हजारीबागः आदि शक्ति मां दुर्गा के कई स्वरूप है. हर जगह अलग-अलग रूप की पूजा भी होती है. इसी क्रम में जिले के खजांची तालाब में शिव रूपा दुर्गा की पूजा की जाती है, जो अन्य पूजा से काफी अलग है. वहीं, इस मूर्ति का भी स्वरूप अलग है. दरअसल, वनवासी दुर्गा मां के माथे पर मुकुट के जगह चांद रहता है.
वनवासी दुर्गा का स्वरूप
पूरे देश भर में दुर्गा पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है. मां के अलग-अलग रूपों की पूजा हो रही है. इसी क्रम में जिले के खजांची तालाब परिसर में शिवाजी दुर्गा पूजा समिति पिछले कई सालों से शिव रूपा दुर्गा की पूजा करता आ रहा है. इसे वनवासी दुर्गा का भी स्वरूप कहते हैं. अन्य प्रतिमा से इसकी प्रतिमा भी अलग रहती है.
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आदि शक्ति मां दुर्गा की पूजा
प्रत्येक पूजा पंडाल में भगवान गणेश, कार्तिक, लक्ष्मी, सरस्वती के साथ आदि शक्ति मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा होती है, लेकिन शिव रूपा दुर्गा में सिर्फ मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा होती है. वनवासी दुर्गा मां के माथे पर मुकुट के जगह चंद्रमा रहता है और वह रुद्राक्ष की माला धारण की हैं. वहीं वेशभूषा भी अन्य रूप से अलग रहता है. ऐसा कहा जाता है कि हजारीबाग शहर में यह इकलौता ऐसा मंडप है, जहां शिव स्वरूपा वनवासी रूप की पूजा होती है.