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खूंटीः प्रदेश में तीन साल में स्थानांतरण की नीति, जिले में दस-दस साल से जमे हैं लिपिक

झारखंड में तीन साल में स्थानांतरण की नीति है पर खूंटी जिले में दस-दस साल से लिपिक जमे हैं. इससे यहां सरकारी विभागों में अधिकारी या कर्मचारी के अधिकतम तीन साल तक एक स्थान पर रहकर काम करने के नियम का उल्लंघन हो रहा है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

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खूंटी समाहरणालय
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Published : Aug 22, 2020, 4:25 PM IST

खूंटीः झारखंड में तीन साल में स्थानांतरण की नीति है पर जिले में दस-दस साल से लिपिक जमे हैं. इससे यहां सरकारी विभागों में अधिकारी या कर्मचारी के अधिकतम तीन साल तक एक स्थान पर रहकर काम करने के नियम का उल्लंघन हो रहा है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले में कई कर्मचारी तो वर्ष 2008-09 से ही एक ही पद पर जमे हुए हैं. इससे उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है. सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2008-09 में जिले की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल ने जिले में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों का तबादला किया था. इसके बाद से इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाय तो ज्यादातर लोग तब से ही एक पद पर बने हुए हैं.

ये भी पढ़ें-हरियाणा की तर्ज पर बनी है शिक्षकों के लिए स्थानांतरण नीति, बरती गई है पारदर्शिता: शिक्षा मंत्री

चुनाव आयोग के आदेश पर भी नहीं हो सका अमल

प्रदेश में चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने वर्षों से एक ही स्थान में जमे कर्मचारियों के तबादले के निर्देश दिए थे पर जिला प्रशासन आयोग के इस आदेश पर पूरी तरह अमल नहीं कर सका. यह कर्मचारियों के जिला प्रशासन में दबदबे और जुगाड़ की बानगी है.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

अरसे से एक जगह पर जमे कर्मचारियों की बानगी

जिले में अरसे से एक जगह जमे कुछ कर्मचारियों में निर्वाचन शाखा में जामिनि सिंह 2009 से, नजारत में धर्मदास आईंद 2008 से, सामाजिक सुरक्षा कार्यालय में बलराम माल पहाड़िया वर्ष 2009 से, निर्वाचन शाखा में पेतरुस गुड़िया 2009 से, बेरनाड मुंडू 2009 से, विधि शाखा में पदस्थापित उदय भूषण प्रसाद वर्ष 2008 से, स्थापना शाखा के गोसनर किडो वर्ष 2008 से, प्रदीप मिंज 2016 से, रतन कुमार मिश्रा गोपनीय शाखा में 2010, ईदन नूतन होरो वर्ष 2012 से, पंचायती राज कार्यालय में पदस्थापित शंभू उरांव वर्ष 2012 से, मुक्ति प्रभा खेस वर्ष 2012 से, सामान्य शाखा में राम सिंह वर्ष 2012 से, सबीना खलखो वर्ष 2012 से, मंगता कच्छप वर्ष 2014 से शामिल हैं.

ये भी पढ़ें-रांची: प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षक स्थानांतरण नीति पर उठाया सवाल, दी आंदोलन की चेतावनी

तबादला नीति के उल्लंघन के अधिकतर मामले समाहरणालय के

इनके अलावा कुल 93 पदाधिकारी ऐसे हैं जो 2009 से लेकर अभी तक विभिन्न विभागों में प्रदेश की तबादला नीति का उल्लंघन करते हुए अरसे से एक ही जगह पर जमे हैं. इनमें से अधिकतर कर्मचारी समाहरणालय में ही पदस्थापित हैं, जबकि कुछ जिले के प्रखंड कार्यालय में कार्यरत हैं.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

जल्द ही फेरबदल करेंगेः उपायुक्त

वैसे नवनियुक्त उपायुक्त शशि रंजन में अपनी पहली ही मीटिंग में कर्मचारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग की बात कही थी पर समाहरणालय के विभिन कार्यालयों में वर्षों से एक जगह जमे कर्मचारियों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो सका है. अब इस मामले में उपायुक्त शशि रंजन का कहना है कि जल्द ही सभी लोगों को चिन्हित कर फेर बदल की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

खूंटीः झारखंड में तीन साल में स्थानांतरण की नीति है पर जिले में दस-दस साल से लिपिक जमे हैं. इससे यहां सरकारी विभागों में अधिकारी या कर्मचारी के अधिकतम तीन साल तक एक स्थान पर रहकर काम करने के नियम का उल्लंघन हो रहा है और कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

विभागीय सूत्रों के मुताबिक जिले में कई कर्मचारी तो वर्ष 2008-09 से ही एक ही पद पर जमे हुए हैं. इससे उनके कामकाज पर असर पड़ रहा है. सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2008-09 में जिले की तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल ने जिले में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों का तबादला किया था. इसके बाद से इक्का-दुक्का मामलों को छोड़ दिया जाय तो ज्यादातर लोग तब से ही एक पद पर बने हुए हैं.

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चुनाव आयोग के आदेश पर भी नहीं हो सका अमल

प्रदेश में चुनाव के पहले चुनाव आयोग ने वर्षों से एक ही स्थान में जमे कर्मचारियों के तबादले के निर्देश दिए थे पर जिला प्रशासन आयोग के इस आदेश पर पूरी तरह अमल नहीं कर सका. यह कर्मचारियों के जिला प्रशासन में दबदबे और जुगाड़ की बानगी है.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

अरसे से एक जगह पर जमे कर्मचारियों की बानगी

जिले में अरसे से एक जगह जमे कुछ कर्मचारियों में निर्वाचन शाखा में जामिनि सिंह 2009 से, नजारत में धर्मदास आईंद 2008 से, सामाजिक सुरक्षा कार्यालय में बलराम माल पहाड़िया वर्ष 2009 से, निर्वाचन शाखा में पेतरुस गुड़िया 2009 से, बेरनाड मुंडू 2009 से, विधि शाखा में पदस्थापित उदय भूषण प्रसाद वर्ष 2008 से, स्थापना शाखा के गोसनर किडो वर्ष 2008 से, प्रदीप मिंज 2016 से, रतन कुमार मिश्रा गोपनीय शाखा में 2010, ईदन नूतन होरो वर्ष 2012 से, पंचायती राज कार्यालय में पदस्थापित शंभू उरांव वर्ष 2012 से, मुक्ति प्रभा खेस वर्ष 2012 से, सामान्य शाखा में राम सिंह वर्ष 2012 से, सबीना खलखो वर्ष 2012 से, मंगता कच्छप वर्ष 2014 से शामिल हैं.

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इनके अलावा कुल 93 पदाधिकारी ऐसे हैं जो 2009 से लेकर अभी तक विभिन्न विभागों में प्रदेश की तबादला नीति का उल्लंघन करते हुए अरसे से एक ही जगह पर जमे हैं. इनमें से अधिकतर कर्मचारी समाहरणालय में ही पदस्थापित हैं, जबकि कुछ जिले के प्रखंड कार्यालय में कार्यरत हैं.

अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची
अरसे से एक जगह जमे कर्मचारियों की सूची

जल्द ही फेरबदल करेंगेः उपायुक्त

वैसे नवनियुक्त उपायुक्त शशि रंजन में अपनी पहली ही मीटिंग में कर्मचारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग की बात कही थी पर समाहरणालय के विभिन कार्यालयों में वर्षों से एक जगह जमे कर्मचारियों पर अभी तक कार्रवाई नहीं हो सका है. अब इस मामले में उपायुक्त शशि रंजन का कहना है कि जल्द ही सभी लोगों को चिन्हित कर फेर बदल की प्रक्रिया पूरी की जाएगी.

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