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झारखंड सरकार को 89 लाख के राजस्व की हानि, कोल माइंस में हड़ताल है वजह

झारखंड में कोल माइंस में हड़ताल की वजह से राज्य सरकार को 89 लाख 25 हजार राजस्व की हानि हुई है. एनटीपीसी पकरी बरवाडीह के अनुसार बानादाग रेलवे साइडिंग में भी 250 मजदूर कोयला ढुलाई का काम न होने की स्थिति में खाली बैठे हैं. इससे गरीब को रोटी के लाले पड़ रहे हैं.

89 लाख के राजस्व की हानि
89 लाख के राजस्व की हानि
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Published : Jul 15, 2020, 8:55 PM IST


हजारीबागः जिला के बड़कागांव में रोजगार और मुआवजे की मांग को लेकर एनटीपीसी के प्रभावित पोषक क्षेत्र के बेरोजगार युवकों का आंदोलन जारी है. जिसकी वजह से राज्य सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. 2,000 डंपर ड्राइवर भी काम न मिलने की वजह से संकट में हैं. बानादाग रेलवे साइडिंग में भी 250 मजदूर कोयला ढुलाई का काम न होने की स्थिति में खाली बैठे हैं. एनटीपीसी ने कहा कि इस बंद से राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है परंतु गरीब को रोटी के लाले पड़ रहे हैं. यह बंद नहीं खुला तो कितने ही परिवार आर्थिक तंगी का शिकार होंगे. बता दें कि एनटीपीसी पंकरी बरवाडी कोल माइन्स के प्रभावित पोषक क्षेत्र इस चेपा गांव के बेरोजगार युवक प्रशासन को पूर्व सूचित कार्यक्रम के तहत विगत तीन जुलाई से कंपनी का कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद कर दिया है.

ट्रांसपोर्टिंग ठप हो जाने के कारण 3 दिन के बाद एनटीपीसी ने कोयला खनन भी बंद कर दिया. इस आंदोलन में क्षेत्र के विधायक अंबा प्रसाद ने भी ग्रामीणों को सहयोग कर रहे हैं. कोयला खनन एवं ट्रांसपोर्टिंग बंद के 10 दिन बाद एनटीपीसी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि आंदोलन से राजनीति लाभ हो सकता है, लेकिन गरीब को खाने के लाले पड़ रहे हैं और खनन बंद होने से राज्य सरकार को 89 लाख 25 हजार राजस्व की हानि हुई है.

यह भी पढ़ेंः रांची झील बचाओ अभियान समिति का आंदोलन तेज, शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान

आंदोलन पर एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह ने 10 दिनों के बाद चुप्पी तोड़ते हुए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी बीमारी की वजह से वैश्विक मंदी छाई हुई है. कई निजी संस्थानों पर ताला जड़ चुका है, तो कुछ कर्मचारियों की छंटनी करने पर विवश हैं. व्यापार कम होने की वजह से सरकार को आय कम हो रही है. परंतु चिकित्सा पर व्यय बढ़ गया है. आम आदमी तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंच सके इसके लिए सरकार अनवरत कार्य कर रही है. इसके बावजूद भी आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार को खासी मेहनत और विरोधियों का वार सहना पड़ रहा है. कंपनी ने आगे कहा है कि 4 जुलाई से एनटीपीसी पकरी बरवाडीह की कोल माइंस में लगातार बंदी की वजह से झारखंड सरकार को 89 लाख 25 हजार राजस्व की हानि हुई है.

इस राशि से राज्य में लगभग 44,625 लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार दिया जा सकता था. आगे कहा गया कि यह आंकलन एनटीपीसी द्वारा कोविड 19 के प्रभाव के बावजूद भी रोजाना 30,000 मीट्रिक टन कोयला का उत्पादन करके विभिन्न परियोजनाओं को भेजा जा रहा था.

इस कोयला उत्पादन के बाद अस्पतालों और देश के अन्य व्यवसाय को एनटीपीसी की ओर से अनवरत बिजली की सप्लाई करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. कंपनी ने आगे कहा कि कुछ लोगों के राजनीतिक लालच की वजह से माइंस में काम करने वाले 3,0000 मजदूरों को नो वर्क, नो पे के आधार पर आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है.


हजारीबागः जिला के बड़कागांव में रोजगार और मुआवजे की मांग को लेकर एनटीपीसी के प्रभावित पोषक क्षेत्र के बेरोजगार युवकों का आंदोलन जारी है. जिसकी वजह से राज्य सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान हो रहा है. 2,000 डंपर ड्राइवर भी काम न मिलने की वजह से संकट में हैं. बानादाग रेलवे साइडिंग में भी 250 मजदूर कोयला ढुलाई का काम न होने की स्थिति में खाली बैठे हैं. एनटीपीसी ने कहा कि इस बंद से राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है परंतु गरीब को रोटी के लाले पड़ रहे हैं. यह बंद नहीं खुला तो कितने ही परिवार आर्थिक तंगी का शिकार होंगे. बता दें कि एनटीपीसी पंकरी बरवाडी कोल माइन्स के प्रभावित पोषक क्षेत्र इस चेपा गांव के बेरोजगार युवक प्रशासन को पूर्व सूचित कार्यक्रम के तहत विगत तीन जुलाई से कंपनी का कोयला ट्रांसपोर्टिंग बंद कर दिया है.

ट्रांसपोर्टिंग ठप हो जाने के कारण 3 दिन के बाद एनटीपीसी ने कोयला खनन भी बंद कर दिया. इस आंदोलन में क्षेत्र के विधायक अंबा प्रसाद ने भी ग्रामीणों को सहयोग कर रहे हैं. कोयला खनन एवं ट्रांसपोर्टिंग बंद के 10 दिन बाद एनटीपीसी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि आंदोलन से राजनीति लाभ हो सकता है, लेकिन गरीब को खाने के लाले पड़ रहे हैं और खनन बंद होने से राज्य सरकार को 89 लाख 25 हजार राजस्व की हानि हुई है.

यह भी पढ़ेंः रांची झील बचाओ अभियान समिति का आंदोलन तेज, शुरू हुआ हस्ताक्षर अभियान

आंदोलन पर एनटीपीसी पंकरी बरवाडीह ने 10 दिनों के बाद चुप्पी तोड़ते हुए अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कोरोना वायरस महामारी बीमारी की वजह से वैश्विक मंदी छाई हुई है. कई निजी संस्थानों पर ताला जड़ चुका है, तो कुछ कर्मचारियों की छंटनी करने पर विवश हैं. व्यापार कम होने की वजह से सरकार को आय कम हो रही है. परंतु चिकित्सा पर व्यय बढ़ गया है. आम आदमी तक चिकित्सा सुविधाएं पहुंच सके इसके लिए सरकार अनवरत कार्य कर रही है. इसके बावजूद भी आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए सरकार को खासी मेहनत और विरोधियों का वार सहना पड़ रहा है. कंपनी ने आगे कहा है कि 4 जुलाई से एनटीपीसी पकरी बरवाडीह की कोल माइंस में लगातार बंदी की वजह से झारखंड सरकार को 89 लाख 25 हजार राजस्व की हानि हुई है.

इस राशि से राज्य में लगभग 44,625 लोगों को मनरेगा के अंतर्गत रोजगार दिया जा सकता था. आगे कहा गया कि यह आंकलन एनटीपीसी द्वारा कोविड 19 के प्रभाव के बावजूद भी रोजाना 30,000 मीट्रिक टन कोयला का उत्पादन करके विभिन्न परियोजनाओं को भेजा जा रहा था.

इस कोयला उत्पादन के बाद अस्पतालों और देश के अन्य व्यवसाय को एनटीपीसी की ओर से अनवरत बिजली की सप्लाई करने के लिए युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है. कंपनी ने आगे कहा कि कुछ लोगों के राजनीतिक लालच की वजह से माइंस में काम करने वाले 3,0000 मजदूरों को नो वर्क, नो पे के आधार पर आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है.

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