हजारीबागः सीआरपीएफ बटालियन-22 कैंपस में भारतीय रिजर्व बैंक की बैंकिंग विभाग की ओर से इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग के विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में सीआरपीएफ पदाधिकारियों और जवानों ने साइबर अपराधियों से लड़ने और नकली नोट पहचाने की गुर सीखे. नकली नोट की पहचान कैसे करें, इसे लेकर विशेष रूप से जानकारी दी गई.
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अपराधियों और नक्सलियों से लड़ने वाले सीआरपीएफ के जवानों ने साइबर क्राइम से लड़ने, नकली नोट की पहचान, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग फ्रॉड से बचने से संबंधित विधा सीखी. आरबीआई के पदाधिकारियों ने सीआरपीएफ जवानों को बताया कि अगर किसी के पास गलती से जाली नोट आ जाए, तो वह क्या करे. इसके साथ ही बताया गया कि पांच की संख्या में जाली नोट है, तो बैंक उस नकली नोट को जब्त कर लेती है और ग्राहक को इसके बदले एक रुपया भी नहीं देती है. उन्होंने कहा कि नकली नोट की संख्या अधिक है, तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान है.
हाल के दिनों में बढ़ा है साइबर क्राइम
पटना से हजारीबाग पहुंचे आरबीआई के क्षेत्रीय निदेशक संजीव दयाल ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को अब प्रमोट किया जा रहा है. आम जनता ने इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को स्वीकार किया है. इस दौरान साइबर क्राइम भी बढ़ रहे हैं. इस स्थिति में हमारी जिम्मेदारी है कि लोगों को फ्रॉड से बचने का उपाय सीखाये. उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ जवान सुरक्षा में तैनात रहते हैं, लेकिन यह हमारे फाइनेंसियल क्लाइंट भी हैं. इससे इन्हें हमलोग विशेष रूप से जानकारी दे रहे हैं.
इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को बनाया गया सुलभ
क्षेत्रीय निदेशक ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग का दायरा काफी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि आमलोगों की जरूरतों को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को काफी सुलभ बनाया गया. हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग को लेकर सतर्क रहने की भी जरूरत है.
मिली कई महत्वपूर्ण जानकारियां
सीआरपीएफ के कमांडेंट राकेश कुमार सिंह ने कहा कि जवान और पदाधिकारियों को कई महत्वपूर्ण जानकारी आरबीआई के पदाधिकारियों की ओर से दी गई है. यह जानकारी हमलोगों के लिए काफी कारगर साबित होगा. उन्होंने कहा कि इस जानकारी को आमलोगों तक प्रचार-प्रसार करेंगे, ताकि इसका लाभ लोगों तक पहुंचे.