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लॉकडाउन में बच्चों के व्यवहार पर हुआ परिवर्तन, स्कूल खुलना ही एकमात्र उपाय

कोरोना महामारी के कारण बच्चों की शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है. बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन में बच्चें पूरा दिन घरों में कैद हो गए थे, जिसकी वजह से बच्चों के व्यवहार में काफी बदलाव देखा जा रहा है. जोकि स्कूल खुलने के बाद ही सही हो सकेगा.

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लॉकडाउन का बच्चों पर पड़ा असर
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Published : Feb 1, 2021, 9:04 AM IST

Updated : Feb 1, 2021, 4:19 PM IST

हजारीबाग: कोरोना संक्रमण के कारण सबसे अधिक अगर असर दिखा है तो वह है स्कूल कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में. जहां पिछले 1 साल से ताला लगा हुआ है. ऐसे में छात्रों के व्यवहार में भी परिवर्तन हुआ है. अब छात्र के लेट से उठना, स्मार्टफोन के साथ सटे रहना और चुपचाप बैठे रहना यह देखने को मिल रहा है. ऐसे में अभिभावक तो परेशान हैं ही साथ ही साथ स्कूल प्रबंधन भी यह सोच रहा है कि आखिर कैसे बच्चों को फिर से उनके पुराने रूटीन में लाया जाए.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
लॉकडाउन में बच्चों में देखने को मिल रहा बदलाव कोरोना संक्रमण में छात्रों के जीवन शैली को ही बदल दिया है. पिछले लगभग 1 साल से स्कूल कॉलेज बंद हैं. झारखंड में अभी भी छोटे बच्चों के लिए स्कूल बंद रखा गया है. 10वीं से लेकर 12वीं तक के बच्चे की पढ़ाई स्कूल में हो रही है. ऐसे में छोटे बच्चे घर पर ही हैं, जिसके कारण उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा जा रहा है. अभिभावक भी बताते हैं कि इस लाकडॉउन ने बच्चों के व्यवहार को ही बदल दिया है. लेट से उठना, मोबाइल फोन से सटे रहना, टीवी देखना, उनके अब जीवन शैली में ही जुट गया है. ऐसे में बच्चे परेशान भी हैं, लेकिन उनका यह भी कहना है कि लॉकडाउन के कारण एक फायदा भी हुआ है कि बच्चे जो माता-पिता से दूरी बना कर रखे थे वह नजदीक आए हैं. उन्हें पता चला कि अभिभावक का महत्व क्या है, लेकिन इसके बावजूद स्कूल खुलना ही एकमात्र उपाय है. बच्चे दिन भर घर में या फिर कमरे में बंद रहते हैं. ऐसे में उनका सर्वांगीण विकास भी नहीं हो पा रहा है.छात्र चाहते है कि स्कूल जल्दी खुले1 साल का लंबा समय बीत जाने के बाद अब छात्र भी चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले. ऐसे में हजारीबाग में पढ़ने वाली छात्रा कहती है कि हम लोग कोशिश करते है कि स्कूल के रूटीन के अनुसार ही पढ़ाई करें, लेकिन हो नहीं पाता है. अब हम चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले, ताकि टीचर्स, दोस्तों से हमारी मुलाकात हो और हम अपने दोस्तों के साथ पढ़ें और खेलें.दोस्तों से मिलकर बच्चों को हो रही खुशीहजारीबाग के छठी क्लास में पढ़ने वाले छात्र कहते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई से लाभ तो जरूर हो रहा है, लेकिन टीचर और स्टूडेंट के बीच में जो कॉर्डिनेशन होता है वह खत्म हो चुका है. अब स्कूल खुलेगा तो टीचर्स हमें पढाएंगे. तो हमें अच्छा से समझ में आएगा. हम अपने दोस्तों से मुलाकात करेंगे तो हमारा मन भी लगेगा. बच्चे का यह भी कहना है कि 1 साल के बाद मैं अपने एक फ्रेंड से मिली तो मुझे काफी अच्छा लगा लगा.

इसे भी पढ़ें-दिल्ली के गाजीपुर में किसानों का प्रदर्शन, रातों-रात किले में तब्दील हुआ बॉर्डर


समय का मैनेजमेंट हुआ खत्म
स्पोर्ट्स टीचर कहते हैं कि लॉकडाउन होने के कारण स्कूल बंद रहा. ऐसे में बच्चों में ओवरवेट की समस्या आई है. बच्चे पहले जैसे एक्टिव भी नहीं है. टाइम मैनेजमेंट पूर्ण रूप से खत्म हो चुका है. ऐसे में अब हम लोग बच्चों को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं कि उन्हें स्कूल जाना है. स्कूल के ही समय के अनुसार खुद को ढालना है. तभी पढ़ने और खेलने में मन लगेगा.

बच्चों के लिखने की स्पीड हुई कम
हजारीबाग के प्रतिष्ठित संत जेवियर स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि हाल के दिनों में हम लोगों ने दसवीं क्लास के बच्चों की परीक्षा ली थी. उसमें देखा कि बच्चे कि लिखने की स्पीड कम हो गई है. बच्चे लिखना नहीं चाहते हैं. उन्हें लगातार क्लास में बैठने में भी समस्या आ रही है. ऐसे में जब स्कूल खुलेगा तो हम लोग ओरिएंटेशन क्लास लेंगे. 1 माह तक बच्चों को लिए विशेष ट्रेनिंग चलेगी. इस बाबत हम लोग आपस में शिक्षक तैयारी भी कर रहे हैं कि कैसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाया जाएं.

बच्चों को किया जा रहा है तैयार
विनोबा भावे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर सेवा देने वाले अभिभावक का कहना है कि हाल के दिनों में बच्चे केयरलेस हो गए है. बच्चों की सबसे बड़ी फितरत होती है कि वह शिक्षकों की बात अधिक समझते हैं, अभिभावकों का कम. ऐसे में स्कूल बंद होना बच्चों के लिए बहुत ही परेशानी भरा है. जल्द से जल्द स्कूल खुलेगी तो ही बच्चे फिर से अपने रूटीन में आ पाएंगे. उनका कहना है कि हम लोग बच्चों को अब घर पर यह बता रहे है कि स्कूल खुलने का समय आ रहा है, खुद को समय के अनुसार बदले.

हजारीबाग: कोरोना संक्रमण के कारण सबसे अधिक अगर असर दिखा है तो वह है स्कूल कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में. जहां पिछले 1 साल से ताला लगा हुआ है. ऐसे में छात्रों के व्यवहार में भी परिवर्तन हुआ है. अब छात्र के लेट से उठना, स्मार्टफोन के साथ सटे रहना और चुपचाप बैठे रहना यह देखने को मिल रहा है. ऐसे में अभिभावक तो परेशान हैं ही साथ ही साथ स्कूल प्रबंधन भी यह सोच रहा है कि आखिर कैसे बच्चों को फिर से उनके पुराने रूटीन में लाया जाए.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
लॉकडाउन में बच्चों में देखने को मिल रहा बदलाव कोरोना संक्रमण में छात्रों के जीवन शैली को ही बदल दिया है. पिछले लगभग 1 साल से स्कूल कॉलेज बंद हैं. झारखंड में अभी भी छोटे बच्चों के लिए स्कूल बंद रखा गया है. 10वीं से लेकर 12वीं तक के बच्चे की पढ़ाई स्कूल में हो रही है. ऐसे में छोटे बच्चे घर पर ही हैं, जिसके कारण उनके व्यवहार में परिवर्तन देखा जा रहा है. अभिभावक भी बताते हैं कि इस लाकडॉउन ने बच्चों के व्यवहार को ही बदल दिया है. लेट से उठना, मोबाइल फोन से सटे रहना, टीवी देखना, उनके अब जीवन शैली में ही जुट गया है. ऐसे में बच्चे परेशान भी हैं, लेकिन उनका यह भी कहना है कि लॉकडाउन के कारण एक फायदा भी हुआ है कि बच्चे जो माता-पिता से दूरी बना कर रखे थे वह नजदीक आए हैं. उन्हें पता चला कि अभिभावक का महत्व क्या है, लेकिन इसके बावजूद स्कूल खुलना ही एकमात्र उपाय है. बच्चे दिन भर घर में या फिर कमरे में बंद रहते हैं. ऐसे में उनका सर्वांगीण विकास भी नहीं हो पा रहा है.छात्र चाहते है कि स्कूल जल्दी खुले1 साल का लंबा समय बीत जाने के बाद अब छात्र भी चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले. ऐसे में हजारीबाग में पढ़ने वाली छात्रा कहती है कि हम लोग कोशिश करते है कि स्कूल के रूटीन के अनुसार ही पढ़ाई करें, लेकिन हो नहीं पाता है. अब हम चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले, ताकि टीचर्स, दोस्तों से हमारी मुलाकात हो और हम अपने दोस्तों के साथ पढ़ें और खेलें.दोस्तों से मिलकर बच्चों को हो रही खुशीहजारीबाग के छठी क्लास में पढ़ने वाले छात्र कहते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई से लाभ तो जरूर हो रहा है, लेकिन टीचर और स्टूडेंट के बीच में जो कॉर्डिनेशन होता है वह खत्म हो चुका है. अब स्कूल खुलेगा तो टीचर्स हमें पढाएंगे. तो हमें अच्छा से समझ में आएगा. हम अपने दोस्तों से मुलाकात करेंगे तो हमारा मन भी लगेगा. बच्चे का यह भी कहना है कि 1 साल के बाद मैं अपने एक फ्रेंड से मिली तो मुझे काफी अच्छा लगा लगा.

इसे भी पढ़ें-दिल्ली के गाजीपुर में किसानों का प्रदर्शन, रातों-रात किले में तब्दील हुआ बॉर्डर


समय का मैनेजमेंट हुआ खत्म
स्पोर्ट्स टीचर कहते हैं कि लॉकडाउन होने के कारण स्कूल बंद रहा. ऐसे में बच्चों में ओवरवेट की समस्या आई है. बच्चे पहले जैसे एक्टिव भी नहीं है. टाइम मैनेजमेंट पूर्ण रूप से खत्म हो चुका है. ऐसे में अब हम लोग बच्चों को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं कि उन्हें स्कूल जाना है. स्कूल के ही समय के अनुसार खुद को ढालना है. तभी पढ़ने और खेलने में मन लगेगा.

बच्चों के लिखने की स्पीड हुई कम
हजारीबाग के प्रतिष्ठित संत जेवियर स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि हाल के दिनों में हम लोगों ने दसवीं क्लास के बच्चों की परीक्षा ली थी. उसमें देखा कि बच्चे कि लिखने की स्पीड कम हो गई है. बच्चे लिखना नहीं चाहते हैं. उन्हें लगातार क्लास में बैठने में भी समस्या आ रही है. ऐसे में जब स्कूल खुलेगा तो हम लोग ओरिएंटेशन क्लास लेंगे. 1 माह तक बच्चों को लिए विशेष ट्रेनिंग चलेगी. इस बाबत हम लोग आपस में शिक्षक तैयारी भी कर रहे हैं कि कैसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाया जाएं.

बच्चों को किया जा रहा है तैयार
विनोबा भावे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर सेवा देने वाले अभिभावक का कहना है कि हाल के दिनों में बच्चे केयरलेस हो गए है. बच्चों की सबसे बड़ी फितरत होती है कि वह शिक्षकों की बात अधिक समझते हैं, अभिभावकों का कम. ऐसे में स्कूल बंद होना बच्चों के लिए बहुत ही परेशानी भरा है. जल्द से जल्द स्कूल खुलेगी तो ही बच्चे फिर से अपने रूटीन में आ पाएंगे. उनका कहना है कि हम लोग बच्चों को अब घर पर यह बता रहे है कि स्कूल खुलने का समय आ रहा है, खुद को समय के अनुसार बदले.

Last Updated : Feb 1, 2021, 4:19 PM IST
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