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सुगाकांटा गांव के लोग अब भी हैं वन अधिकार से वंचित, विभाग लगा रहा है अड़चन - समस्या का समाधान न होने पर ग्रामवासी देंगे धरना

गुमला में सिकोई के सुगाकांटा ग्राम सभा की ओर से सभी दस्तावेजों की तैयार करने का बाद भी 2 वर्ष से वन अधिकार से वंचित है. वन विभाग के अधिकारियों की ओर से गैरकानूनी आपत्ति लगाकर इसको बार-बार रोका जा रहा है. इस समस्या का समाधान अगर समय पर नहीं होगा तो सभी ग्रामवासी सड़क पर धरना देने के लिए बाध्य होंगे.

Accused of stopping illegal objection
वन अधिकार से वंचित सुगाकांटा
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Published : Feb 12, 2021, 11:58 AM IST

गुमला: जिला में सिकोई के सुगाकांटा ग्राम सभा की ओर से सभी दस्तावेज होने के बाद भी 2 साल से वन अधिकार से वंचित है. वन विभाग के अधिकारियों की ओर से गैरकानूनी आपत्ति लगाकर रोका जा रहा है. भारतीय संसद में पारित हुआ वन अधिकार कानून 2006 लागू हुए 15 साल हो गए हैं. फिर भी झारखंड में कानून की धारा 3(1)झ के तहत एक भी गांव को सामुदायिक वन संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार नहीं दिया गया.

वास्तविक यह अधिकार गांव के स्वालंबन स्वाभिमान के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाने वाला है. यह अधिकार किसी भी प्रकार के वन क्षेत्र पर लागू होता है. गांव के परंपरागत सीमा क्षेत्र के वन भूमि पर वन संसाधनों का संरक्षण पुनर्निर्माण संवर्धन और प्रबंधन का अधिकार देता है. इन अधिकारों से वंचित होने के कारण सुगाकाटा के वासी पीड़ित और आक्रोशित हैं.

ये भी पढ़ें- JPSC की कार्यशैली से राज्यपाल असंतुष्ट, अध्यक्ष और सदस्यों से नाराज

समस्या का समाधान नहीं होने पर ग्रामीण देंगे धरना

इस समस्या का समाधान अगर समय पर नहीं होगा तो सभी ग्रामवासी सड़क पर धरना देने के लिए बाध्य होंगे. प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के जनजाति हित रक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर और अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख बिंदेश्वर साहू तथा क्षेत्र प्रमुख राघव राना प्रांत के सह संगठन मंत्री देवनंदन सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य पुनीत लाल जी, वनाधिकार समिति, सुगाकाटा के अध्यक्ष चतुर नगेसिया मदन, राजमोहन साहू, खेदु नायक मुख्य रूप से उपस्थित थे.

गुमला: जिला में सिकोई के सुगाकांटा ग्राम सभा की ओर से सभी दस्तावेज होने के बाद भी 2 साल से वन अधिकार से वंचित है. वन विभाग के अधिकारियों की ओर से गैरकानूनी आपत्ति लगाकर रोका जा रहा है. भारतीय संसद में पारित हुआ वन अधिकार कानून 2006 लागू हुए 15 साल हो गए हैं. फिर भी झारखंड में कानून की धारा 3(1)झ के तहत एक भी गांव को सामुदायिक वन संसाधनों के प्रबंधन का अधिकार नहीं दिया गया.

वास्तविक यह अधिकार गांव के स्वालंबन स्वाभिमान के साथ-साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाने वाला है. यह अधिकार किसी भी प्रकार के वन क्षेत्र पर लागू होता है. गांव के परंपरागत सीमा क्षेत्र के वन भूमि पर वन संसाधनों का संरक्षण पुनर्निर्माण संवर्धन और प्रबंधन का अधिकार देता है. इन अधिकारों से वंचित होने के कारण सुगाकाटा के वासी पीड़ित और आक्रोशित हैं.

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समस्या का समाधान नहीं होने पर ग्रामीण देंगे धरना

इस समस्या का समाधान अगर समय पर नहीं होगा तो सभी ग्रामवासी सड़क पर धरना देने के लिए बाध्य होंगे. प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम के जनजाति हित रक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर और अखिल भारतीय ग्राम विकास प्रमुख बिंदेश्वर साहू तथा क्षेत्र प्रमुख राघव राना प्रांत के सह संगठन मंत्री देवनंदन सिंह, प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य पुनीत लाल जी, वनाधिकार समिति, सुगाकाटा के अध्यक्ष चतुर नगेसिया मदन, राजमोहन साहू, खेदु नायक मुख्य रूप से उपस्थित थे.

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