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मजबूरी पर जुनून भारीः एक हाथ से हल चलाकर टूकन पालते हैं परिवार का पेट

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Published : Mar 6, 2021, 1:47 PM IST

Updated : Mar 7, 2021, 1:58 PM IST

हजारीबाग में चौपारण ब्लॉक के केंदुआकला के रहने वाले टूकन एक हाथ से खेत जोतकर पूरे परिवार का पेट पाल रहे हैं. अपनी से मेहनत और लगन से अपने खेत को हराभरा कर दिया. आज टूकन के बुलंद हौसले की चर्चा पूरे गांव में है.

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दिव्यांग टूकन

हजारीबागः चौपारण प्रखंड के केंदुआकला निवासी 40 वर्षीय टूकन एक हाथ से हल चलाकर खुद का और अपने परिजनों का पेट पालने की चुनौती को स्वीकार किया है. उनकी जीवटता की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. गरीबी से विवश होकर टूकन 10 वर्ष पूर्व जयपुर मजदूरी करने गए थे. काम के दौरान एक हादसे मे उनका बायां हाथ कट गया और उनके साथ गरीबी के अलावा लाचारी भी जुड़ गया. बेरोजगार होकर घर वापस आने के बाद से टूकन ने खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करने की ठानी, तब से टूकन अपने एक हाथ से खेती कर इलाके के प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- हजारीबागः निजी स्कूलों में RTE की अनदेखी, गरीब बच्चों को नहीं मिल रहा 25% आरक्षण का लाभ

टूकन के इस काम मे उसकी मां और पत्नी हाथ बंटाती हैं. हाथ कटने के बाद टूकन को उसकी मां ने उसे खेती करने के लिए प्रेरित किया. मां बताती हैं कि जयपुर से वापस आने के बाद से वह काफी मायूस रहा. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि इसे दिमागी तौर पर मजबूत करना होगा, तभी टूकन अपनी मंजिल कि ओर कदम बढ़ा पाएगा. मां ने टूकन का हौसला बढ़ाया और उसको खेती के लिए दिमागी रूप से मजबूत किया. टूकन आज भी खेती के लिए निकलते समय अपनी मां के हाथ से हल लेना नहीं भूलते.

सरकारी सहायता के लिए टूकन ने काफी भाग-दौड़ की. उसकी मेहनत रंग लाई और इसी महीने से इसे दिव्यांग पेंशन भी मिलना लगभग तय हो गया है. आवास को लेकर वह अभी-भी जूझ रहा है. मुखिया प्रतिनिधि सुरेश साव ने बताया कि सरकार की ओर से दिव्यांगजनों को अलग से कोई भी आवास मुहैया कराने की सुविधा नहीं है, इसलिए उन्हें भी आम लोगों की तरह आवास योजना का लाभ मिल सकेगा.

हजारीबागः चौपारण प्रखंड के केंदुआकला निवासी 40 वर्षीय टूकन एक हाथ से हल चलाकर खुद का और अपने परिजनों का पेट पालने की चुनौती को स्वीकार किया है. उनकी जीवटता की जितनी भी तारीफ की जाए कम है. गरीबी से विवश होकर टूकन 10 वर्ष पूर्व जयपुर मजदूरी करने गए थे. काम के दौरान एक हादसे मे उनका बायां हाथ कट गया और उनके साथ गरीबी के अलावा लाचारी भी जुड़ गया. बेरोजगार होकर घर वापस आने के बाद से टूकन ने खेती कर अपने परिवार का भरण पोषण करने की ठानी, तब से टूकन अपने एक हाथ से खेती कर इलाके के प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

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टूकन के इस काम मे उसकी मां और पत्नी हाथ बंटाती हैं. हाथ कटने के बाद टूकन को उसकी मां ने उसे खेती करने के लिए प्रेरित किया. मां बताती हैं कि जयपुर से वापस आने के बाद से वह काफी मायूस रहा. मुझे ऐसा महसूस हुआ कि इसे दिमागी तौर पर मजबूत करना होगा, तभी टूकन अपनी मंजिल कि ओर कदम बढ़ा पाएगा. मां ने टूकन का हौसला बढ़ाया और उसको खेती के लिए दिमागी रूप से मजबूत किया. टूकन आज भी खेती के लिए निकलते समय अपनी मां के हाथ से हल लेना नहीं भूलते.

सरकारी सहायता के लिए टूकन ने काफी भाग-दौड़ की. उसकी मेहनत रंग लाई और इसी महीने से इसे दिव्यांग पेंशन भी मिलना लगभग तय हो गया है. आवास को लेकर वह अभी-भी जूझ रहा है. मुखिया प्रतिनिधि सुरेश साव ने बताया कि सरकार की ओर से दिव्यांगजनों को अलग से कोई भी आवास मुहैया कराने की सुविधा नहीं है, इसलिए उन्हें भी आम लोगों की तरह आवास योजना का लाभ मिल सकेगा.

Last Updated : Mar 7, 2021, 1:58 PM IST
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