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बीजेपी के अर्जुन भेदेंगे खूंटी का चक्रव्यूह, या कांग्रेस के कालीचरण की होगी जीत - कांग्रेस

खूंटी के समर में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा यहां दांव पर है.

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Published : May 22, 2019, 1:42 PM IST

रांची/हैदराबादः झारखंड के नक्सल प्रभावित सीटों में से एक है खूंटी. जहां इसबार सीधी टक्कर है दो मुंडाओं के बीच. एक तरफ जहां बीजेपी के दिग्गज अर्जुन मुंडा खड़े हैं. वहीं कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

खूंटी संसदीय सीट
खूंटी लोकसभा क्षेत्र झारखंड के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. यह भगवान बिरसा की धरती है. यह संसदीय क्षेत्र चार जिलों को मिला कर बना है. जिसमें खूंटी, सिमडेगा पूरी तरह से आते हैं जबकि रांची और सरायकेला-खरसावां के कुछ क्षेत्र शामिल हैं. खूंटी लोकसभा में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जो इस प्रकार हैं खूंटी, तोरपा, सिमडेगा, खरसावां, तमाड़, कोलेबिरा.

2019 का रण
यहां से 2019 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. जहां बीजेपी ने यहां से पुर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को उतारा है. वहीं कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं अर्जुन मुंडा
बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को खूंटी से प्रत्याशी बनाया है. पार्टी को पूरा भरोसा है कि इस बार भी यह सीट उनके खाते में आएगी. अर्जुन अपने विरोधियों को चित कर देंगे. वो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. महज 35 वर्ष की आयु में वो झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. वो देश में सबसे कम उम्र में बनने वाले मुख्यमंत्री हैं. आज भी यह रिकॉर्ड उन्ही के नाम है.

अर्जुन मुंडा की प्रोफाइल

5 जून 1968 को घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में झारखंड आंदोलनकारी के रुप में की. अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी. झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहते हुए अर्जुन मुंडा ने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की.1995 में वो खरसावां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. उस समय वो झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे. साल 2000 में वो दूसरी बार विधानसभा पहुंचे, लेकिन इस बार वो बीजेपी में थे.

साल 2000 में झारखंड राज्य बना. 2003 में वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. तब उनकी उम्र केवल 35 साल थी. 2005 के चुनाव में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की. 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2009 में वो जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2010 में वो एकबार फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंक्षत्री बने. वो साल 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. साल 2014 की विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस के प्रत्याशी हैं कालीचरण मुंडा
कालीचरण मुंडा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म 1962 में खूंटी के माहिल गांव में हुआ. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से 12वीं तक की पढ़ाई की है. कांग्रेस पार्टी में वो कई महत्वपूर्ण पद पर रहे. जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष का भी पद संभाला. अभी वो एआइसीसी के सदस्य हैं.

कालीचरण मु्ंडा की प्रोफाइल

1992 में वो तमाड़ से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने. 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में एकबार फिर जीत हासिल की और विधायक बने. साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में वो हार गए. 2014 लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस की टिकट पर लड़े. वो तीसरे स्थान पर रहे.

रांची/हैदराबादः झारखंड के नक्सल प्रभावित सीटों में से एक है खूंटी. जहां इसबार सीधी टक्कर है दो मुंडाओं के बीच. एक तरफ जहां बीजेपी के दिग्गज अर्जुन मुंडा खड़े हैं. वहीं कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को अपना उम्मीदवार बनाया है.

देखिए पूरी रिपोर्ट

खूंटी संसदीय सीट
खूंटी लोकसभा क्षेत्र झारखंड के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में से एक है. यह भगवान बिरसा की धरती है. यह संसदीय क्षेत्र चार जिलों को मिला कर बना है. जिसमें खूंटी, सिमडेगा पूरी तरह से आते हैं जबकि रांची और सरायकेला-खरसावां के कुछ क्षेत्र शामिल हैं. खूंटी लोकसभा में कुल 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जो इस प्रकार हैं खूंटी, तोरपा, सिमडेगा, खरसावां, तमाड़, कोलेबिरा.

2019 का रण
यहां से 2019 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. जहां बीजेपी ने यहां से पुर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को उतारा है. वहीं कांग्रेस ने कालीचरण मुंडा को अपना प्रत्याशी बनाया है.

बीजेपी से प्रत्याशी हैं अर्जुन मुंडा
बीजेपी ने अर्जुन मुंडा को खूंटी से प्रत्याशी बनाया है. पार्टी को पूरा भरोसा है कि इस बार भी यह सीट उनके खाते में आएगी. अर्जुन अपने विरोधियों को चित कर देंगे. वो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. महज 35 वर्ष की आयु में वो झारखंड के मुख्यमंत्री बने थे. वो देश में सबसे कम उम्र में बनने वाले मुख्यमंत्री हैं. आज भी यह रिकॉर्ड उन्ही के नाम है.

अर्जुन मुंडा की प्रोफाइल

5 जून 1968 को घोड़ाबांधा में जन्मे अर्जुन मुंडा ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में झारखंड आंदोलनकारी के रुप में की. अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत झारखंड मुक्ति मोर्चा से की थी. झारखंड आंदोलन में सक्रिय रहते हुए अर्जुन मुंडा ने जनजातीय समुदायों और समाज के पिछड़े तबकों के उत्थान की कोशिश की.1995 में वो खरसावां से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. उस समय वो झारखंड मुक्ति मोर्चा में थे. साल 2000 में वो दूसरी बार विधानसभा पहुंचे, लेकिन इस बार वो बीजेपी में थे.

साल 2000 में झारखंड राज्य बना. 2003 में वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने. तब उनकी उम्र केवल 35 साल थी. 2005 के चुनाव में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की. 12 मार्च 2005 को उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. 2009 में वो जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 2010 में वो एकबार फिर प्रदेश की राजनीति में लौटे और तीसरी बार राज्य के मुख्यमंक्षत्री बने. वो साल 2013 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे. साल 2014 की विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

कांग्रेस के प्रत्याशी हैं कालीचरण मुंडा
कालीचरण मुंडा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. उनका जन्म 1962 में खूंटी के माहिल गांव में हुआ. उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से 12वीं तक की पढ़ाई की है. कांग्रेस पार्टी में वो कई महत्वपूर्ण पद पर रहे. जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश महामंत्री और उपाध्यक्ष का भी पद संभाला. अभी वो एआइसीसी के सदस्य हैं.

कालीचरण मु्ंडा की प्रोफाइल

1992 में वो तमाड़ से कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने. 1995 में हुए विधानसभा चुनाव में एकबार फिर जीत हासिल की और विधायक बने. साल 2000 में हुए विधानसभा चुनाव में वो हार गए. 2014 लोकसभा चुनाव में वो कांग्रेस की टिकट पर लड़े. वो तीसरे स्थान पर रहे.

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