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CORONA EFFECT ON EDUCATION: खेती-मजदूरी में बीत रहा बचपन, कोरोना ने छीनी पढ़ाई

कोरोना महामारी के चलते जामताड़ा में भी स्कूल बंद(school closed) हैं. ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा कारगर साबित नहीं हो पा रही है. ऐसे में अब नौनिहालों की पढ़ाई ठप है. लिहाजा बच्चे खेती या मजदूरी(labor) कर रहे हैं.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
CORONA EFFECT ON EDUCATION: खेती-मजदूरी में बीत रहा बचपन, महामारी ने छीना स्कूली शिक्षा का सौभाग्य
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Published : Jun 30, 2021, 11:34 AM IST

Updated : Jun 30, 2021, 1:50 PM IST

जामताड़ा: कोरोना के चलते लॉकडाउन में लंबे समय से स्कूल बंद हैं. बच्चे घरों में ही रहने को मजबूर हैं. ऐसे में उनकी पढ़ाई लिखाई भी ठप हो गई है. बच्चे अब सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन सूबे के अधिकांश बच्चे खेती या मजदूरी करने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त साधन नहीं है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- Corona Vaccine Shortage: राज्य में कोरोना वैक्सीन की कमी, 2 जुलाई तक टीकाकरण बाधित

आर्थिक संकट से जूझ रहे मजदूर

बता दें कि रानीगंज गांव(Raniganj Village) का एक मजदूर किसी तरह चाय-पकौड़ी का दुकान चलाकर घर चलाता है, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं कि बच्चे को स्मार्टफोन खरीद कर दे सके. कोरोना के चलते कमल मरांडी का रोजगार छिन जाने के बाद उसके सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अब अपने पिता की दुकान में उसका बेटा विकास मरांडी हाथ बंटा रहा है. विकास मरांडी का कहना है कि वो पढ़ना चाहता है, लेकिन उसके पास स्मार्टफोन नहीं है. स्कूल बंद रहने की वजह से अब जो भी पढ़ाई की थी, वो भी भूल गया. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश मजदूर वर्ग और गरीब तबके के बच्चे स्कूल छूटने के बाद खाली बैठे हैं. ऐसे बच्चे या तो अपने मां बाप के साथ मजदूरी कर रहे हैं या खेती कर रहे हैं. जामताड़ा में ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं, जिनके पास आर्थिक सामर्थ्य नहीं है जिससे उन्हें शिक्षा से वंचित(deprived of education) रहना पड़ रहा है.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
महामारी में स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई ठप

मात्र 40000 बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े

बताया जाता है कि जामताड़ा में 126000 बच्चों का स्कूल में नामांकन हुआ है. ऐसे नामांकित बच्चों में से सिर्फ 40000 बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जा सका है. व्हाट्सएप और स्मार्टफोन से वंचित 80000 से ज्यादा बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. गरीबी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे अधिकतर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ा नहीं पा रहे हैं. गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा का एकमात्र सहारा सरकारी विद्यालय ही है, जो इस कोरोना महामारी के कारण बंद है.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
खेती-मजदूरी में बीत रहा बचपन


बच्चों को रेडियो, टेलीविजन, मोहल्ला क्लास से जोड़ने की योजना

शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे बच्चे जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और ना ही टीवी है, ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए मोहल्ला क्लास रेडियो(Mohalla Class Radio) और टीवी के माध्यम से शिक्षा से जोड़ने की योजना है. यह योजना कितनी कारगर होगी ये तो भविष्य ही बताएगा.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
महामारी ने छीना स्कूली शिक्षा का सौभाग्य

इसे भी पढ़ें- इनकी भी सुनो सरकार...कोरोना काल में स्कूल बस ड्राइवर और कंडक्टर की हालत दयनीय, रोटी पर भी आफत


क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी

इस बारे में जामताड़ा जिला के शिक्षा विभाग के अधिकारी एडीपीआरओ संजय कापरी से संपर्क कर पूछा गया तो मालूम हुआ कि जामताड़ा जिले में 126000 नामांकित बच्चों में से 40000 को व्हाट्सएप ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा गया है. शिक्षा विभाग और सरकार को जरूरत है कि बच्चों के लिए जल्द कुछ किया जाए.

जामताड़ा: कोरोना के चलते लॉकडाउन में लंबे समय से स्कूल बंद हैं. बच्चे घरों में ही रहने को मजबूर हैं. ऐसे में उनकी पढ़ाई लिखाई भी ठप हो गई है. बच्चे अब सिर्फ ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन सूबे के अधिकांश बच्चे खेती या मजदूरी करने को मजबूर हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त साधन नहीं है.

देखें पूरी खबर

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आर्थिक संकट से जूझ रहे मजदूर

बता दें कि रानीगंज गांव(Raniganj Village) का एक मजदूर किसी तरह चाय-पकौड़ी का दुकान चलाकर घर चलाता है, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं कि बच्चे को स्मार्टफोन खरीद कर दे सके. कोरोना के चलते कमल मरांडी का रोजगार छिन जाने के बाद उसके सामने दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अब अपने पिता की दुकान में उसका बेटा विकास मरांडी हाथ बंटा रहा है. विकास मरांडी का कहना है कि वो पढ़ना चाहता है, लेकिन उसके पास स्मार्टफोन नहीं है. स्कूल बंद रहने की वजह से अब जो भी पढ़ाई की थी, वो भी भूल गया. ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश मजदूर वर्ग और गरीब तबके के बच्चे स्कूल छूटने के बाद खाली बैठे हैं. ऐसे बच्चे या तो अपने मां बाप के साथ मजदूरी कर रहे हैं या खेती कर रहे हैं. जामताड़ा में ऐसे सैकड़ों बच्चे हैं, जिनके पास आर्थिक सामर्थ्य नहीं है जिससे उन्हें शिक्षा से वंचित(deprived of education) रहना पड़ रहा है.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
महामारी में स्कूल बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई ठप

मात्र 40000 बच्चे ही ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े

बताया जाता है कि जामताड़ा में 126000 बच्चों का स्कूल में नामांकन हुआ है. ऐसे नामांकित बच्चों में से सिर्फ 40000 बच्चों को ही ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ा जा सका है. व्हाट्सएप और स्मार्टफोन से वंचित 80000 से ज्यादा बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. गरीबी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे अधिकतर अभिभावक अपने बच्चे को पढ़ा नहीं पा रहे हैं. गरीब और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों की शिक्षा का एकमात्र सहारा सरकारी विद्यालय ही है, जो इस कोरोना महामारी के कारण बंद है.

school education is affected due to corona pandemic in jamtara
खेती-मजदूरी में बीत रहा बचपन


बच्चों को रेडियो, टेलीविजन, मोहल्ला क्लास से जोड़ने की योजना

शिक्षा विभाग की ओर से ऐसे बच्चे जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है और ना ही टीवी है, ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए मोहल्ला क्लास रेडियो(Mohalla Class Radio) और टीवी के माध्यम से शिक्षा से जोड़ने की योजना है. यह योजना कितनी कारगर होगी ये तो भविष्य ही बताएगा.

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महामारी ने छीना स्कूली शिक्षा का सौभाग्य

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क्या कहते हैं शिक्षा विभाग के अधिकारी

इस बारे में जामताड़ा जिला के शिक्षा विभाग के अधिकारी एडीपीआरओ संजय कापरी से संपर्क कर पूछा गया तो मालूम हुआ कि जामताड़ा जिले में 126000 नामांकित बच्चों में से 40000 को व्हाट्सएप ऑनलाइन के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा गया है. शिक्षा विभाग और सरकार को जरूरत है कि बच्चों के लिए जल्द कुछ किया जाए.

Last Updated : Jun 30, 2021, 1:50 PM IST
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