जामताड़ा: जिला के सर्खेलड़ीह दुर्गा पूजा काफी पुराना दुर्गा पूजा माना जाता है. यहां 203 साल से पूजा मनाया जा रहा है. बिना चंदा के परिवार के सदस्य आपस में ही मां दुर्गा की पूजा करते हैं. पुराना पूजा होने के कारण शहर के अधिकांश लोग और आसपास के लोग आकर पुष्पांजलि और पूजा अर्चना करते हैं.
203 साल से हो रही है पूजाजिला का सबसे पुराना दुर्गा पूजा सर्खेलड़ीह पूजा माना जाता है. करीब 203 साल से मनाया जा रहा है. जहां पूरे नियम विधि विधान से मां दुर्गा की पूजा की जाती है और आराधना किया जाता है. समय का पूरा ख्याल रखा जाता है और पूरे आस्था और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा पूजा किया जाता है.श्रद्धालु यहीं आकर करते हैं पूजा जामताड़ा का सबसे पुराना पूजा होने के कारण अधिकांश शहर के लोग एवं आसपास के लोग एवं श्रद्धालु यहीं पर आकर पूजा अर्चना करते हैं. दुर्गा मां की प्रतिमा का दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं.
बलि देने के भी है परंपरा
दुर्गा पूजा में बलि देने की भी अनोखी परंपरा है. बताया जाता है कि अष्टमी के दिन पहला पाठा बलि पड़ता है. उसके बाद नवमी को काफी संख्या में बलि श्रद्धालु देते हैं. दूरदराज से लोग आते हैं. नवमी के दिन बलि चढ़ाते है और काफी संख्या में बलि पड़ता है.
स्थानीय परिवार के सदस्य के लोगों ने दी जानकारी
दुर्गा पूजा जामताड़ा का सबसे पुराना 203 साल से मनाया जाने वाला दुर्गा पूजा है. इसके तहत परिवार के सदस्यों ने जानकारी देते हुए बताया कि विधि-विधान और नियम के साथ मां दुर्गा की पूजा किया जाता है. समय का पूरा ख्याल रखा जाता है.