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कोरोना इफेक्ट: झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर हो रही विशेष निगरानी, सभी जांच के बाद ही मिल रही प्रवेश की अनुमति

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Published : May 12, 2020, 2:37 PM IST

Updated : May 12, 2020, 3:48 PM IST

कोरोना महामारी के मद्देनजर प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में घर लौट रह हैं. अब तक करीब डेढ़ दर्जन ट्रेनों से राज्य के विविध भागों के मजदूरों की घर वापसी हो चुकी है. गुमला जिले में झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा आने वाले मजदूरों को जांच के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है. बॉर्डर पर इस संबंध में एक विशेष कैंप लगाया गया है.

झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर निगरानी
झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर निगरानी

गुमला: लॉकडाउन के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों की लगातार घर वापसी हो रही है. बड़ी संख्या में राज्य के विविध भागों के मजदूर स्पेशल ट्रेन से झारखंड पहुंचे हैं. इन सभी के बीच सभी प्रशासन सभी एहतियात बरत रहे हैं. इसी क्रम में गुमला जिले के रायडीह प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली शंख नदी झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा को बांटती है, जहां पर गुमला जिला प्रशासन ने एक अस्थाई कैंप लगाकर छतीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी मजदूरों और वाहनों के कागजातों की जांच 24X7 कर रही है.

झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर हो रही विशेष निगरानी

पूरे कागजातों की जांच और हर व्यक्ति की शारीरिक जांच करने के बाद गुमला के रास्ते झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है. कोरोना वायरस के कारण यह व्यवस्था की गई है.

कोरोना वायरस के कारण लाखों जान चली गई हैं, जबकि कई लाख लोग अभी भी इस महामारी की चपेट में हैं . इस महामारी से बचाव के लिए अब तक किसी प्रकार की दवा का निर्माण नहीं किया जा सका है.

इसकी रोकथाम के लिए पूरे भारतवर्ष में पिछले 24 मार्च से लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई है, लेकिन जब कोरोना वायरस मरीजों की संख्या बढ़ती गई तो ऐसे में लॉक डाउन को अगले 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

ऐसे में प्रवासी मजदूरों के समक्ष कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगी थी . मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने लगे. ये प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे बूढ़े , बच्चे जवान हर कोई अपने घर लौटने लगे.

इसमें से कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने रेलवे पटरी को भी रास्ता के तौर पर चुना था और जब वह थक गए थे तो वह पटरी पर ही सो गए थे . ऐसे में एक मालगाड़ी की चपेट में आने से कई लोगों ने अपनी जानें गंवा दी थी.

यह भी पढ़ेंः रांची जिला प्रशासन लॉकडाउन का कराएगी सख्ती से पालन, जानिए DC के जारी किए गए निर्देश

इसके बाद से केंद्र सरकार ने मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए लॉकडाउन के नियमों में थोड़ी छूट देते हुए राज्य सरकारों से अपने-अपने प्रदेशों के मजदूरों को वापस लाने की छूट दी.

इस छूट के बाद बड़े पैमाने पर बसों से मजदूर अपने राज्य लौटने लगे हैं .अब ऐसे में झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर गुमला जिला प्रशासन ने एक अस्थाई कैंप लगाकर झारखंड में प्रवेश करने वाले हर व्यक्तियों की शारीरिक जांच और वाहनों की जांच करने के बाद ही झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दे रही है.

24 घंटे कार्य कर रहे अधिकारी

चिकित्सा कर्मी, पुलिसकर्मी और दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त है . कैंप में कार्यरत दंडाधिकारी ने कहा कि झारखंड- छत्तीसगढ़ की सीमा पर इस रास्ते से झारखंड आने वाले हर व्यक्ति की कागजातों की जांच की जा रही है. उसके बाद ही उन्हें झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है.

हालांकि उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा उन लोगों के लिए सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किए हैं, जबकि इस रास्ते से आने वाला हर व्यक्ति संदिग्ध रहता है.

कई ऐसे मजदूर हैं जो रेड जोन से भी आ रहे हैं ऐसे में खुद को सुरक्षित करना एक बड़ी चुनौती हो गई है . वहीं कैंप में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी ने कहा कि यहां पर किसी अपराधी या नक्सली का भय नहीं है.

हम पुलिस वाले हर समय मुस्तैद हैं , लेकिन जो बाहर से और खासकर जो रेड जोन से इस रास्ते से प्रवेश कर रहे हैं तो ऐसे में कोरोना वायरस की महामारी से डर लगता हैं, क्योंकि कोरोना वायरस से बचाव के लिए उनके पास पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं.

गुमला: लॉकडाउन के मद्देनजर प्रवासी मजदूरों की लगातार घर वापसी हो रही है. बड़ी संख्या में राज्य के विविध भागों के मजदूर स्पेशल ट्रेन से झारखंड पहुंचे हैं. इन सभी के बीच सभी प्रशासन सभी एहतियात बरत रहे हैं. इसी क्रम में गुमला जिले के रायडीह प्रखंड क्षेत्र में बहने वाली शंख नदी झारखंड और छत्तीसगढ़ की सीमा को बांटती है, जहां पर गुमला जिला प्रशासन ने एक अस्थाई कैंप लगाकर छतीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से आ रहे प्रवासी मजदूरों और वाहनों के कागजातों की जांच 24X7 कर रही है.

झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर हो रही विशेष निगरानी

पूरे कागजातों की जांच और हर व्यक्ति की शारीरिक जांच करने के बाद गुमला के रास्ते झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है. कोरोना वायरस के कारण यह व्यवस्था की गई है.

कोरोना वायरस के कारण लाखों जान चली गई हैं, जबकि कई लाख लोग अभी भी इस महामारी की चपेट में हैं . इस महामारी से बचाव के लिए अब तक किसी प्रकार की दवा का निर्माण नहीं किया जा सका है.

इसकी रोकथाम के लिए पूरे भारतवर्ष में पिछले 24 मार्च से लॉक डाउन की घोषणा कर दी गई है, लेकिन जब कोरोना वायरस मरीजों की संख्या बढ़ती गई तो ऐसे में लॉक डाउन को अगले 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है.

ऐसे में प्रवासी मजदूरों के समक्ष कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगी थी . मजदूर पैदल ही अपने घरों के लिए निकलने लगे. ये प्रवासी मजदूर भूखे प्यासे बूढ़े , बच्चे जवान हर कोई अपने घर लौटने लगे.

इसमें से कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने रेलवे पटरी को भी रास्ता के तौर पर चुना था और जब वह थक गए थे तो वह पटरी पर ही सो गए थे . ऐसे में एक मालगाड़ी की चपेट में आने से कई लोगों ने अपनी जानें गंवा दी थी.

यह भी पढ़ेंः रांची जिला प्रशासन लॉकडाउन का कराएगी सख्ती से पालन, जानिए DC के जारी किए गए निर्देश

इसके बाद से केंद्र सरकार ने मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए लॉकडाउन के नियमों में थोड़ी छूट देते हुए राज्य सरकारों से अपने-अपने प्रदेशों के मजदूरों को वापस लाने की छूट दी.

इस छूट के बाद बड़े पैमाने पर बसों से मजदूर अपने राज्य लौटने लगे हैं .अब ऐसे में झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर गुमला जिला प्रशासन ने एक अस्थाई कैंप लगाकर झारखंड में प्रवेश करने वाले हर व्यक्तियों की शारीरिक जांच और वाहनों की जांच करने के बाद ही झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दे रही है.

24 घंटे कार्य कर रहे अधिकारी

चिकित्सा कर्मी, पुलिसकर्मी और दंडाधिकारी प्रतिनियुक्त है . कैंप में कार्यरत दंडाधिकारी ने कहा कि झारखंड- छत्तीसगढ़ की सीमा पर इस रास्ते से झारखंड आने वाले हर व्यक्ति की कागजातों की जांच की जा रही है. उसके बाद ही उन्हें झारखंड में प्रवेश करने की अनुमति दी जा रही है.

हालांकि उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा उन लोगों के लिए सुरक्षा के कोई प्रबंध नहीं किए हैं, जबकि इस रास्ते से आने वाला हर व्यक्ति संदिग्ध रहता है.

कई ऐसे मजदूर हैं जो रेड जोन से भी आ रहे हैं ऐसे में खुद को सुरक्षित करना एक बड़ी चुनौती हो गई है . वहीं कैंप में ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मी ने कहा कि यहां पर किसी अपराधी या नक्सली का भय नहीं है.

हम पुलिस वाले हर समय मुस्तैद हैं , लेकिन जो बाहर से और खासकर जो रेड जोन से इस रास्ते से प्रवेश कर रहे हैं तो ऐसे में कोरोना वायरस की महामारी से डर लगता हैं, क्योंकि कोरोना वायरस से बचाव के लिए उनके पास पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं हैं.

Last Updated : May 12, 2020, 3:48 PM IST
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