हजारीबागः जल संचयन आज के समय में सबसे महत्वपूर्ण योजना है. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में अगर जल का संचयन नहीं हुआ तो विश्व युद्ध का कारण भी यह बन सकता है. ऐसे में हजारीबाग में जल संचयन से जुड़ी योजना से ग्रामीणों को काफी लाभ हो रहा है. जिससे भूमिगत जल स्तर बढ़ा है, तो दूसरी ओर कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन और अन्य उद्योग से किसान आत्मनिर्भर हो रहे हैं.
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जलछाजन को लेकर वृहद कार्यक्रम
जल संचयन अगर नहीं किया गया तो इसका परिणाम भविष्य में बहुत बुरा हो सकता है. ऐसे में सरकार और अन्य संस्था जल संचयन पर कार्य भी कर रहे हैं और सफलता भी मिल रही है. हजारीबाग जिले के इचाक प्रखंड में निजी संस्था की ओर से जल संचयन को लेकर वृहद कार्यक्रम चलाया गया है. जल संचयन के लिए न केवल 53 तालाब का निर्माण कराया गया, बल्कि हजारों एकड़ क्षेत्र में टीसीबी बनाया गया है. हजारों हजार एकड़ क्षेत्र में बने टीसीबी से करोड़ों लीटर जल जमीन के अंदर गया है.
लोगों को हो रहा आर्थिक लाभ
ग्रामीण सुधाकर शर्मा का कहना है कि वे पहले धान की खेती करते थे. जलछाजन से तालाब बनाने के बाद मत्स्य पालन कर रहे हैं. इसके साथ ही खेती भी किया जा रहा है. अब तक 50 से 60 किलो मछली भी बेच चुके हैं. आने वाले समय में मछली बेचने पर और भी अधिक मुनाफा होने की संभावना है. उनका यह भी कहना है कि मछली पालन के अलावा खेती के साथ-साथ हम लोग ईंट बनाने का काम भी कर रहे हैं. जिसमें तालाब के पानी का उपयोग किया जा रहा है. उनका कहना है कि जल संचयन से हम लोगों को कई लाभ हुए है. जहां भूमिगत स्तर बड़ा है तो हम लोगों को आर्थिक लाभ भी हो रहा है.
संस्था को मिल चुके है कई पुरस्कार
संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर नरेश ठाकुर का कहना है कि संस्था के कार्यों की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हो चुकी है. जल संसाधन मंत्रालय ने संस्था के कार्यों के आधार पर पूर्वी क्षेत्र में जल संरक्षण की दिशा में किए गए कार्य को देखते हुए प्रथम पुरस्कार दिया है. इतना ही नहीं फिक्की की ओर से भी इस कार्य को सम्मानित किया गया है. फिक्की ने भी पिछले 16 फरवरी को संस्था को पुरस्कार देकर सम्मानित किया है.
संस्था के जल संरक्षण कार्य में सहयोग
जल संचयन के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने वाले संजय कहते हैं कि जलछाजन से गांव की तस्वीर बदल रही है. अब तो ग्रामीण भी सहयोग करने लगे हैं. ग्रामीण को भी लग रहा है कि तालाब बनाने से मछली पालन के साथ-साथ खेती के काम में उन्हें सहयोग मिल रहा है. ऐसे में किसान अब आगे बढ़कर जल संरक्षण कार्य में सहयोग कर रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि किसान चाहते हैं कि अब उनके गांव में और भी अधिक टीबीसी का निर्माण कराया जाए, ताकि भूमिगत जल का स्तर और भी अधिक बढ़ सके.