जामताड़ा: सूबे में एक साल पहले करोड़ों की लागत से तैयार विद्युत शवदाह गृह निर्माण होने के बाद वह जस का तस पड़ा हुआ है. अजय नदी के किनारे लोग आते तो हैं, लेकिन लकड़ी के अभाव में लोग शव को अधजला ही छोड़कर चले जाते हैं. इसे लेकर स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है.
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जामताड़ा के अजय नदी मुक्तिधाम श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कराने को लेकर लकड़ी की कोई व्यवस्था नहीं है. शव को जलाने के लिए लोगों को खुद से ही लकड़ी का जुगाड़ करना पड़ता है. लकड़ी जुगाड़ करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है, तब जाकर कहीं शव का अंतिम संस्कार होता है. विद्युत शवदाह गृह का निर्माण पूरा होने के बाद लोगों को लगा था कि अब परेशानी नहीं होगी. लेकिन समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है.
विद्युत शवदाह गृह जल्द चालू कराने की मांग
जामताड़ा के वरिष्ठ समाजसेवी और कोर्ट के वरीय अधिवक्ता मोहन लाल बर्मन ने विद्युत शवदाह गृह को शीघ्र चालू कराने की मांग प्रशासन से की है. इनका कहना है कि विद्युत शवदाह गृह चालू नहीं होने से श्मशान घाट पर शव जलाने में लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. विद्युत शवदाह गृह चालू नहीं होने के कारण अजय नदी मुक्तिधाम घाट पर लोग बहुत मुश्किल से दाह संस्कार करते हैं. कोरोना माहमारी में लकड़ी का जुगाड़ नहीं हो पाने से लोग जैसे तैसे अधजले शव को छोड़ कर चले जाते हैं.
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पूर्व मुखिया ने दी जानकारी
इस संबंध में आसपास गांव के लोगों की समस्या को देखते हुए पंचायत के पूर्व मुखिया मनोज सोरेन ने जानकारी देते हुए बताया कि लकड़ी के अभाव में लोग अधजले शव को छोड़ कर चले जाते हैं, जिससे आसपास के गांव के लोगों को परेशानी होती है. पूर्व मुखिया ने बताया कि विद्युत शवदाह गृह चालू कराने को लेकर कई बार प्रशासन, सरकार और स्थानीय विधायक से मांग की गई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.