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हजारीबाग: आत्मनिर्भर बनने का सपना अब तक अधूरा, आईटीआई भवन को है उद्घाटन की दरकार

हजारीबाग जिला में तीन साल से बना आईटीआई भवन अब झाड़ियों में तब्दील होता दिखाई दे रहा है. इसको लेकर उपायुक्त का कहना है कि एप्रोच रोड नहीं होने से ITI सेंटर का उद्घाटन नहीं हो पा रहा है.

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आईटीआई भवन अब झाड़ियों में तब्दील
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Published : Jan 3, 2021, 3:58 PM IST

Updated : Jan 3, 2021, 10:35 PM IST

हजारीबाग: आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना जिला में सार्थक नहीं हो पा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों में शुमार स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत युवाओं में प्रशिक्षण की तरफ से तकनीकी ज्ञान बढ़े. लेकिन हजारीबाग के इचाक प्रखंड के बोंगा गांव में जहां सड़क सुविधा नहीं होने के कारण 9 करोड़ की बिल्डिंग अब धूल फांक रहा है. आलम यह है कि राज्यपाल की तरफ से शिलान्यास पट भी झाड़ियों से घिर गया है.

देखें स्पेशल खबर



कबाड़ में तब्दील हुआ आईटीआई भवन
हजारीबाग मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर पर 9 करोड़ की लागत से बनाया गया. आईटीआई भवन अब कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है. इस केंद्र को जाने के लिए एप्रोच रोड नहीं है. लिहाजा किसी विभाग की तरफ से 3 साल पहले बना देने के बाद भी यहां आईटीआई सेंटर चालू नहीं हो पाया. 3 साल बन जाने के बाद चालू नहीं होने के कारण केंद्र में अब बड़े-बड़े झाड़ी उग आए हैं. प्रशासनिक भवन से लेकर कार्यशाला तक झाड़ियों का कब्जा है. इसे देखने समझने वाला कोई नहीं है. यहां तक की तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद का लगा शीला पट गिर गया है. यहां के समाजसेवी का कहना है कि यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि आईटीआई जैसा केंद्र बनने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.



केयरटेकर के रूप में रखा गया
इस भवन में एक युवक को केयरटेकर के रूप में रखा गया है. उसका भी कहना है कि हम लोग अब काफी परेशान है. अगर सरकार और जिला प्रशासन चाहती तो इस केंद्र का उद्घाटन हो जाता और छात्र भी यहां पढ़ पाते. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आईटीआई कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो शुरू हो पाया है. अगर यह केंद्र खुल जाता तो स्थानीय बच्चों को काफी राहत मिलती और बच्चे टेक्निकल की पढ़ाई कर पाते, जिससे उन्हें स्वरोजगार भी मिल पाता.



सेंटर का नहीं हो पा रहा है उद्घाटन
इस बाबत हजारीबाग के उपायुक्त का कहना है कि एप्रोच रोड नहीं होने के कारण सेंटर का उद्घाटन नहीं हो पाया है. हम लोग आसपास के लोग जिनका जमीन सड़क में जाएगा उनसे संपर्क किए हुए हैं. बहुत जल्द ही एप्रोच रोड बन जाएगा और इसके बाद यस सेंटर का उपयोग हो पाएगा. यह विद्यालय हम लोगों के संज्ञान में आया है.



इसे भी पढ़ें-हजारीबाग BSF सेंटर के जवानों ने कोरोना काल में किया बेहतर कार्य, पदाधिकारी ने कहा- यही है इनकी पहचान

सरकारी और प्राइवेट नौकरी
आईटीआई कोर्स खास उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है, जो जल्दी नौकरी करना चाहते हैं. आईटीआई का फुल फॉर्म इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट यानी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है. आईटीआई करने के बाद सरकारी और प्राइवेट नौकरी आसानी से पाया जा सकता है. इस कोर्स में अलग-अलग प्रकार के होते है. आईटीआई के सरकारी प्राइवेट कॉलेज मौजूद हैं और कई यूनिवर्सिटी में भी इस प्रकार का कोर्स कराया जा रहा है.



छात्र बना सकता है अपना करियर
जो छात्र आईटीआई से डिप्लोमा करता है उसे किसी ना किसी एक विशेष ट्रेड में ही अपना डिप्लोमा प्राप्त करना होता है. जैसे कि अगर छात्र की रूचि इलेक्ट्रिकल में है तो इलेक्ट्रिकल से आईटीआई का डिप्लोमा प्राप्त करता है. मैकेनिकल फिटर कंप्यूटर की दूसरी शाखा से भी आईटीआई का डिप्लोमा प्राप्त किया जा सकता है. छात्र अपनी रूचि के अनुसार कोई भी ट्रेनिंग कर अपना करियर बना सकता है. एक बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि सभी ट्रेनिंग हर आईटीआई संस्थान में नहीं कराई जाती है.

हजारीबाग: आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना जिला में सार्थक नहीं हो पा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों में शुमार स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत युवाओं में प्रशिक्षण की तरफ से तकनीकी ज्ञान बढ़े. लेकिन हजारीबाग के इचाक प्रखंड के बोंगा गांव में जहां सड़क सुविधा नहीं होने के कारण 9 करोड़ की बिल्डिंग अब धूल फांक रहा है. आलम यह है कि राज्यपाल की तरफ से शिलान्यास पट भी झाड़ियों से घिर गया है.

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कबाड़ में तब्दील हुआ आईटीआई भवन
हजारीबाग मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर पर 9 करोड़ की लागत से बनाया गया. आईटीआई भवन अब कबाड़ में तब्दील होता जा रहा है. इस केंद्र को जाने के लिए एप्रोच रोड नहीं है. लिहाजा किसी विभाग की तरफ से 3 साल पहले बना देने के बाद भी यहां आईटीआई सेंटर चालू नहीं हो पाया. 3 साल बन जाने के बाद चालू नहीं होने के कारण केंद्र में अब बड़े-बड़े झाड़ी उग आए हैं. प्रशासनिक भवन से लेकर कार्यशाला तक झाड़ियों का कब्जा है. इसे देखने समझने वाला कोई नहीं है. यहां तक की तत्कालीन राज्यपाल डॉ. सैयद अहमद का लगा शीला पट गिर गया है. यहां के समाजसेवी का कहना है कि यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि आईटीआई जैसा केंद्र बनने के बाद भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.



केयरटेकर के रूप में रखा गया
इस भवन में एक युवक को केयरटेकर के रूप में रखा गया है. उसका भी कहना है कि हम लोग अब काफी परेशान है. अगर सरकार और जिला प्रशासन चाहती तो इस केंद्र का उद्घाटन हो जाता और छात्र भी यहां पढ़ पाते. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण आईटीआई कॉलेज में पढ़ाई नहीं हो शुरू हो पाया है. अगर यह केंद्र खुल जाता तो स्थानीय बच्चों को काफी राहत मिलती और बच्चे टेक्निकल की पढ़ाई कर पाते, जिससे उन्हें स्वरोजगार भी मिल पाता.



सेंटर का नहीं हो पा रहा है उद्घाटन
इस बाबत हजारीबाग के उपायुक्त का कहना है कि एप्रोच रोड नहीं होने के कारण सेंटर का उद्घाटन नहीं हो पाया है. हम लोग आसपास के लोग जिनका जमीन सड़क में जाएगा उनसे संपर्क किए हुए हैं. बहुत जल्द ही एप्रोच रोड बन जाएगा और इसके बाद यस सेंटर का उपयोग हो पाएगा. यह विद्यालय हम लोगों के संज्ञान में आया है.



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सरकारी और प्राइवेट नौकरी
आईटीआई कोर्स खास उन लोगों के लिए डिजाइन किया गया है, जो जल्दी नौकरी करना चाहते हैं. आईटीआई का फुल फॉर्म इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट यानी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान है. आईटीआई करने के बाद सरकारी और प्राइवेट नौकरी आसानी से पाया जा सकता है. इस कोर्स में अलग-अलग प्रकार के होते है. आईटीआई के सरकारी प्राइवेट कॉलेज मौजूद हैं और कई यूनिवर्सिटी में भी इस प्रकार का कोर्स कराया जा रहा है.



छात्र बना सकता है अपना करियर
जो छात्र आईटीआई से डिप्लोमा करता है उसे किसी ना किसी एक विशेष ट्रेड में ही अपना डिप्लोमा प्राप्त करना होता है. जैसे कि अगर छात्र की रूचि इलेक्ट्रिकल में है तो इलेक्ट्रिकल से आईटीआई का डिप्लोमा प्राप्त करता है. मैकेनिकल फिटर कंप्यूटर की दूसरी शाखा से भी आईटीआई का डिप्लोमा प्राप्त किया जा सकता है. छात्र अपनी रूचि के अनुसार कोई भी ट्रेनिंग कर अपना करियर बना सकता है. एक बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि सभी ट्रेनिंग हर आईटीआई संस्थान में नहीं कराई जाती है.

Last Updated : Jan 3, 2021, 10:35 PM IST
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