हजारीबाग: कोरोना संक्रमण के दौर में बहुत कुछ बदल गया है. अब पार्टी के कार्यकर्ता और वरीय नेता भी एक दूसरे से ऑनलाइन मुलाकात कर रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने जूम ऐप के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की और अपनी बातों को रखा, लोगों की बातें सुनकर उनका जवाब भी दिया. जयंत सिन्हा इन दिनों अपने आवास में होम क्वॉरेंटाइन है. उन्होंने प्रेस वार्ता कर कोल माइंस के ऑक्शन पर राज्य सरकार पर निशाना साधा है, साथ ही केंद्र सरकार की उपलब्धि गिनाई है.
5 हजार स्थानीय लोगों को मिलेगा रोजगार
हजारीबाग सांसद जयंत सिन्हा ने बताया कि 41 माइंस का ऑनलाइन बिल्डिंग करना है और इनमें से 9 झारखंड में है. 1 हजारीबाग जिले के गोंलपुरा में माइंस पड़ता है. उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार को मदद नहीं कर रही है, लेकिन इस माइंस के निजीकरण होने के बाद हजारीबाग क्षेत्र का विकास होगा. उनका कहना है कि 400 करोड़ का रेवेन्यू मिलेगा. वह 600 करोड़ रुपाए खर्च भी होंगे, जिसमें 5 हजार स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा. उनका यह भी कहना है कि अगर 9 माइंस झारखंड में खुलते हैं तो वर्तमान में जो 4 हजार करोड़ रुपया माइनिंग में रॉयल्टी मिल रही है. खदान खोलने से 3 हजार करोड़ रूपया अतिरिक्त रॉयल्टी मिलेगी, जिससे राज्य को लाभ मिलेगा.
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राज्य का होगा बहुमुखी विकास
सांसद ने कहा कि विस्थापन, प्रदूषण, ट्रैफिक और भूमि अधिग्रहण समेत अन्य मामले को लेकर सरकार को विश्वास में लिया जाएगा. उनका कहना है कि वह राज्य सरकार को यह विश्वास दिलाना चाहते हैं कि इससे राज्य का बहुमुखी विकास होगा. उन्होंने यह भी कहा कि कोल ब्लॉक का निजीकरण करने से सीसीएल पर किसी भी तरह का नुकसान नहीं है. कोल ब्लॉक का निजीकरण करने के एकमात्र उद्देश्य विदेश से कोयला के आयात को रोकना है. जयंत सिन्हा का यह भी कहना है कि कॉल ब्लॉक नीलामी से अर्थव्यवस्था भी पटरी पर आएगी, जिसका सभी को लाभ मिलेगा.
झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
बता दें कि केंद्र सरकार की कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया शुरू होने के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. एडवोकेट जनरल राजीव रंजन ने सरकार की ओर से रिट याचिका दायर की है, जिसमें कहा है कि राज्य सरकार को इससे कोई लाभ नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान होगा. क्योंकि बाजार मूल्य नहीं मिलेंगे. उन्होंने कहा कि नीलामी के पहले एक विशाल जनजाति आबादी और जंगलों पर प्रतिकूल प्रभाव का मूल्यांकन नहीं किया गया है.