जामताड़ाः जिले में अवैध कारोबार चरम पर है. बालू, लकड़ी कोयला पत्थर का कारोबार धड़ल्ले से किया जा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन है कि मूकदर्शक बना बैठा है. जिला प्रशासन की नाक के नीचे यह सब कुछ चल रहा है, लेकिन जिला प्रशासन को पता तक नहीं चल पा रहा है. स्थानीय भाजपा के जिला महामंत्री सुभाष साव ने बताया कि जब से झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस की मिलीजुली सरकार बनी है खनिज संपदा का दोहन हो रहा है और कोयला बालू पत्थर का अवैध कारोबार किया जा रहा है.
धड़ल्ले से हो रही कोयले की चोरी
चितरा कोलियरी से जामताड़ा रेलवे साइडिंग तक डंपर कोयले की ढुलाई की जाती है. डंपर से कोयले की ढुलाई के क्रम में रास्ते में जगह-जगह धड़ल्ले से कोयले की चोरी कर तस्करी की जाती है.
अधिकतर अनफिट और बिना नियम कानून के ताक में परिचालन किया जाता है. क्षमता से अधिक कोयले की ढुलाई भी की जाती है. इस पर कई बार रोक लगाने का प्रयास भी किया गया, लेकिन टांय टांय फिश होकर रह गया और बिना नियम कानून के ताक पर रखकर डंपर से कोयले की ढुलाई क्षमता से अधिक की जा रही है.
मोटर साइकिल साइकिल से कोयले की तस्करी मोटरसाइकिल और साइकिल से चोरी के कोयले की तस्करी की जाती है.प्रतिदिन करीब सैकड़ों की संख्या में मोटरसाइकिल और साइकिल से कोयले की तस्करी की जाती है.
जामताड़ा रेलवे साइडिंग से कोयले की चोरी लगातार जारी है. बताया जाता है कि इस चोरी का कोयला जामताड़ा थाना अंतर्गत उदल बनी सतसाल गांव थाना में काफी मात्रा में किया जाता है, लेकिन स्थानीय पुलिस और प्रबंधन इसे रोकने में विफल साबित हो रहे हैं.
जामताड़ा में सफेद पत्थर का कोई पट्टा नहीं है. बावजूद इसके अवैध खनन कर सफेद पत्थर का कारोबार किया जाता है. काला पत्थर का बिना चालान का क्षमता से अधिक कारोबार किया जा रहा है. एक चालान दिखा दिया जाता है बाद बाकी अवैध रूप से कारोबार किया जाता है.
करोड़ों के राजस्व की चोरी
बताया जाता है कि अवैध कोयला बालू, सफेद पत्थर एवं काला पत्थर के इस कारोबार में सरकार का करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लगाया जा रहा है. बताया जाता है कि संबंधित विभाग के पदाधिकारियों से कारोबारियों के साथ मधुर संबंध रहते हैं. नतीजा कार्रवाई करने के बजाय संरक्षण देना ही उचित समझते हैं.
ऐसी बात नहीं है कि जामताड़ा जिला में बैठे पदाधिकारियों को जामताड़ा में हो रहे इस अवैध कारोबार की जानकारी नहीं है. सब कुछ जानकारी रहते हुए भी अंजान बने रहते हैं.
कभी कभार दिखाने के लिए छापेमारी अभियान चलाकर कार्रवाई कर खानापूर्ति कर दिखा दिया जाता है. बाद बाकी अवैध कारोबार चलते रहता है. अवैध कारोबार को लेकर कई बार शिकायत भी की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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स्थानीय समाजसेवी पशुपतिदेव ने बताया कि जामताड़ा जिले में हो रहे इस अवैध कारोबार को लेकर कई बार शिकायत की गई, लेकिन नतीजा अभी तक सिफर रहा है. पशुपतिदेव ने जानकारी देते हुए बताया कि करोड़ों रुपया राजस्व का नुकसान हो रहा है, लेकिन जामताड़ा के जिला प्रशासन चुप्पी साधे बैठी हुई है.
जिला में अवैध कारोबार अवैध खनन और परिवहन पर रोक लगाने को लेकर जिला टास्क फोर्स कमेटी की कमेटी बनाई गई है. बावजूद इसके अवैध कारोबार पर रोक नहीं लग पा रही है. नतीजा सरकार को होने वाले लाखों-करोड़ों राजस्व का चूना लगाया जा रहा है.