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झारखंड के तीन मेडिकल कॉलेजों में RT-PCR टेस्ट बंद, कोरोना पर कैसे होगा वार

झारखंड में कोरोना संक्रमण (Corona in Jharkhand) की रोकथाम को लेकर गाइडलाइन जारी की गई है. नये गाइडलाइन के अनुसार स्कूल कॉलेज बंद किए गए हैं. वहीं 50 प्रतिशत पदाधिकारियों और कर्मचारियों के साथ सरकारी और प्राइवेट कार्यालय में काम होगा. लेकिन सरकार ने कई जगहों पर आरटीपीसीआर टेस्ट शुरू करवाने को लेकर कोई कदम नहीं उठाया है.

Sheikh Bhikhari Medical College and Hospital in Hazaribag
हजारीबाग में स्वास्थ्य व्यवस्था
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Published : Jan 4, 2022, 6:42 PM IST

Updated : Jan 4, 2022, 8:30 PM IST

हजारीबागः झारखंड में कोरोना संक्रमण (Corona in Jharkhand) की रफ्तार बढ़ गई है. इससे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के नये ओमीक्रोन वेरिएंट का खतरा मंडराने लगा है. इसके बावजूद राज्य के कई आरटीपीसीआर जांच लैब बंद है.

यह भी पढ़ेंःहजारीबाग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सैकड़ों की भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान राज्य सरकार ने हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पलामू मेडिकल कॉलेज और दुमका मेडिकल कॉलेज के लैब में आरटीपीसीआर जांच शुरू कराया, ताकि कोरोना जांच की गति बढ़ाई जा सके. लेकिन अब आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किट उपलब्ध नहीं होने की वजह से कोरोना जांच बंद है.

देखें पूरी खबर

चार महीने से नहीं मिला वेतन

कोरोना जांच बंद होने की खबर ईटीवी भारत ने पहले भी दिखाई है. लेकिन अब जो जानकारी मिली है वह और भी अधिक चिंताजनक है. ईटीवी भारत की टीम को मिली जानकारी के अनुसार तीन करोड़ रुपये लैब टेक्नीशियन के वेतन मद में बकाया है. वेतन नहीं मिलने से लैब टेक्नीशियन परेशान हैं. लैब टेक्नीशियन ने बताया कि हम दूसरे राज्यों से आकर यहां सेवा दे रहे हैं. लेकिन पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि काम हजारीबाग में कर रहे हैं और खाने के लिए घर से पैसा मंगवाना पड़ रहा है.

70 लैबकर्मी है कार्यरत

लैब टेक्नीशियन ने कहा कि 70 लैबकर्मी तीनों मेडिकल कॉलेज में सेवा दे रहे हैं. 3 जुलाई 2020 से काम शुरू किया. लेकिन अक्टूबर महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. प्रत्येक लैब टेक्नीशियन को 25 से 30 हजार वेतन मिलता है. वेतन राज्य सरकार भुगतान करती है, जो फ्रेजा फाउंडेशन के जरिए हमलोगों को मिलता है. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान हमलोगों ने 50 हजार कोरोना जांच एक महीने में की थी.

तीनों मेडिकल कॉलेज में छह हजार हो रही थी जांच

तीनों प्रमंडल के मेडिकल कॉलेज में लैब पीपीपी मोड पर फ्रेजा फाउंडेशन की ओर से संचालित की जा रही है, जिसका कोर डायग्नोस्टिक कंपनी है. प्रत्येक लैब में प्रतिदिन न्यूनतम दो हजार से अधिक सैंपल की जांच की जाती थी. इस प्रकार एक प्रमंडल में आने वाले कई जिलों के सैंपल की जांच होती थी. तीनों प्रमंडल के लैब की बात की जाए तो न्यूनतम 6,000 से अधिक टेस्ट प्रतिदिन होती थी. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. सुविधा नहीं मिलने के कारण टेस्टिंग कार्य बंद है. इस स्थिति में संभावित तीसरी लहर से कैसे लड़ेंगे, यह बड़ा सवाल है.


इटकी भेजा जा रहा कलेक्ट कोरोना जांच सैंपल

लैब बंद होने के संबंध में हजारीबाग के कोई भी पदाधिकारी बोलने को तैयार नहीं है. पदाधिकारियों ने बताया कि तीनों लैब के बारे में कुछ भी जानकारी रांची से मिलेगी. लैब से संबंधित अधिकारी यहां नहीं बैठते हैं. वहीं लैब टेक्नीशियन भी कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुए. इसकी वजह थी कि उनको नौकरी जाने का खतरा था. बता दें कि हजारीबाग से अब सैंपल कलेक्ट कर इटकी और अन्य जिलों में जांच के लिए भेजा जा रहा है. जांच सैंपल की संख्या अधिक होने की वजह से रिपोर्ट आने में विलंब हो रही है. इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा काफी अधिक बढ़ गया है.

हजारीबागः झारखंड में कोरोना संक्रमण (Corona in Jharkhand) की रफ्तार बढ़ गई है. इससे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. इसके साथ ही कोरोना संक्रमण के नये ओमीक्रोन वेरिएंट का खतरा मंडराने लगा है. इसके बावजूद राज्य के कई आरटीपीसीआर जांच लैब बंद है.

यह भी पढ़ेंःहजारीबाग मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर सैकड़ों की भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियां

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान राज्य सरकार ने हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल, पलामू मेडिकल कॉलेज और दुमका मेडिकल कॉलेज के लैब में आरटीपीसीआर जांच शुरू कराया, ताकि कोरोना जांच की गति बढ़ाई जा सके. लेकिन अब आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि किट उपलब्ध नहीं होने की वजह से कोरोना जांच बंद है.

देखें पूरी खबर

चार महीने से नहीं मिला वेतन

कोरोना जांच बंद होने की खबर ईटीवी भारत ने पहले भी दिखाई है. लेकिन अब जो जानकारी मिली है वह और भी अधिक चिंताजनक है. ईटीवी भारत की टीम को मिली जानकारी के अनुसार तीन करोड़ रुपये लैब टेक्नीशियन के वेतन मद में बकाया है. वेतन नहीं मिलने से लैब टेक्नीशियन परेशान हैं. लैब टेक्नीशियन ने बताया कि हम दूसरे राज्यों से आकर यहां सेवा दे रहे हैं. लेकिन पिछले 4 महीने से वेतन नहीं मिला है. उन्होंने कहा कि काम हजारीबाग में कर रहे हैं और खाने के लिए घर से पैसा मंगवाना पड़ रहा है.

70 लैबकर्मी है कार्यरत

लैब टेक्नीशियन ने कहा कि 70 लैबकर्मी तीनों मेडिकल कॉलेज में सेवा दे रहे हैं. 3 जुलाई 2020 से काम शुरू किया. लेकिन अक्टूबर महीने से वेतन नहीं मिल रहा है. प्रत्येक लैब टेक्नीशियन को 25 से 30 हजार वेतन मिलता है. वेतन राज्य सरकार भुगतान करती है, जो फ्रेजा फाउंडेशन के जरिए हमलोगों को मिलता है. उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान हमलोगों ने 50 हजार कोरोना जांच एक महीने में की थी.

तीनों मेडिकल कॉलेज में छह हजार हो रही थी जांच

तीनों प्रमंडल के मेडिकल कॉलेज में लैब पीपीपी मोड पर फ्रेजा फाउंडेशन की ओर से संचालित की जा रही है, जिसका कोर डायग्नोस्टिक कंपनी है. प्रत्येक लैब में प्रतिदिन न्यूनतम दो हजार से अधिक सैंपल की जांच की जाती थी. इस प्रकार एक प्रमंडल में आने वाले कई जिलों के सैंपल की जांच होती थी. तीनों प्रमंडल के लैब की बात की जाए तो न्यूनतम 6,000 से अधिक टेस्ट प्रतिदिन होती थी. लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. सुविधा नहीं मिलने के कारण टेस्टिंग कार्य बंद है. इस स्थिति में संभावित तीसरी लहर से कैसे लड़ेंगे, यह बड़ा सवाल है.


इटकी भेजा जा रहा कलेक्ट कोरोना जांच सैंपल

लैब बंद होने के संबंध में हजारीबाग के कोई भी पदाधिकारी बोलने को तैयार नहीं है. पदाधिकारियों ने बताया कि तीनों लैब के बारे में कुछ भी जानकारी रांची से मिलेगी. लैब से संबंधित अधिकारी यहां नहीं बैठते हैं. वहीं लैब टेक्नीशियन भी कैमरे के सामने बोलने को तैयार नहीं हुए. इसकी वजह थी कि उनको नौकरी जाने का खतरा था. बता दें कि हजारीबाग से अब सैंपल कलेक्ट कर इटकी और अन्य जिलों में जांच के लिए भेजा जा रहा है. जांच सैंपल की संख्या अधिक होने की वजह से रिपोर्ट आने में विलंब हो रही है. इससे कोरोना संक्रमण फैलने का खतरा काफी अधिक बढ़ गया है.

Last Updated : Jan 4, 2022, 8:30 PM IST
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