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हजारीबाग जेल में कैदी ने की आत्महत्या, मानसिक रोग से था बीमार

हजारीबाग के लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में सजायाफ्ता कैदी ने आत्महत्या कर ली है. कैदी ने मंगलवार की रात अपने ही उचित सुरक्षा प्रकोष्ठ में से ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. सूचना के बाद हजारीबाग एसडीओ मेघा भारद्वाज ने भी जेल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया, जहां जेल के अंदर कैदियों ने जेल प्रशासन का विरोध किया.

हजारीबाग जेल में कैदी ने की आत्महत्या, मानसिक रोग से था बिमार
हजारीबाग जेल
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Published : Jan 15, 2020, 5:56 PM IST

हजारीबागः जिले के जेपी केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी योगेश कुमार चौहान ने मंगलवार देर रात जेल के अंदर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. योगेश हत्या के मामले में दोषी था और आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. एक सप्ताह पहले धनबाद जेल से उसे हजारीबाग केंद्रीय कारा में शिफ्ट किया गया था.

देखें पूरी खबर

बताया जाता है कि वह मानसिक रूप से बीमार था. मानसिक रोगी होने के कारण उसका इलाज भी चल रहा था और उसने मंगलवार की देर रात आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने के बाद हजारीबाग की एसडीओ मेघा भारद्वाज भी कारा पहुंची और घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली.

और पढ़ें- झारखंड विधानसभा से 'बेघर' रघुवर को चाहिए राजधानी में ठौर, किया सीएम हेमंत सोरेन से आग्रह

3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही

जेल के अंदर जेल प्रशासन को कैदियों का विरोध भी झेलना पड़ा. 3 साल के बाद पगली घंटी जेल के अंदर में बजाई गई. दरअसल पगली घंटी का अर्थ होता है कि जब जेल के अंदर स्थिति असामान्य हो जाती है तो उसे बजाकर अलर्ट किया जाता है. लगभग 8 मिनट तक पगली घंटी जेल में बजती रही. इस दौरान दो थाना सदर और लोसिंहगना के प्रभारी जेल पहुंचे. लगभग 3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही और स्थिति का जायजा लिया और कैदियों को समझाया भी. कैदियों ने मांग की है कि जेल के अंदर उन्हें दवा और अन्य सुविधा नहीं मिल रही है. जब तक जेल आईजी जेपी कारा में आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे, शव को उठाने नहीं दिया जाएगा.

सरकार से इंसाफ की मांग

पोस्टमार्टम कराने आए कैदी के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था, जिसका इलाज रिनपास में भी किया गया. ठीक होने के बाद उसे वापस धनबाद जेल भेजा गया और वहां से 11 दिसंबर 2016 को हजारीबाग जेल शिफ्ट किया गया. परिजनों ने कहा कि पिछले 2 महीने से उसको दवा भी नहीं दी गयी थी, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान था. पिछली बार जब जेल मे मुलाकात करने के लिए गए थे उस वक्त भी वह परेशान दिख रहा था, जिसे लेकर उन्होंने जेल प्रशासन को आवेदन भी दिया था कि उसे दवा मुहैया कराई जाए. लेकिन उसे दवा नहीं दी गयी और बुधवार को उसने आत्महत्या कर ली. इसके पीछे पूरा का पूरा जेल प्रशासन दोषी है. परिजनों ने अब सरकार से मांग की है कि उन्हें न्याय दी जाए.

हजारीबागः जिले के जेपी केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी योगेश कुमार चौहान ने मंगलवार देर रात जेल के अंदर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. योगेश हत्या के मामले में दोषी था और आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. एक सप्ताह पहले धनबाद जेल से उसे हजारीबाग केंद्रीय कारा में शिफ्ट किया गया था.

देखें पूरी खबर

बताया जाता है कि वह मानसिक रूप से बीमार था. मानसिक रोगी होने के कारण उसका इलाज भी चल रहा था और उसने मंगलवार की देर रात आत्महत्या कर ली. सूचना मिलने के बाद हजारीबाग की एसडीओ मेघा भारद्वाज भी कारा पहुंची और घटना के बारे में विस्तृत जानकारी ली.

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3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही

जेल के अंदर जेल प्रशासन को कैदियों का विरोध भी झेलना पड़ा. 3 साल के बाद पगली घंटी जेल के अंदर में बजाई गई. दरअसल पगली घंटी का अर्थ होता है कि जब जेल के अंदर स्थिति असामान्य हो जाती है तो उसे बजाकर अलर्ट किया जाता है. लगभग 8 मिनट तक पगली घंटी जेल में बजती रही. इस दौरान दो थाना सदर और लोसिंहगना के प्रभारी जेल पहुंचे. लगभग 3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही और स्थिति का जायजा लिया और कैदियों को समझाया भी. कैदियों ने मांग की है कि जेल के अंदर उन्हें दवा और अन्य सुविधा नहीं मिल रही है. जब तक जेल आईजी जेपी कारा में आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे, शव को उठाने नहीं दिया जाएगा.

सरकार से इंसाफ की मांग

पोस्टमार्टम कराने आए कैदी के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था, जिसका इलाज रिनपास में भी किया गया. ठीक होने के बाद उसे वापस धनबाद जेल भेजा गया और वहां से 11 दिसंबर 2016 को हजारीबाग जेल शिफ्ट किया गया. परिजनों ने कहा कि पिछले 2 महीने से उसको दवा भी नहीं दी गयी थी, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान था. पिछली बार जब जेल मे मुलाकात करने के लिए गए थे उस वक्त भी वह परेशान दिख रहा था, जिसे लेकर उन्होंने जेल प्रशासन को आवेदन भी दिया था कि उसे दवा मुहैया कराई जाए. लेकिन उसे दवा नहीं दी गयी और बुधवार को उसने आत्महत्या कर ली. इसके पीछे पूरा का पूरा जेल प्रशासन दोषी है. परिजनों ने अब सरकार से मांग की है कि उन्हें न्याय दी जाए.

Intro:हजारीबाग लोकनायक जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा में सजायाफ्ता कैदी ने आत्महत्या कर ली है। कैदी ने मंगलवार की रात अपने ही उचित सुरक्षा प्रकोष्ठ में से ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। सूचना के बाद हजारीबाग एसडीओ मेघा भरद्वाज भी जेल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। जहां जेल के अंदर कैदियों के द्वारा जेल प्रशासन को विरोध का सामना भी करना पड़ा।


Body:हजारीबाग के जीपी केंद्रीय कारा में बंद सजायाफ्ता कैदी योगेश कुमार चौहान ने मंगलवार देर रात जेल के अंदर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। योगेश हत्या के मामले में दोषी था और आजीवन कारावास काट रहा था। 1 सप्ताह पहले धनबाद जेल से उसे हजारीबाग केंद्रीय कारा में शिफ्ट किया गया ।बताया जाता है कि वह मानसिक रूप से बीमार था। मानसिक रोगी होने के कारण उसका इलाज भी चल रहा था और उसने मंगलवार की देर रात आत्महत्या कर ली ।सूचना मिलने के बाद हजारीबाग की एसडीओ मेघा भरद्वाज भी करा पहुंची और घटना के बारे में विस्तृत जानकारी जेल प्रशासन से ले लिया है। बताया जा रहा है कि 11 नंबर सेल में कैदी बंद था। घटना के बाद परिजनों को इसकी सूचना दे दी गई है।

जेल के अंदर कैदियों का विरोध भी जेल प्रशासन को झेलना पड़ा। 3 साल के बाद पगली घंटी जेल के अंदर में बजाई गई। दरअसल पगली घंटी का अर्थ होता है कि जब जेल के अंदर स्थिति असामान्य हो जाती है तो उसे बजाकर अलर्ट किया जाता है । जेल प्रशासन शक्ति के साथ विरोध को शांत करती है। ऐसे में आज लगभग 8 मिनट तक पगली घंटी जेल में बजता रहा। इस दौरान दो थाना सदर और लोसिंहगना के प्रभारी जेल पहुंचे लगभग। 3 से 4 घंटे तक एसडीओ भी जेल के अंदर रही है और स्थिति का जायजा लिया और कैदियों को समझाया भी। कैदियों ने मांग किया था कि जेल के अंदर उन्हें दवा और अन्य सुविधा नहीं मिल रही है। जब तक जेल आईजी जेपी कारा में आकर उनकी बात नहीं सुनेंगे शव को उठाने नहीं दिया जाएगा।

पोस्टमार्टम कराने आए आत्महत्या किए गए कैदी के परिजनों ने बताया कि वह मानसिक रूप से बीमार था। जिसका इलाज रिनपास में भी किया गया ।ठीक होने के बाद उसे वापस धनबाद जेल भेजा गया और वहां से 11 दिसंबर 2016 को हजारीबाग जेल शिफ्ट किया गया। परिजनों का कहना है कि पिछले 2 महीने से मृतक को दवा भी नहीं दिया गया था। जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान था। पिछली बार जब जेल मे मुलाकात करने के लिए गए थे उस वक्त भी वह परेशान दिख रहा था। जिसे लेकर हमने जेल प्रशासन को आवेदन भी दिया था कि उसे दवा मुहैया कराया जाए। लेकिन उसे दवा नहीं दिया गया और आज उसने आत्महत्या कर ली। इसके पीछे पूरा का पूरा जेल प्रशासन दोषी है। परिजनों ने अब सरकार से मांग किया है कि उन्हें न्याय दिया जाए।

byte.... मेघा भारद्वाज एसडीओ हजारीबाग
byte.... देवनंदन चौहान मृतक के पिता
byte.... सरस्वती देवी मृतक की मां


Conclusion:आपको बता दें कि 6 महीना के अंदर दूसरा मामला है कि जेल के अंदर किसी कैदी ने आत्महत्या किया हो। तो दूसरी ओर परिजनों ने जो आरोप लगाए हैं वह भी काफी गंभीर है। अब यह देखने वाली बात होगी कि मृतक के परिजनों को कब और कैसे न्याय मिलता है। वही पूरे घटना में जेल प्रशासन सुरक्षा संदेह के घेरे में हैं।
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