हजारीबाग: जिला के ऐतिहासिक महत्व को बताने की कोशिश भारतीय पुरातत्व विभाग कर रही है. पिछले 4 से 5 महीने से बहोरनपुर के सीतागढ़ा में उत्खनन का कार्य चल रहा है. जहां से कई ऐतिहासिक बहुमूल्य धरोहर मिले हैं. ऐसे में यह पूरे हजारीबाग समेत राज्य में कुतूहल का विषय बना हुआ है कि आखिर क्या मिल रहे हैं.
इस बात की जानकारी देने के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग ने प्रदर्शनी लगाया है. प्रदर्शनी के दौरान पुरातत्व विभाग के पदाधिकारियों ने बताया कि यह क्षेत्र काफी ऐतिहासिक है और जो उत्खनन के दौरान धरोहर मिल रहे हैं वह स्पष्ट कर रहा है किसका संबंध बुद्ध काल से रहा है. 11वीं से 12वीं सदी के बीच के यह पूरा आकृति उभर कर सामने आया है, जो ऐसा बताता है कि यहां बुद्ध भिक्षु ध्यान लगाते होंगे.
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लगभग 500 बुद्ध भिक्षु का यहां केंद्र रहा होगा. उनका यह भी मानना है कि इस क्षेत्र को अगर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाए तो यह इतिहास के कई राज खुलकर सामने आएंगे. यहां से मिले मृदभांड, मूर्ति के टुकड़े, अष्टदल कमल की आकृति यह सब विशेष महत्व वाले धरोहर है. उन्होंने बताया कि खंडित तारा की जो मूर्ति यहां मिली है इसी तरह की मूर्ति चतरा के भद्रकाली मंदिर के आसपास मिली है.
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जो धरोहर हजारीबाग के सुदूरवर्ती गांव में मिला है यह यहां के महत्व को दर्शाता है. हजारीबाग का यह क्षेत्र ओल्ड बनारस रोड के रूप में भी जाना जाता रहा है. ऐसे में यह बताया जाता है कि बुद्ध चतरा के भद्रकाली से होते हुए इसी रास्ते से आगे बड़े होंगे. इस कारण यहां इस तरह की आकृति मिल रही है, जो अध्ययन के साथ-साथ शोध का विषय भी है. जरूरत है सरकार को योजनाबद्ध तरीके से क्षेत्र में काम करने की.