जामताड़ा: विश्व में विद्युत रेल इंजनों का सबसे बड़े निर्माता के रूप में अपनी पहचान को बरकरार रखते हुए चिरेका ने फिर एक नया इतिहास रचा है. बुधवार को चितरंजन रेल इंजन कारखाना ने अपने लक्ष्य को पूरा करते हुए उत्पादित 390वें विद्युत रेल इंजन राष्ट्र को समर्पित कर दिया है. चिरेका के महाप्रबंधक ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. सर्वाधिक रेल इंजन निर्माण के क्षेत्र में भारतीय रेल मानचित्र के शिखर पर विराजमान चित्तरंजन रेल इंजन कारखाना (चिरेका) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरोना के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद 31 मार्च 2021 तक सिर्फ 264 दिनों में 390 रेल इंजनों का उत्पादन कर ये ऐतिहासिक सफलता हासिल की है.
ये भी पढ़ें- हजारीबाग में खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट के न्यास परिषद की बैठक, खनन क्षेत्रों में मूलभूत नागरिक सुविधाओं पर हुई चर्चा
इस मौके पर कोविड–19 के सुरक्षा मानकों का पालन किया गया. चिरेका महाप्रबंधक और पदाधिकारियों ने अपने 390 रेलवे इंजन उत्पादन को सफलतापूर्वक राष्ट्र को समर्पित करते हुए कोविड के नियमों का पूरा ख्याल रखा. प्रतिमाह औसतन 40 से अधिक रेल इंजन उत्पादन किया. वैश्विक महामारी कोरोना के तमाम प्रतिबंधों के कारण वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहले छ्माही में उत्पादन की रफ्तार धीमी थी. राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय लॉकडाउन और प्रतिबंध के कारण ये समस्या उत्पन्न हुई. इसके बाद सही प्रबंधन और योजना के मुताबिक चिरेका ने द्वितीय और अंतिम वार्षिक छमाही में उत्पादन क्षमता को लगातार गति प्रदान करते हुए प्रतिमाह औसतन 40 से अधिक रेल इंजन का उत्पादन करते हुए दोगुनी संख्या के साथ इंजन का उत्पादन किया.
ये भी पढ़ें- रांची के गेतलसूद जलाशय में लगेगा फ्लोटिंग सोलर प्लांट, सीएम ने प्रस्ताव को दी स्वीकृति
महाप्रबंधक ने पूरी टीम को दी बधाई
सतीश कुमार कश्यप, महाप्रबंधक/चिरेका ने केवल 264 दिन में 390 इंजनों के सफल उत्पादन के लिए चिरेका परिवार के योगदान की सराहना की और पूरी टीम को बधाई दी. चितरंजन रेल इंजन फालना एशिया का सबसे बड़ा रेल उत्पादन करने वाला कारखाना है, जो लगातार नए आधुनिक तरीके से रेल इंजन का उत्पादन कर ना सिर्फ सफलता की ऊंचाई को छूने में सफल रहा है, बल्कि भारतीय रेल के विकास के साथ-साथ राष्ट्र के विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है.