हजारीबाग: लोग कहते हैं कि जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी संभव हो सकता है. हजारीबाग की श्रद्धा शर्मा ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. जिन्होंने महज 1 साल में अपने कठिन परिश्रम के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद की पहचान बनाई है.
आने वाले जून महीने में यूक्रेन में आयोजित इंटरनेशनल पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में श्रद्धा हिस्सा लेने जा रही हैं. यही नहीं आने वाले दिनों में नेपाल में होने वाले एशियन गेम में भी श्रद्धा का चयन हुआ है. श्रद्धा का कहना है कि उन्होंने कड़ी मेहनत और ईमानदारी के साथ प्रैक्टिस किया. उनके कोच राजकुमार ने उनको काफी मदद की और घर से भी काफी सपोर्ट मिला. इस कारण मैं इस मुकाम पर हूं. उनका यह भी कहना है कि कोई भी हो अगर इमानदारी पूर्वक अपने लक्ष्य के प्रति मेहनत करेगा, उसे सफलता अवश्य मिलती है. आज मुझे सफलता इसलिए मिली है क्योंकि मैंने अपना लक्ष्य बनाया था और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात मेहनत किया.
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श्रद्धा शर्मा ने एक साल में कई खिताब हासिल किया है. इंडियन पावर लिफ्टिंग फेडरेशन रांची में 28 जुलाई 2019 को आयोजित राज्य स्तरीय पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में पहली बार उन्होंने भाग लिया और सिल्वर मेडल प्राप्त किया. 2019 में नवंबर में धनबाद में आयोजित पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल जीते. यहां उन्हें राज्य के बेस्ट लिफ्टर का टाइटल भी मिला. 2020 के 8 फरवरी को झारखंड पावर लिफ्टिंग एसोसिएशन के तत्वावधान में रांची में आयोजित राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में तीन गोल्ड मेडल प्राप्त किया और यहां भी बेस्ट लिफ्टर के रूप में उन्हें टाइटल प्राप्त हुआ. मैडल लेने का सिलसिला थमा नहीं. श्रद्धा 15 फरवरी 2020 को नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन की ओर से आयोजित गुड़गांव में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भी गोल्ड मेडल विजेता रही. उन्होंने पूरे देश में आठवां स्थान प्राप्त किया. यहां भी वह स्ट्रांग वूमेन ऑफ इंडिया का टाइटल पाने में सफल रही.
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वजन कम करने के जुनून ने उन्हें पावर लिफ्टर बनाया है. उनका भी कहना है कि 1 साल पहले मेरा काफी अधिक वजन था. मैंने अपना वजन कम करने के लिए जिम जॉइन किया. इसके बाद मुझे इसी क्षेत्र में अपना कैरियर बनाने के लिए रूची हुई. मेरे कोच ने काफी मेहनत किया और आज मैं इस मुकाम पर हूं. उनके कोच भी कहते हैं कि पूरे देशभर में 10 लड़कियों का चयन इस प्रतियोगिता में हुआ है. श्रद्धा पूरे देश समेत हजारीबाग का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा करेगी.
ऐसे में उनका पूरा परिवार भी काफी अधिक उत्साहित है. मां-पिता का प्यार उसे मिल रहा. उसकी मां बताती है कि यह बचपन से ही काफी मेहनती रही है. अभी स्नातक की छात्रा है. हम लोगों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि हमारी बेटी इस मुकाम पर पहुंचेगी कि लोग उससे मिलने के लिए घर पर पहुंचेंगे. उसने मां-पिता का नाम रोशन किया है.
आज के दौर में श्रद्धा उन छात्राओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है. जो खुद को निस्सहाय और निर्बल समझती है. श्रद्धा ने वैसी छात्राओं को प्रेरणा भी दिया है जो अपने आप को निर्बल समझती है. श्रद्धा का कहना है कि महिला कभी निर्बल नहीं होती है. वह शक्ति स्वरूपा है. अपनी शक्ति को समझें और विश्व में कीर्तिमान स्थापित करें.