हजारीबाग: घर हो या बाहर खुद को ताजा रखने के लिए लोग अगर सबसे ज्यादा किसी पेय पदार्थ को पीते हैं तो वह चाय है. किसी भी शहर में हर गली-मोहल्ले में चाय की दुकानों देखने को मिलती है. जो सुबह 5 बजे से लेकर देर रात तक खुली रहती हैं. लेकिन लॉकडाउन की मार ने लोगों से दुकान में बैठकर चाय की चुस्की लेने का मजा ही छीन लिया.
हर्बल टी की मांग
हजारीबाग में भी चाय की लगभग 1 हजार से अधिक दुकानें हैं जो सुबह 5 बजे से रात के 9 बजे तक खुली मिलती है. समय बदलता चला गया और चाय की मांग भी बदलती चली गई. दूध वाली चाय के बाद नींबू की चाय का बाजार आया. उसके बाद अब हर्बल टी की मांग भी बाजार में हो रही है, लेकिन इस लॉकडाउन ने सभी तरह की चाय को लॉक कर दिया है और दुकानें बंद है. हजारीबाग के झंडा चौक पर की चाय दुकान में सबसे अधिक चाय की मांग देखने को मिलती थी, जबकि झील के पास तड़का वाली चाय भी काफी सुर्खियों में रही है.
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चाय का मजा लेने वालों का हाल बेहाल
इंद्रपुरी चौक के पास नींबू की चाय बेहद खास है. वह झील परिसर में मॉर्निंग वॉक करने वाले लोगों के लिए हर्बल टीका की तरह लगता है, लेकिन इन दिनों सारी दुकानें बंद है, जिससे चाय का मजा लेने वालों का हाल बेहाल है. झंडा चौक पर चाय दुकान लगाने वाले दुकानदार कहते हैं कि वो रोजाना 5 हजार रुपये का चाय बेचा करते थे, लेकिन अब दुकान का चूल्हा बुझा हुआ है और पेट की आग बढ़ती जा रही है. जो पैसा बचा कर रखा था वह अब खत्म हो रहा है.
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जिला प्रशासन के फैसले का स्वागत
इंद्रपुरी के पास नींबू का चाय बेचने वाले दुकानदार कहते हैं कि उनकी चाय की मांग ज्यादा था. सुबह से ही लोग दुकान पर चाय के लिए पहुंचते थे, लेकिन लॉकडाउन के कारण व्यवसाय चौपट हो गया. अब परिवार चलाना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं, पंच मंदिर चौक पर चाय की दुकान चलाने वाले चाय व्यवसायी कहते हैं कि उनका दुकान की चाय की मांग सबसे अधिक है, लेकिन यह ऐसा जगह है, जहां लोगों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है. ऐसे में कोरोना संक्रमण फैलने का भी खतरा अधिक रहता है. ऐसे में जिला प्रशासन ने चाय दुकान खोलने की इजाजत नहीं दी है और वो इस फैसले का स्वागत करते हैं. उनका कहना है कि प्रशासन को भी उनके बारे में सोचना चाहिए.
फ्री में बांटना पड़ता है दूध
हजारीबाग के एक दूध व्यापारी छवि गोप कहते हैं कि हजारीबाग में हजारों लीटर दूध की खपत सिर्फ चाय दुकानों में थी, लेकिन लॉकडाउन की वजह से अब चाय की दुकानें बंद है. इससे उनका व्यापार प्रभावित हुआ है. उनका कहना है कि पहले लोग उनसे दूध खरीदा करते थे, लेकिन अब फ्री में दूध अपने दोस्त और सगे संबंधी को पहुंचाना पड़ता है. प्रशासन को उनके बारे में भी कुछ सोचना चाहिए.