हजारीबागः जिले के जेपी केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी योगेश कुमार चौहान ने मंगलवार देर रात जेल के अंदर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. योगेश हत्या के मामले में दोषी था और आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. एक सप्ताह पहले धनबाद जेल से उसे हजारीबाग केंद्रीय कारा में शिफ्ट किया गया था.
बताया जाता है कि वह मानसिक रूप से बीमार था. मानसिक रोगी होने के कारण उसका इलाज भी चल रहा था और उसने मंगलवार की देर रात आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने के बाद हजारीबाग की एसडीओ मेघा भारद्वाज भी कारा पहुंची और घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली.
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3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही
जेल के अंदर जेल प्रशासन को कैदियों का विरोध भी झेलना पड़ा. 3 साल के बाद पगली घंटी जेल के अंदर में बजाई गई. दरअसल पगली घंटी का अर्थ होता है कि जब जेल के अंदर स्थिति असामान्य हो जाती है तो उसे बजाकर अलर्ट किया जाता है. लगभग 8 मिनट तक पगली घंटी जेल में बजती रही. इस दौरान दो थाना सदर और लोसिंहगना के प्रभारी जेल पहुंचे. लगभग 3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही और स्थिति का जायजा लिया और कैदियों को समझाया भी. कैदियों ने मांग की है कि जेल के अंदर उन्हें दवा और अन्य सुविधा नहीं मिल रही है. जब तक जेल आईजी जेपी कारा में आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे, शव को उठाने नहीं दिया जाएगा.
सरकार से इंसाफ की मांग
पोस्टमार्टम कराने आए कैदी के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था, जिसका इलाज रिनपास में भी किया गया. ठीक होने के बाद उसे वापस धनबाद जेल भेजा गया और वहां से 11 दिसंबर 2016 को हजारीबाग जेल शिफ्ट किया गया. परिजनों ने कहा कि पिछले 2 महीने से उसको दवा भी नहीं दी गयी थी, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान था. पिछली बार जब जेल मे मुलाकात करने के लिए गए थे उस वक्त भी वह परेशान दिख रहा था, जिसे लेकर उन्होंने जेल प्रशासन को आवेदन भी दिया था कि उसे दवा मुहैया कराई जाए. लेकिन उसे दवा नहीं दी गयी और बुधवार को उसने आत्महत्या कर ली. इसके पीछे पूरा का पूरा जेल प्रशासन दोषी है. परिजनों ने अब सरकार से मांग की है कि उन्हें न्याय दी जाए.