हजारीबाग: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में हजारीबाग में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति काफी खराब हो गई थी. दूसरी लहर में 200 से ज्यादा लोगों की मौत कोरोना से हुई. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. आम लोगों का आरोप है कि सरकारी अस्पतालों में बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है और डॉक्टर्स की कमी से मरीज की मौत हो जा रही है. इस पर विधायक मनीष जायसवाल ने सवाल खड़े किए हैं, उनका कहना है कि बीमारी की रोकथाम के लिए सही फैसले नहीं किए गए. मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 100 डॉक्टर पढ़ा रहे हैं और मुश्किल वक्त में ऐसे डॉक्टरों की मदद ली जाती तो हालात ऐसे नहीं होते.
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विधायक ने सुपरिंटेंडेंट पर उठाए सवाल
विधायक ने सवाल उठाए हैं कि आपातकाल में ऐसे हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले डॉक्टर्स की ड्यूटी क्यों नहीं लगाई गई. आरोप है कि वार्ड ब्वॉय और नर्स को इलाज में लगा दिया गया. अगर डॉक्टर मुश्किल वक्त में सेवा देते तो मरीजों की जान बचाई जा सकती थी. ऐसा होता तो यहां औसतन दो मरीज पर एक डॉक्टर होते. कोरोना के चलते मृत्यु दर भी काफी कम होती. इस पर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज के सुपरिंटेंडेंट डॉक्टर विनोद कुमार का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है. चूंकि, यह मेडिकल कॉलेज अस्पताल है और इसके कुछ नियम होते हैं. अगर डॉक्टर्स की संख्या बढ़ती तो इसका फायदा भी मरीजों को मिलता. विधायक मनीष जयसवाल के सवाल बेहद गंभीर हैं. जरूरत है आने वाले दिनों में इस बिंदु पर भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को ध्यान देने की ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न बने.