जामताड़ा: आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू आदिवासियों के मुद्दे को लेकर मुखर हैं. इसी के तहत 15 जून को भारत बंद का आह्वान किया है. वहीं 30 जून विश्व सरना धर्म कोड जनसभा, कोलकाता ब्रिगेड परेड ग्राउंड चलो का नारा दिया है. साथ ही आंदोलन का ऐलान किया है. आदिवासी सेंगेल अभियान के नेता पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने जामताड़ा में ऐलान किया. उन्होंने कहा कि आजाद भारत में संविधान प्रदत्त सभी अधिकारों के बावजूद आदिवासी गुलामी का जीवन जी रहे हैं. कहा हेमंत सरकार आदिवासी विरोधी सरकार है.
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कहा कि 2011 की जनगणना में प्रकृति पूजक आदिवासी लगभग 50 लाख लोग सरना धर्म को मानने थे. वहीं जैन धर्म के मानने वालों की संख्या 44 लाख ही दर्ज की गई थी. बावजूद जैन धर्म को मान्यता मिल गई. आदिवासियों के सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं मिली. संथाली भाषा एकमात्र राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त बड़ी आदिवासी भाषा है. जबकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, विरोधी दल के नेता बाबूलाल मरांडी संताल समेत लाखों लोग संथाली भाषा भाषी होने के बावजूद झारखंड की राजभाषा क्यों नहीं ?
हेमंत सोरेन पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड सरकार ने आदिवासियों को धोखा दिया है. साथ ही समाज को बर्बाद कर दिया है. कहा कि पारसनाथ आदिवासी समाज का धर्म स्थान है. लेकिन इसे जैन धर्म को दे दिया गया. कहा कि आदिवासियों के ईश्वर मरांग बुरु अर्थात पारसनाथ पहाड़, गिरिडीह, झारखंड को क्यों हेमंत सोरेन ने 5 जनवरी को पत्र लिखकर जैनों को सुपूर्द कर दिया है. मरांग बुरु की वापसी जरूरी है. इसे आदिवासियों को लौटाना होगा.