानकी शासन व्यवस्था (Munda tribe) को लागू करने की मांग को लेकर बंदगांव बाजार टांड़ में आदिवासी नेताओं और ग्रामीणों का जुटान हुआ. यहां आदिवासी नेताओं ने कहा कि जब तक मुंडा शासन व्यवस्था को सरकार लागू नहीं करती तब तक पंचायत चुनाव नहीं होने देंगे और न ही कोई आदिवासी पंचायत चुनाव में भाग लेगा.

ये भी पढ़ें-झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का विरोध, 22 पड़हा समिति ने राजभवन के सामने किया प्रदर्शन


खूंटी चाईबासा सीमा के पास बंदगांव में सोमवार को मुंडा मानकी और ग्राम प्रधानों ने संयुक्त बैठक की. बैठक में निर्णय लिया गया कि वर्तमान सरकार झारखंड के अनुसूचित इलाकों में पांचवी अनुसूची के प्रावधानों का कड़ाई से पालन नहीं करा रही है. ऐसे में पंचायत चुनाव का विरोध किया जाएगा.

देखें पूरी खबर

बैठक में उपस्थित मानकी मुण्डा समेत कई वक्ताओं ने कहा कि वर्तमान सरकार भी पूर्व की सरकारों की तरह पांचवी अनुसूची को अनुसूचित इलाकों में लागू नहीं करवा पा रही है.

सीधे मिले ग्रामसभा को राशि

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि झारखंड राज्य बने हुए 21 साल हो गए, इसके बावजूद गांवों का विकास नहीं हो पाया है. विकास की योजनाएं गांवों में अधूरी हैं. वक्ताओं ने कहा कि अनुसूचित इलाकों में विकास के लिए दी जाने वाली राशि सीधे ग्राम सभा को मिले ताकि ग्रामसभा अपनी इच्छा अनुसार गांव में विकास कार्य चला सके.

तीन साल पहले भी हुआ था जुटान

बैठक में यह यह भी बताया गया कि पूर्व में खूंटी समेत आसपास के इलाकों में किया गया पत्थलगड़ी असंवैधानिक था उसमें एसी/ कुटुंब सरकार लिखा गया था. वर्तमान पत्थलगड़ी में संविधान की गलत व्याख्या की गई थी.

Panchayat election in Jharkhand Munda tribe meeting in Bandgaon Bazar Tand
मुंडा आदिवासियों की बैठक

ऐसे में लोगों में भटकाव आया था इसलिए इन सभी इलाकों में पांचवी अनुसूची को सख्ती से लागू करने के लिए सरकार से कहा जाएगा. अगर इसपर सरकार कोई पहल नहीं करती है तो आगे मुंडा समाज पंचायत चुनाव का बहिष्कार करेगा. बता दें कि तीन वर्ष पूर्व भी आदिवासी नेताओं का जुटान इसी तरह हुआ था.

इन जगहों के ग्रामीण जुटे

बंदगांव बाजार टांड की बैठक में भाग लेने चाईबासा जिले के बंदगांव प्रखंड क्षेत्र से जलसार, सिंदूरबेड़ा, उषाडीह, साओनेया, बंदगांव, मेरोंगगुटु पंचायत, जबकि खूंटी जिले के अड़की प्रखंड से कोचांग बीरबांकी, कुरुंगा और मुरहू पंचायत क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीण जुटे.

कई और लोग कर रहे विरोध

पंचायत चुनाव के बहिष्कार की धमकी देकर अपनी मांग पूरा कराने की कोशिश करने वाले और भी हैं. बीते दिन आदिवासी समाज की 22 पड़हा समिति ने राजभवन के सामने प्रदर्शन कर पंचायत चुनाव का विरोध किया था और पांचवी अनुसूची का कड़ाई से पालन करने की मांग की थी.

क्या है पांचवीं अनुसूची जिसकी झारखंड में है चर्चा

भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची देश के 10 राज्यों के आदिवासी इलाकों में लागू है. संविधान की यह अनुसूची स्थानीय समुदाय का लघु वन उत्पाद, जल और खनिज पर अधिकार सुनिश्चित करती है. 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में आदेश दिया था कि बगैर ग्रामसभा की इजाजत लिए अनुसूचित क्षेत्रों में किए जा रहे सभी प्रकार के खनन और औद्योगिक गतिविधियां गैरकानूनी हैं.

Panchayat election in Jharkhand Munda tribe meeting in Bandgaon Bazar Tand
मुंडा आदिवासियों की बैठक

इस आदेश में न्यायालय ने ग्रामसभा की भूमिका को भी परिभाषित किया और खनन व अन्य कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपने राजस्व को कोऑपरेटिव के माध्यम से स्थानीय लोगों के साथ साझा करें. इसी फैसले के बाद इस अनुसूची के प्रावधान प्रकाश में आए थे.

Last Updated : Oct 26, 2021, 12:26 PM IST
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