हजारीबागः गर्मी के मौसम में जब पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है. नदी, नाला, तालाब, पोखर सब सूख रहे हैं. दूसरी ओर हजारीबाग के चूरचू प्रखंड के चरही के कई गांवों में फसलें लहलहा रही हैं. इस इलाके में कड़ाके की गर्मी में भी तरबूज की फसल लहलहा रही है. इस लहलहाते फसलों के पीछे की वजह है उन्नत तरीके से की गई तरबूज की खेती. ये क्षेत्र पूरे झारखंड में तरबूज जोन के रूप में जाना जा रहा है. यहां किसान कम पानी का उपयोग कर टपक विधि अपनाकर खेती कर रहे हैं.
किसान भी कहते हैं कि वैज्ञानिक और उन्नत तरीके से तरबूज की खेती उनके लिए फायदे का व्यवसाय है. महज 75 दिनों में लाखों रुपए की कमाई का स्रोत बन गया है. किसानों का कहना है कि पहले कोयला साइकिल से ढोकर परिवार का पालन पोषण करते थे. अब उन्नत तकनीक अपनाकर बंजर भूमि में खेती कर रहे हैं. खेतों में सोना उगा रहें हैं. गांव के 15 से 20 लोगों को रोजगार भी दे रहें है.
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गांव के जनप्रतिनिधि भी कहते हैं कि जहां तरबूज की खेती हो रही है वहां एक साल पहले हाइवा, ट्रक लगा करती थी. ये भूमि पूरी तरह से बंजर थी. सरकार की मदद से बंजर भूमि में किसान सोना होगा रहे हैं. उनका कहना है कि आधुनिक कृषि पद्धति अपनाकर किसान ने यह कर दिखाया है. अब चरही के किसान पूरे झारखंड में अपनी अलग पहचान बना रहे हैं. आने वाले समय में चुरचू प्रखंड के कई गांवों में इसी तरह की खेती की जाएगी.
बता दें कि तरबूज हजारीबाग और कई शहरों में सप्लाई किया जा रहा है. वहीं, स्थानीय लोगों को भी तरबूज उपलब्ध कराने के लिए खेत के बाहर ही तरबूज बेचने की व्यवस्था की गई है. ऐसे में स्थानीय ग्राहक भी कहते हैं कि यहां के तरबूज में किसी भी तरह का सल्फेट या कृत्रिम उर्वरक का उपयोग नहीं किया गया है. जिससे ये तरबूज बाहर के तरबूजों से बेहतर है.