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संथाल में मंत्री रणधीर सिंह ने बचाई लाज, सारठ में पहली बार BJP का खिला कमल

झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया. लेकिन 2019 विधानसभा चुनाव में कई धुरंधरों की हार हुई तो कई ने इतिहास भी रचा. जिनमें एक नाम पूर्व मंत्री रणधीर सिंह का है, जिन्होंने सारठ सीट से पहली बार बीजेपी को जीत दिलाई.

Randhir Singh won
रणधीर सिंह
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Published : Dec 25, 2019, 11:11 AM IST

जामताड़ाः विधानसभा चुनाव 2019 संपन्न होने के बाद संथाल से भाजपा सरकार के तीन मंत्री में से एकमात्र रणधीर सिंह अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे. सारठ विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े रणधीर सिंह ने नया इतिहास भी रचा है.

देखें पूरी खबर

सारठ विधानसभा की राजनीति में इतिहास रहा है कि भाजपा की टिकट पर किसी ने चुनाव नहीं जीता, लेकिन भाजपा की टिकट पर निवर्तमान मंत्री रणधीर सिंह ने चुनाव लड़कर इसे बदल दिया है. धनबल की राजनीतिक समीकरण के रूप में जाना जाने वाला संथाल के सारठ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में रणधीर सिंह का प्रवेश 2009 में हुआ. रणधीर सिंह पहले निर्दलीय रूप से चुनाव लड़े, लेकिन वो जीत नहीं पाए. 2014 में रणधीर सिंह जेवीएम से चुनाव लड़ कर पहली बार विधायक बने और चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार में शामिल हुए. जिसके बाद वो कृषि मंत्री बने.

रणधीर सिंह ने कहा था कि पार्टी की राजनीति में घुड़सवारी वह खुद कर रहे हैं. घोड़ा कैसा है यह नहीं देखना चाहिए. बल्कि घुड़सवार कैसा है यह देखना चाहिए. उन्होंने विश्वास दिलाया था कि वह खुद घुड़सवारी कर रहे हैं और भाजपा के टिकट से चुनाव जीतेंगे और यहां कमल खिलेगा जो कि सच साबित हुआ.

ये भी पढ़ें- मनीष जायसवाल के दोबारा विधायक बनने पर जश्न का माहौल, भाजपा खेमे से सबसे अधिक अंतराल से चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार

सारठ विधानसभा क्षेत्र एक विशेष जाति वर्चस्व का ही राजनीति रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा से शशांक भोक्ता यहां के विधायक रहे. उसके पहले जेवीएम से चुनाव लड़ने वाले चुन्ना सिंह उर्फ उदय शंकर सिंह राजद कांग्रेस से निर्दलीय से चुनाव जीतते रहे और विधायक बनते रहे, लेकिन रणधीर सिंह ने जेवीएम से चुनाव लड़ रहे उदय शंकर सिंह को पझाड़ते हुए एक नया इतिहास रचा और भाजपा को कमल खिलाते हुए अपनी प्रतिष्ठा और सीट को बचाने में सफल रहे.

जामताड़ाः विधानसभा चुनाव 2019 संपन्न होने के बाद संथाल से भाजपा सरकार के तीन मंत्री में से एकमात्र रणधीर सिंह अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे. सारठ विधानसभा से भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े रणधीर सिंह ने नया इतिहास भी रचा है.

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सारठ विधानसभा की राजनीति में इतिहास रहा है कि भाजपा की टिकट पर किसी ने चुनाव नहीं जीता, लेकिन भाजपा की टिकट पर निवर्तमान मंत्री रणधीर सिंह ने चुनाव लड़कर इसे बदल दिया है. धनबल की राजनीतिक समीकरण के रूप में जाना जाने वाला संथाल के सारठ विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में रणधीर सिंह का प्रवेश 2009 में हुआ. रणधीर सिंह पहले निर्दलीय रूप से चुनाव लड़े, लेकिन वो जीत नहीं पाए. 2014 में रणधीर सिंह जेवीएम से चुनाव लड़ कर पहली बार विधायक बने और चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार में शामिल हुए. जिसके बाद वो कृषि मंत्री बने.

रणधीर सिंह ने कहा था कि पार्टी की राजनीति में घुड़सवारी वह खुद कर रहे हैं. घोड़ा कैसा है यह नहीं देखना चाहिए. बल्कि घुड़सवार कैसा है यह देखना चाहिए. उन्होंने विश्वास दिलाया था कि वह खुद घुड़सवारी कर रहे हैं और भाजपा के टिकट से चुनाव जीतेंगे और यहां कमल खिलेगा जो कि सच साबित हुआ.

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सारठ विधानसभा क्षेत्र एक विशेष जाति वर्चस्व का ही राजनीति रहा है. झारखंड मुक्ति मोर्चा से शशांक भोक्ता यहां के विधायक रहे. उसके पहले जेवीएम से चुनाव लड़ने वाले चुन्ना सिंह उर्फ उदय शंकर सिंह राजद कांग्रेस से निर्दलीय से चुनाव जीतते रहे और विधायक बनते रहे, लेकिन रणधीर सिंह ने जेवीएम से चुनाव लड़ रहे उदय शंकर सिंह को पझाड़ते हुए एक नया इतिहास रचा और भाजपा को कमल खिलाते हुए अपनी प्रतिष्ठा और सीट को बचाने में सफल रहे.

Intro:जामताङा: विधानसभा चुनाव 2019 संपन्न हुए चुनाव में संथाल में भाजपा के सरकार में तीन-तीन मंत्री में एकमात्र रहे रणधीर सिंह अपनी प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे ।बल्कि सारठ विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ एक नया इतिहास भी रचा।


Body:सारठ विधानसभा की राजनीति में आज तक इतिहास रहा है कि भाजपा की टिकट पर किसी ने चुनाव नही जीत पाए और न भाजपा का कभी कमल ही खिल पाया था। जिसका की इतिहास भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने रच दिया है। धनबल कि राजनीति समीकरण में जाना जाने वाला संथालका सारठ विधानसभा के राजनीति में रणधीर सिंह का प्रवेश हुआ। रणधीर सिंह पहले निर्दलीय रूप से अपना चुनाव लड़े। लेकिन इनके आगे यह टिक नहीं पाए। रणधीर सिंह ने जेवएम से चुनाव लड़ कर विधायक बने पहली बार। और चुनाव जीतने के बाद भाजपा सरकार में शामिल होकर कृषि मंत्री बने। भाजपा के टिकट पर सारठ विधान से चुनाव लड़ने पर विधानसभा में रणधीर सिंह के भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने पर राजनीति चर्चाएं तरह-तरह गर्म थी ।लेकिन इस सारे चर्चाओं अटकलों का बाजार पर विराम लगाते हुए रणधीर सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ कर नासिर्फ इतिहास रचा ।बल्कि सारठ विधानसभा में कमल फूल खिला कर पहली बार भाजपा को जीत दर्ज कराई । रणधीर सिंह ने कहा था की पार्टी की राजनीति में घुड़सवारी व खुद कर रहे हैं। घोड़ा कैसा है नहीं देखना चाहिए घुड़सवारी कैसा है यह।देखता है ।उन्होंने विश्वास दिलाया था कि वह खुद घुड़सवारी कर रहे हैं और भाजपा के टिकट से चुनाव जीतेंगे और यहां कमल खिलेगा जो कि सच साबित हुआ।

बाईट रणधीर सिंह पूर्व कृषि मंत्री विधायक सारठ।





Conclusion:सारठ विधानसभा क्षेत्र एक विशेष जाति वर्चस्व का ही राजनीति रहा है ।झारखंड मुक्ति मोर्चा से शशांक भोक्ता यहां के विधायक रहे ।उसके बाद उसके पहले जेवीएम से चुनाव लड़ने वाले चुन्ना सिंह उर्फ उदय शंकर सिंह राजद कांग्रेस से निर्दलीय से चुनाव जीतते रहे और विधायक बनते रहे लेकिन रणधीर सिंह ने जेवीएम से चुनाव लड़ रहे उदय शंकर सिंह को पझाड़ते हुए एक नया इतिहास रचा और भाजपा को कमल खिलाते हुए अपनी प्रतिष्ठा और सीट को बचाने में सफल रहे।

संजय तिवारी इतनी भारत जामताड़ा
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