हजारीबागः विश्व रक्तदान दिवस (world blood donation day) के अवसर पर सोमवार को मुख्यमंत्री (Chief Minister) हेमंत सोरेन ने हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribagh Medical College Hospital) के साथ साथ जमशेदपुर, पलामू, रांची, गुमला और गिरिडीह में ऑनलाइन ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (blood component separation unit) का शिलान्यास किया है. शिलान्यास कार्यक्रम को लेकर हजारीबाग मेडिकल कॉलेज में समारोह आयोजित किया गया, जिसमें शहर के लोग शामिल हुए, लेकिन जनप्रतिनिधि नदारद दिखे.
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उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ब्लड की कमी है. उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मौत रक्त के अभाव में ना हो, इसे सुनिश्चित करना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिले में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट की व्यवस्था की जाएगी. भविष्य में ऐसी योजना बनानी है, ताकि लाभुकों को डोनर लाने की जरूरत ना पड़े. इसके साथ ही शहीद की शहादत दिवस पर रक्तदान शिविर लगाए जाएंगे. इसको लेकर वार्षिक कैलेंडर का विमोचन किया गया.
रक्तदान शिविर का आयोजन
मेडिकल कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम के दौरान रक्तदान शिविर भी लगाया गया, जिसमें शहर के दर्जनों लोगों ने रक्तदान किया. इस दौरान 5 लोगों को ऑनलाइन सटिर्फिकेट भी दिया गया. रक्तदान के सर्टिफिकेट लेने वालों ने कहा कि रक्तदान बहुत जरूरी है. डॉ सोनल जैन कहती हैं कि मेरे पिता अब तक 80 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं. पति से प्रेरित होकर रक्तदान करती हूं.
महिलाओं को प्रेरित करना जरूरी
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत डॉ श्वेता लाल कहती हैं कि महिलाओं में रक्तदान करने की प्रवृत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से रक्तदान किया है. यही वजह है कि आज मेरे साथ कई लोग रक्तदान कर रहे हैं.
80 बार से अधिक रक्तदान और 1000 से अधिक रक्तदान कैंप लगाने वाले निर्मल जैन कहते है कि एक महिला को रक्त के अभाव में मरते हुए देखा था, तब से ठाना कि जिले में रक्त की कमी नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि लगातार लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित भी करते हैं.
लोगों से रक्तदान करने की अपील
उपायुक्त आदित्य कुमार आनंद ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि रक्तदान कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें. ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट हजारीबाग के लिए मील का पत्थर साबित होगा. बता दें कि भले ही हजारीबाग के जनप्रतिनिधियों ने कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन आम लोग बढ़-चढ़कर रक्तदान करने पहुंचे. यह समाज के लिए बेहतर संकेत हैं.