हजारीबाग: कोरोना संक्रमण के कारण सबसे अधिक अगर असर दिखा है तो वह है स्कूल कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में. जहां पिछले 1 साल से ताला लगा हुआ है. ऐसे में छात्रों के व्यवहार में भी परिवर्तन हुआ है. अब छात्र के लेट से उठना, स्मार्टफोन के साथ सटे रहना और चुपचाप बैठे रहना यह देखने को मिल रहा है. ऐसे में अभिभावक तो परेशान हैं ही साथ ही साथ स्कूल प्रबंधन भी यह सोच रहा है कि आखिर कैसे बच्चों को फिर से उनके पुराने रूटीन में लाया जाए.
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समय का मैनेजमेंट हुआ खत्म
स्पोर्ट्स टीचर कहते हैं कि लॉकडाउन होने के कारण स्कूल बंद रहा. ऐसे में बच्चों में ओवरवेट की समस्या आई है. बच्चे पहले जैसे एक्टिव भी नहीं है. टाइम मैनेजमेंट पूर्ण रूप से खत्म हो चुका है. ऐसे में अब हम लोग बच्चों को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं कि उन्हें स्कूल जाना है. स्कूल के ही समय के अनुसार खुद को ढालना है. तभी पढ़ने और खेलने में मन लगेगा.
बच्चों के लिखने की स्पीड हुई कम
हजारीबाग के प्रतिष्ठित संत जेवियर स्कूल के प्राचार्य का कहना है कि हाल के दिनों में हम लोगों ने दसवीं क्लास के बच्चों की परीक्षा ली थी. उसमें देखा कि बच्चे कि लिखने की स्पीड कम हो गई है. बच्चे लिखना नहीं चाहते हैं. उन्हें लगातार क्लास में बैठने में भी समस्या आ रही है. ऐसे में जब स्कूल खुलेगा तो हम लोग ओरिएंटेशन क्लास लेंगे. 1 माह तक बच्चों को लिए विशेष ट्रेनिंग चलेगी. इस बाबत हम लोग आपस में शिक्षक तैयारी भी कर रहे हैं कि कैसे बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए क्या-क्या कदम उठाया जाएं.
बच्चों को किया जा रहा है तैयार
विनोबा भावे विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर सेवा देने वाले अभिभावक का कहना है कि हाल के दिनों में बच्चे केयरलेस हो गए है. बच्चों की सबसे बड़ी फितरत होती है कि वह शिक्षकों की बात अधिक समझते हैं, अभिभावकों का कम. ऐसे में स्कूल बंद होना बच्चों के लिए बहुत ही परेशानी भरा है. जल्द से जल्द स्कूल खुलेगी तो ही बच्चे फिर से अपने रूटीन में आ पाएंगे. उनका कहना है कि हम लोग बच्चों को अब घर पर यह बता रहे है कि स्कूल खुलने का समय आ रहा है, खुद को समय के अनुसार बदले.