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झारखंड की आधुनिक पुलिसिंग की हकीकत, झोपड़ी में चलता है नक्सल प्रभावित आंगो थाना

हजारीबाग का नक्सल प्रभावित आंगो थाना बुनियादी सुविधा तो दूर एक भवन के लिए भी तरस रहा है. यह थाना किसी तरह एक झोपड़ी में चल रहा है. ऐसे में यहां ड्य़ूटी करना पुलिसवालों के लिए काफी कठिन हो जाता है. लेकिन सब बेबस हैं.

naxal affected Ango police station
naxal affected Ango police station
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Published : Apr 26, 2022, 8:20 AM IST

Updated : Apr 26, 2022, 8:35 AM IST

हजारीबागः जहां एक तरफ सभी सरकारी संस्थाओं में भवन के साथ सभी सिस्टम अपग्रेड हो रहे हैं, वहीं आज भी हजारीबाग का सुदूरवर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र आंगो थाना अपने भवन के लिए तरस रहा है. आलम यह है कि टूटी फूटी झोपड़ी में ही थाना चलाया जा रहा है. थाना में ना तो थाना प्रभारी के लिए बैठने के लिए चेंबर है और ना ही अब आम जनता के लिए. थाना में तैनात जवान भी किसी तरह ड्यूटी कर रहे हैं. पुलिसिंग करना यहां चुनौती से कम नहीं है.


Body:सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर इन दिनों सरकारी संस्थाओं के लिए भवन बना रही है. खास करके थाना अपग्रेड किया जा रहा है. ताकि पुलिस अच्छे माहौल में सेवा दे पाए. लेकिन हजारीबाग का सुदूरवर्ती घोर नक्सल प्रभावित आंगो थाना में किसी भी तरह की सुविधा नहीं है. आलम यह है कि करकट सीट में थाना चल रहा है. जहां एक ओर आसमान से आग बरस रहा है ऐसे में यहां के कर्मी करकट सीट के बने कमरे में ही बैठकर काम करते हैं. टूटी फूटी झोपड़ी के कमरे में पुलिसकर्मी एवं थाना प्रभारी रात में रहते भी हैं. जब कोई आरोपी को पकड़ा जाता है तो उनके लिए उन्हें रखना भी चुनौती से कम नहीं होता है. दरअसल आंगों थाना के लिए जमीन भी चिन्हित की गई और काम भी शुरू किया गया. जब काम शुरू किया गया तो पता चला कि वह जमीन वन विभाग का है. इस कारण काम अब रुक चुका है और फाइल धूल फांक रही है.

देखें पूरी खबर
आंगो थाना बोकारो, गिरिडीह और हजारीबाग के मुहाने पर बसा है. जहां अपराधी घटना को अंजाम देकर एक जिले से दूसरे जिले फरार हो जाते हैं. वहीं कभी इस क्षेत्र में नक्सलियों की तूती बोलती थी. सूर्यास्त होने के बाद कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकलता था. इसके बावजूद यह थाना नहीं बना. बीएसएफ की एक टुकड़ी भी यहां तैनात की गई थी. लेकिन अभाव के कारण वह भी यहां से अब दूसरी जगह शिफ्ट कर गई. हजारीबाग एसपी भी स्वीकार करते हैं कि यह क्षेत्र बेहद ही चुनौती भरा है.पुलिस का काम बेहद चुनौती भरा है. अगर उसे अच्छा माहौल नहीं मिला तो काम करना और भी चुनौती भरा हो जाता है. जहां एक ओर पूरे राज्य भर में थाना बनाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर आंगो थाना अभी भी जमीन के लिए तरस रहा है. बहर हाल वन विभाग जमीन देता है या नहीं यह तो समय बताएगा. लेकिन यहां के पुलिसकर्मी थाना भवन के लिए इंतजार कर रहे हैं.

हजारीबागः जहां एक तरफ सभी सरकारी संस्थाओं में भवन के साथ सभी सिस्टम अपग्रेड हो रहे हैं, वहीं आज भी हजारीबाग का सुदूरवर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र आंगो थाना अपने भवन के लिए तरस रहा है. आलम यह है कि टूटी फूटी झोपड़ी में ही थाना चलाया जा रहा है. थाना में ना तो थाना प्रभारी के लिए बैठने के लिए चेंबर है और ना ही अब आम जनता के लिए. थाना में तैनात जवान भी किसी तरह ड्यूटी कर रहे हैं. पुलिसिंग करना यहां चुनौती से कम नहीं है.


Body:सरकार करोड़ों रुपया खर्च कर इन दिनों सरकारी संस्थाओं के लिए भवन बना रही है. खास करके थाना अपग्रेड किया जा रहा है. ताकि पुलिस अच्छे माहौल में सेवा दे पाए. लेकिन हजारीबाग का सुदूरवर्ती घोर नक्सल प्रभावित आंगो थाना में किसी भी तरह की सुविधा नहीं है. आलम यह है कि करकट सीट में थाना चल रहा है. जहां एक ओर आसमान से आग बरस रहा है ऐसे में यहां के कर्मी करकट सीट के बने कमरे में ही बैठकर काम करते हैं. टूटी फूटी झोपड़ी के कमरे में पुलिसकर्मी एवं थाना प्रभारी रात में रहते भी हैं. जब कोई आरोपी को पकड़ा जाता है तो उनके लिए उन्हें रखना भी चुनौती से कम नहीं होता है. दरअसल आंगों थाना के लिए जमीन भी चिन्हित की गई और काम भी शुरू किया गया. जब काम शुरू किया गया तो पता चला कि वह जमीन वन विभाग का है. इस कारण काम अब रुक चुका है और फाइल धूल फांक रही है.

देखें पूरी खबर
आंगो थाना बोकारो, गिरिडीह और हजारीबाग के मुहाने पर बसा है. जहां अपराधी घटना को अंजाम देकर एक जिले से दूसरे जिले फरार हो जाते हैं. वहीं कभी इस क्षेत्र में नक्सलियों की तूती बोलती थी. सूर्यास्त होने के बाद कोई भी व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकलता था. इसके बावजूद यह थाना नहीं बना. बीएसएफ की एक टुकड़ी भी यहां तैनात की गई थी. लेकिन अभाव के कारण वह भी यहां से अब दूसरी जगह शिफ्ट कर गई. हजारीबाग एसपी भी स्वीकार करते हैं कि यह क्षेत्र बेहद ही चुनौती भरा है.पुलिस का काम बेहद चुनौती भरा है. अगर उसे अच्छा माहौल नहीं मिला तो काम करना और भी चुनौती भरा हो जाता है. जहां एक ओर पूरे राज्य भर में थाना बनाए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर आंगो थाना अभी भी जमीन के लिए तरस रहा है. बहर हाल वन विभाग जमीन देता है या नहीं यह तो समय बताएगा. लेकिन यहां के पुलिसकर्मी थाना भवन के लिए इंतजार कर रहे हैं.
Last Updated : Apr 26, 2022, 8:35 AM IST
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