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अमर हो गई वंशिका! उसकी आंखों से दो लोगों की अंधेरी जिंदगी में रोशनी

गुमला जिले की 2 वर्षीय मासूम बच्ची वंशिका की 16 जुलाई को एक हादसे में मौत हो चुकी है. उसके माता-पिता ने उसकी मौत के बाद वंशिका की दोनों आंखें दान कर दी. जिससे किसी की अंधेरी जिंदगी में उजाला हो सके.

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वंशिका सरना
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Published : Jul 19, 2020, 9:37 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 9:56 PM IST

गुमला: दो साल की वंशिका सरना चार दिन पहले इस दुनिया से विदा ले चुकी है. लेकिन विदा होने के बावजूद इस मासूम बच्ची ने दो लोगों की जिंदगी में रोशनी फैलाई है. जिसके कारण वंशिका के माता-पिता और दादा-दादी वंशिका के जाने के बाद भी हमेशा उसे अपने पास होने का एहसास महसूस कर रहे हैं. गुमला शहरी क्षेत्र के बैंक कॉलोनी दुंदुरिया में वंशिका का घर है. इसके साथ ही शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर घटगांव पंचायत में स्थित डुमरडांड़ में उसके दादा की लगभग 5 एकड़ भूमि में बगान है, जहां वंशिका को मिट्टी दी गई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कौन थी वंशिका सरना

वंशिका सरना गुमला जिला की रहने वाली थी. वंशिका के दादा रिटायर अधिकारी हैं, जो गुमला में डीडीसी के पद में रह चुके हैं. वहीं, वंशिका की मां सिसई प्रखंड क्षेत्र के नागफेनी गांव में स्थित झारखंड ग्रामीण बैंक की कैशियर की पद पर काम करती हैं. वंशिका के पिता नेतरहाट विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद कई डिग्रियां हासिल कर अभी अपने खुद के कार्यों में लगे हुए हैं.

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वंशिका (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- गैंगस्टर अमन साव को पुलिस ने बिहार से दबोचा, हजारीबाग के बड़कागांव थाना से हुआ था फरार



16 जुलाई को हुई थी मौत
दरअसल, 16 जुलाई को वंशिका अपनी फ्रेंड के साथ गुमला के दुंदुरिया बैंक कॉलोनी स्थित अपने मकान की बालकनी में खेल रही थी. उसकी मां ड्यूटी के लिए जा चुकी थी. जबकि पिता और दादा घर पर ही थे. वंशिका जिस समय बालकनी में खेल रही थी, उस समय उसके पिता भी वहीं पर मौजूद थे. मगर किसी काम से 2 मिनट के लिए कमरे के अंदर गए. इसी बीच वंशिका बालकनी से नीचे जमीन पर जा गिरी. जिसके कारण उसके सिर पर गंभीर चोट लगी. जैसे इसकी जानकारी वंशिका की फ्रेंड ने उसके पिता को दी. सभी आनन-फानन में नीचे दौड़े और फिर वंशिका को लेकर सीधे अस्पताल पहुंचे. चिकित्सकों ने उसका इलाज कि, मगर अंदरूनी चोट होने की वजह से डॉक्टर इसे ठीक से पकड़ नहीं पाए. इसके बाद वंशिका के माता-पिता ने तुरंत उसे लेकर बेहतर इलाज के लिए रांची निकल पड़े. जैसे ही वे रांची शहर के अंदर प्रवेश किए. इसी बीच वंशिका आखिरी सांस ले चुकी थी. जिस का आभास उसके माता-पिता और अन्य परिजनों को हो चुका था. इसके बावजूद परिजन उसे एक निजी नर्सिंग होम ले गए, जहां चिकित्सकों ने वंशिका को मृत घोषित कर दिया.

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माता-पिता के साथ वंशिका

'गर्व महसूस हो रहा है'

वंशिका की मां ने बताया कि लोग अक्सर यह सोचते हैं कि हमें अपने शरीर का कुछ न कुछ अंग दान करना चाहिए, लेकिन जब उनकी बेटी इस दुनिया को छोड़ गई तो अचानक से यह मन में ख्याल आया कि क्यों न हम अपनी बेटी की आंखों को दान कर दें. जिसके कारण किसी की अंधेरी जिंदगी में रोशनी फैल सके और यह खबर भी मिल गई कि उसकी एक आंख एक जरूरतमंद को लगा दी गई है. ऐसे में काफी गर्व महसूस हो रहा है.

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वंशिका का समाधी

रास्ते में ही हो चुकी थी मौत

वंशिका के पिता ने बताया कि यह एक दुर्घटना थी, बच्ची बालकनी में खेल रही थी और अचानक से वह करीब 15 फीट नीचे गिर गई. आनन-फानन में हमने उसे रांची ले गए, मगर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. वंशिका के पिता ने कहा कि मन में आया कि अब बेटी इस दुनिया में है ही नहीं तो क्यों ना अपनी बेटी की आंख को दान कर दें, ताकि किसी की जिंदगी में रोशनी फैल सके. हालांकि, इस फैसले से परिजन सहमत नहीं थे. फिर भी हम दोनों ने यह ठान लिया था कि बेटी की आंखों के जरिए हम दूसरे की जिंदगी में रोशनी फैलाएंगे. जिसके बाद रांची स्थित एक नेत्रालय के आई बैंक में उन्होंने उसकी आंखों को दान कर दिया.

ये भी पढ़ें- सरायकेलाः ब्राउन शुगर तस्कर डॉली परवीन गिरफ्तार, लंबे समय से थी फरार

मासूम बच्ची होने के बावजूद भी काफी प्रतिभावान थी वंशिका
वहीं, रोशनी के दादा ने बताया कि उनकी पोती मासूम बच्ची होने के बावजूद भी काफी प्रतिभावान थी. उनके बगान से उसका काफी लगाव था. जब भी वह बगान में आती थी तो पेड़ों में झूल-झूलकर खेलती थी. उसने खुद अपने हाथों से इस बागान में अपने नाम से एक पेड़ भी लगाया है. इसी लगाव को देखते हुए हमने यह फैसला किया कि बगान में ही उसकी अंतिम संस्कार की जाए और उस स्थान पर एक समाधि स्थल बनाया जाए.

पहले भी एक बेटी ने किया है अंग दान

बता दें कि इससे पूर्व भी गुमला की एक बेटी के निधन के बाद उनके परिवारवालों ने उसके पांचों अंगों को दान कर दिया था. उस लड़की का नाम था अंकिता अग्रवाल था और वह कॉलेज की छात्रा थी. अंकिता का निधन करीब 7 साल से पूर्व हुआ था.

गुमला: दो साल की वंशिका सरना चार दिन पहले इस दुनिया से विदा ले चुकी है. लेकिन विदा होने के बावजूद इस मासूम बच्ची ने दो लोगों की जिंदगी में रोशनी फैलाई है. जिसके कारण वंशिका के माता-पिता और दादा-दादी वंशिका के जाने के बाद भी हमेशा उसे अपने पास होने का एहसास महसूस कर रहे हैं. गुमला शहरी क्षेत्र के बैंक कॉलोनी दुंदुरिया में वंशिका का घर है. इसके साथ ही शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर घटगांव पंचायत में स्थित डुमरडांड़ में उसके दादा की लगभग 5 एकड़ भूमि में बगान है, जहां वंशिका को मिट्टी दी गई है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कौन थी वंशिका सरना

वंशिका सरना गुमला जिला की रहने वाली थी. वंशिका के दादा रिटायर अधिकारी हैं, जो गुमला में डीडीसी के पद में रह चुके हैं. वहीं, वंशिका की मां सिसई प्रखंड क्षेत्र के नागफेनी गांव में स्थित झारखंड ग्रामीण बैंक की कैशियर की पद पर काम करती हैं. वंशिका के पिता नेतरहाट विद्यालय से पढ़ाई करने के बाद कई डिग्रियां हासिल कर अभी अपने खुद के कार्यों में लगे हुए हैं.

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वंशिका (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ें- गैंगस्टर अमन साव को पुलिस ने बिहार से दबोचा, हजारीबाग के बड़कागांव थाना से हुआ था फरार



16 जुलाई को हुई थी मौत
दरअसल, 16 जुलाई को वंशिका अपनी फ्रेंड के साथ गुमला के दुंदुरिया बैंक कॉलोनी स्थित अपने मकान की बालकनी में खेल रही थी. उसकी मां ड्यूटी के लिए जा चुकी थी. जबकि पिता और दादा घर पर ही थे. वंशिका जिस समय बालकनी में खेल रही थी, उस समय उसके पिता भी वहीं पर मौजूद थे. मगर किसी काम से 2 मिनट के लिए कमरे के अंदर गए. इसी बीच वंशिका बालकनी से नीचे जमीन पर जा गिरी. जिसके कारण उसके सिर पर गंभीर चोट लगी. जैसे इसकी जानकारी वंशिका की फ्रेंड ने उसके पिता को दी. सभी आनन-फानन में नीचे दौड़े और फिर वंशिका को लेकर सीधे अस्पताल पहुंचे. चिकित्सकों ने उसका इलाज कि, मगर अंदरूनी चोट होने की वजह से डॉक्टर इसे ठीक से पकड़ नहीं पाए. इसके बाद वंशिका के माता-पिता ने तुरंत उसे लेकर बेहतर इलाज के लिए रांची निकल पड़े. जैसे ही वे रांची शहर के अंदर प्रवेश किए. इसी बीच वंशिका आखिरी सांस ले चुकी थी. जिस का आभास उसके माता-पिता और अन्य परिजनों को हो चुका था. इसके बावजूद परिजन उसे एक निजी नर्सिंग होम ले गए, जहां चिकित्सकों ने वंशिका को मृत घोषित कर दिया.

story of gumla girl vanshika who donate her eyes, tribal couple of gumla donated eyes of their baby vanshika, story of gumla girl vanshika, गुमला गर्ल वंशिका की कहानी जिसने आंखें दान कर दी, गुमला के आदिवासी जोड़े ने अपनी बेबी वंशिका की आंखें दान की, गुमला की बच्ची वंशिका की कहानी
माता-पिता के साथ वंशिका

'गर्व महसूस हो रहा है'

वंशिका की मां ने बताया कि लोग अक्सर यह सोचते हैं कि हमें अपने शरीर का कुछ न कुछ अंग दान करना चाहिए, लेकिन जब उनकी बेटी इस दुनिया को छोड़ गई तो अचानक से यह मन में ख्याल आया कि क्यों न हम अपनी बेटी की आंखों को दान कर दें. जिसके कारण किसी की अंधेरी जिंदगी में रोशनी फैल सके और यह खबर भी मिल गई कि उसकी एक आंख एक जरूरतमंद को लगा दी गई है. ऐसे में काफी गर्व महसूस हो रहा है.

story of gumla girl vanshika who donate her eyes, tribal couple of gumla donated eyes of their baby vanshika, story of gumla girl vanshika, गुमला गर्ल वंशिका की कहानी जिसने आंखें दान कर दी, गुमला के आदिवासी जोड़े ने अपनी बेबी वंशिका की आंखें दान की, गुमला की बच्ची वंशिका की कहानी
वंशिका का समाधी

रास्ते में ही हो चुकी थी मौत

वंशिका के पिता ने बताया कि यह एक दुर्घटना थी, बच्ची बालकनी में खेल रही थी और अचानक से वह करीब 15 फीट नीचे गिर गई. आनन-फानन में हमने उसे रांची ले गए, मगर रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया. वंशिका के पिता ने कहा कि मन में आया कि अब बेटी इस दुनिया में है ही नहीं तो क्यों ना अपनी बेटी की आंख को दान कर दें, ताकि किसी की जिंदगी में रोशनी फैल सके. हालांकि, इस फैसले से परिजन सहमत नहीं थे. फिर भी हम दोनों ने यह ठान लिया था कि बेटी की आंखों के जरिए हम दूसरे की जिंदगी में रोशनी फैलाएंगे. जिसके बाद रांची स्थित एक नेत्रालय के आई बैंक में उन्होंने उसकी आंखों को दान कर दिया.

ये भी पढ़ें- सरायकेलाः ब्राउन शुगर तस्कर डॉली परवीन गिरफ्तार, लंबे समय से थी फरार

मासूम बच्ची होने के बावजूद भी काफी प्रतिभावान थी वंशिका
वहीं, रोशनी के दादा ने बताया कि उनकी पोती मासूम बच्ची होने के बावजूद भी काफी प्रतिभावान थी. उनके बगान से उसका काफी लगाव था. जब भी वह बगान में आती थी तो पेड़ों में झूल-झूलकर खेलती थी. उसने खुद अपने हाथों से इस बागान में अपने नाम से एक पेड़ भी लगाया है. इसी लगाव को देखते हुए हमने यह फैसला किया कि बगान में ही उसकी अंतिम संस्कार की जाए और उस स्थान पर एक समाधि स्थल बनाया जाए.

पहले भी एक बेटी ने किया है अंग दान

बता दें कि इससे पूर्व भी गुमला की एक बेटी के निधन के बाद उनके परिवारवालों ने उसके पांचों अंगों को दान कर दिया था. उस लड़की का नाम था अंकिता अग्रवाल था और वह कॉलेज की छात्रा थी. अंकिता का निधन करीब 7 साल से पूर्व हुआ था.

Last Updated : Jul 19, 2020, 9:56 PM IST
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