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Contract Farming in Hazaribag: हजारीबाग में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का सच, फसल तैयार, खरीदार ने खड़े किए हाथ

लेमन ग्रास की खेती इन दिनों बेहद सुर्खियों में है. कहा जाता है कि लेमन ग्रास की खेती कर किसान अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं. ऐसे में Jslps ने भी किसानों को लेमन ग्रास की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया और वादा किया कि उनके उपजाये हुए लेमनग्रास की खरीदारी भी झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के द्वारा की जाएगी. लेकिन हजारीबाग के दारू प्रखंड में सोसाइटी ने अब लेमनग्रास खरीदने से हाथ खड़ा कर दिया है. जिससे कॉन्टेक्ट फार्मिंग पर ही सवाल खड़ा हो गया है.

Contract Farming in Hazaribag
हजारीबाग में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
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Published : Jan 6, 2022, 7:39 AM IST

Updated : Jan 6, 2022, 8:14 AM IST

हजारीबागः जिले के दारू प्रखंड के कई गांव में लेमन ग्रास की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. लगभग 50 एकड़ जमीन में किसानों ने लेमनग्रास लगाया है. जिसमें 300 से अधिक छोटे-बड़े किसान संलिप्त हैं. लेकिन अब इनके लिए बहुत बड़ी समस्या सामने आ गई है. उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. ऐसे में खेत में लेमनग्रास सूख रहा है. दारू में महिला समूह के द्वारा फैक्ट्री भी लगाई गई है. जिसमें लेमन ग्रास से तेल निकालने का काम किया जाता है. महिला समूह के द्वारा किसानों को लेमनग्रास लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और कहा गया कि ₹10 प्रति किलो लेमनग्रास खरीदा जाएगा. लेकिन अब किसान ₹3 किलो भी देने को तैयार हैं लेकिन उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. किसान कहते हैं कि हम लोग बेहद परेशान हैं. क्योंकि हमारा लेमनग्रास नहीं खरीदा जा रहा है.

ये भी पढ़ेंः एक पान सौ जायकाः फर्स्ट नाइट पान का जायका बना देगा हर लम्हे को यादगार, ₹2100 का पान चख भी कहें हूं...


झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की. जहां किसानों को कहा गया कि आपका उपजाया हुआ लेमन ग्रास हमलोग खुद ही खरीदेंगे. ऐसे में किसानों ने भी बहुत ही उत्साह के साथ लेमन ग्रास की खेती की. किसान बताते हैं कि हमारे प्रखंड में लगभग 30 से 40 लाख रुपया का लेमनग्रास लगा हुआ है लेकिन खरीदार नहीं आ रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि पहले कहा गया था कि हम लोग खेत से ही लेमनग्रास ले जाएंगे. लेकिन अब कहा जाता है कि काट कर दो, इसके बाद कहा कि सूखा कर दो और अब कहा जा रहा है कि तेल जितना निकलेगा उसी हिसाब से पैसा दिया जाएगा. लेकिन किसी भी शर्त पर खरीदारी नहीं हो रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के कर्मी बताते हैं कि हमारे मशीन खराब हैं जिस कारण तेल निकालना संभव नहीं है. इस कारण हम लोग खरीदारी नहीं कर रहे हैं. जैसे ही मशीन ठीक हो जाएगी. हम लोग फिर से लेमनग्रास की खरीदारी करना शुरू कर देंगे. जिससे किसान लेमनग्रास बेच पाएंगे. उनका यह भी कहना है कि लेमन ग्रास की खेती बेहद फायदेमंद है. लेकिन इस बार तो किसानों को घाटा सहना ही पड़ेगा. क्योंकि हमारे पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है.सोसाइटी ने तो स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान समय में वह खरीदारी नहीं कर पाएंगे. ऐसे में किसान को घाटा सहना पड़ेगा. यहां सवाल यह खड़ा होता है कि किसान अब क्या करे, किसानों का यह भी कहना है कि हम लोगों के सामने कोई विकल्प ही नहीं है. हमारी जमीन फंस गई है और पूंजी भी डूब गई. अगर हम घास काटते भी हैं तो हमें हजारों रुपया खर्चा करना पड़ेगा. इसके बाद भी खेत मैं किसी दूसरे फसल की खेती हम नहीं कर पाएंगे. क्योंकि खेत की मिट्टी पर भी असर पड़ गया है.कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मतलब है, किसान अपनी जमीन पर ही खेती करेगे लेकिन दूसरे के लिए. किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसी कंपनी या व्यक्ति के साथ करते हैं. इस खेती में किसान द्वारा उगाई गई फसल को कॉन्ट्रैक्टर खरीदता है. खास बात यह है, कि किसान की उगाई गई फसल के दाम भी कॉन्ट्रैक्ट में पहले से ही तय किया जाता है. लेकिन यह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अब किसानों के लिए अभिशाप बन गया है. दारू में हुए लेमन ग्रास की खरीदारी नहीं होने पर अब किसानों का विश्वास भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उठता जा रहा है. बाहरहाल देखने वाली बात होगी कि कैसे सोसाइटी किसानों का दिल जीत पाती है.

हजारीबागः जिले के दारू प्रखंड के कई गांव में लेमन ग्रास की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है. लगभग 50 एकड़ जमीन में किसानों ने लेमनग्रास लगाया है. जिसमें 300 से अधिक छोटे-बड़े किसान संलिप्त हैं. लेकिन अब इनके लिए बहुत बड़ी समस्या सामने आ गई है. उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. ऐसे में खेत में लेमनग्रास सूख रहा है. दारू में महिला समूह के द्वारा फैक्ट्री भी लगाई गई है. जिसमें लेमन ग्रास से तेल निकालने का काम किया जाता है. महिला समूह के द्वारा किसानों को लेमनग्रास लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और कहा गया कि ₹10 प्रति किलो लेमनग्रास खरीदा जाएगा. लेकिन अब किसान ₹3 किलो भी देने को तैयार हैं लेकिन उनके लेमनग्रास की खरीदारी नहीं हो रही है. किसान कहते हैं कि हम लोग बेहद परेशान हैं. क्योंकि हमारा लेमनग्रास नहीं खरीदा जा रहा है.

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झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने एक तरह से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत की. जहां किसानों को कहा गया कि आपका उपजाया हुआ लेमन ग्रास हमलोग खुद ही खरीदेंगे. ऐसे में किसानों ने भी बहुत ही उत्साह के साथ लेमन ग्रास की खेती की. किसान बताते हैं कि हमारे प्रखंड में लगभग 30 से 40 लाख रुपया का लेमनग्रास लगा हुआ है लेकिन खरीदार नहीं आ रहे हैं. उनका यह भी कहना है कि पहले कहा गया था कि हम लोग खेत से ही लेमनग्रास ले जाएंगे. लेकिन अब कहा जाता है कि काट कर दो, इसके बाद कहा कि सूखा कर दो और अब कहा जा रहा है कि तेल जितना निकलेगा उसी हिसाब से पैसा दिया जाएगा. लेकिन किसी भी शर्त पर खरीदारी नहीं हो रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के कर्मी बताते हैं कि हमारे मशीन खराब हैं जिस कारण तेल निकालना संभव नहीं है. इस कारण हम लोग खरीदारी नहीं कर रहे हैं. जैसे ही मशीन ठीक हो जाएगी. हम लोग फिर से लेमनग्रास की खरीदारी करना शुरू कर देंगे. जिससे किसान लेमनग्रास बेच पाएंगे. उनका यह भी कहना है कि लेमन ग्रास की खेती बेहद फायदेमंद है. लेकिन इस बार तो किसानों को घाटा सहना ही पड़ेगा. क्योंकि हमारे पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है.सोसाइटी ने तो स्पष्ट कर दिया कि वर्तमान समय में वह खरीदारी नहीं कर पाएंगे. ऐसे में किसान को घाटा सहना पड़ेगा. यहां सवाल यह खड़ा होता है कि किसान अब क्या करे, किसानों का यह भी कहना है कि हम लोगों के सामने कोई विकल्प ही नहीं है. हमारी जमीन फंस गई है और पूंजी भी डूब गई. अगर हम घास काटते भी हैं तो हमें हजारों रुपया खर्चा करना पड़ेगा. इसके बाद भी खेत मैं किसी दूसरे फसल की खेती हम नहीं कर पाएंगे. क्योंकि खेत की मिट्टी पर भी असर पड़ गया है.कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का मतलब है, किसान अपनी जमीन पर ही खेती करेगे लेकिन दूसरे के लिए. किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसी कंपनी या व्यक्ति के साथ करते हैं. इस खेती में किसान द्वारा उगाई गई फसल को कॉन्ट्रैक्टर खरीदता है. खास बात यह है, कि किसान की उगाई गई फसल के दाम भी कॉन्ट्रैक्ट में पहले से ही तय किया जाता है. लेकिन यह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अब किसानों के लिए अभिशाप बन गया है. दारू में हुए लेमन ग्रास की खरीदारी नहीं होने पर अब किसानों का विश्वास भी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से उठता जा रहा है. बाहरहाल देखने वाली बात होगी कि कैसे सोसाइटी किसानों का दिल जीत पाती है.
Last Updated : Jan 6, 2022, 8:14 AM IST
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