गुमला: जिला मनरेगा संघ के बैनर तले जिले के मनरेगा कर्मी अपनी 5 सूत्री मांगों को लेकर पिछले 16 दिनों से हड़ताल पर हैं. मनरेगा कर्मियों का कहना है कि सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता ,सहायक अभियंता एवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी के पद पर पिछले 12 वर्षों से भी अधिक समय से निष्ठा पूर्वक काम कर रहे हैं. इसके बावजूद मनरेगा कर्मियों की सेवा को स्थायीकरण नहीं किया जा रहा है मनरेगा कर्मी जिन 5 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं.
स्थायीकरण: झारखंड राज्य में कार्यरत सभी मनरेगा कर्मियों की सेवा को स्थाई करते हुए पद व कोटि के अनुरूप ग्रेड पे के साथ वेतनमान दिया जाए.
सामाजिक सुरक्षा: मनरेगा कर्मियों को 25 लाख का जीवन बीमा का लाभ दिया जाए. मृत्यु होने पर कर्मियों के परिवार को 25 लाख का मुआवजा तथा पारिवारिक सदस्यों को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए. मनरेगा कर्मियों को मातृत्व/ पितृत्व अवकाश, चिकित्सा अवकाश आदि को प्रावधान में लाया जाए.
सीधे बर्खास्तगी पर रोक: अनियमितता के आरोप में मनरेगा कर्मियों को सीधे बर्खास्त करने की वजह सरकारी कर्मचारियों की तरह कार्रवाई की जाए तथा बर्खास्त मनरेगा कर्मियों को बिना शर्त सेवा में वापस किया जाए.
समाहर्ता की परीक्षा में बैठने की अनुमतिः मनरेगा कर्मियों को सीमित एवं समाहर्ता की परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाए तथा राज्य के समस्त नियुक्तियों में मनरेगा कर्मियों को उम्र सीमा में सेवा काल की अवधि के बराबर छूट एवं रिक्त पदों में 50% आरक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. बिहार की तर्ज पर मनरेगा को स्वतंत्र इकाई घोषित करते हुए मनरेगा कर्मियों को उनके क्रियान्वयन की संपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए.
मनरेगा कर्मियों ने कहा कि राज्य सरकार चुनाव से पूर्व मनरेगा कर्मियों को यह आश्वासन दिया था कि उनकी मांगों को सरकार सत्ता में आते ही पूरा करेगी मगर इसके बावजूद सरकार मनरेगा कर्मियों के मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
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आज जब मनरेगा कर्मी हड़ताल पर हैं तब राज्य की सरकार मनरेगा संघ से बात नहीं कर सीधे तानाशाही चेहरा दिखाते हुए अल्टीमेटम जारी कर रही है. ऐसे अल्टीमेटम से संघ किसी भी प्रकार से पीछे नहीं हटेगी. जिले के मनरेगा संघ के जिला अध्यक्ष शिवदेव लोहरा ने कहा कि मनरेगा कर्मी बेहद कम वेतनमान पर पिछले 13 वर्षों से अधिक समय से काम कर रहे हैं.
सरकार द्वारा दिए गए हर लक्ष्य को पूरा करने के लिए जी जान मेहनत करते हैं, इसके बावजूद सरकार आज तक मनरेगा कर्मियों की सेवा को स्थायी नहीं कर रही है और ना ही उचित मानदेय दे रही है.