गुमला: जिला में एक बार फिर से पुलिस और नक्सलियों के बीच शह मात का खेल शुरू हो गया है. लंबे समय के बाद जिले में नक्सलियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए घने जंगलों में चले विकास कार्यों को बाधित करना शुरू कर दिया है ताकि संवेदकों से नक्सली लेवी के नाम पर मोटी राशि वसूल कर सकें. ऐसे में गुमला जिला पुलिस और सीआरपीएफ 218 बटालियन की टीम संयुक्त रूप से नक्सल विरोधी अभियान शुरू कर दी है. इसी के तहत संयुक्त टीम नक्सल प्रभावित इलाकों के बीच रहने वाले ग्रामीणों को सोशल पुलिसिंग के तहत जरूरत की सामग्रियां उपलब्ध करा रही है.
इसे लेकर सीआरपीएफ और जिला पुलिस के अधिकारी पुलिस जवानों के साथ नक्सलियों के मांद कहे जाने वाले सोकराहातु, बरडीह, ऊरु, घुसरी, सिविल, कुरुमगढ़ आदि गांव में कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत वृद्ध महिला- पुरुषों को धोती, साड़ी और कंबल, विधवा महिलाओं को साड़ी, युवाओं के बीच खेल सामग्रियां और छात्रों के बीच पढ़ाई सामग्री का वितरण किया गया. नक्सल प्रभावित इन गांव में पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों को खुद के बीच पाकर ग्रामीण भी काफी खुश दिखे.
ग्रामीणों का कहना है कि दूरस्थ इलाकों में पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने आकर जिस तरह से ग्रामीणों को मदद किया है वह काफी अच्छी बात है. इन्होंने कई तरह से सकारात्मक सोच की ओर बढ़ने की प्रेरणा दी गई, जिसका हम अनुसरण करने का प्रयास करेंगे. युवाओं ने कहा कि जिस तरह से पुलिस ने खेल सामग्री आदि दी है उससे हम अच्छे तरीके से खेल प्रतिभा को निखारने का प्रयास करेंगे.
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एसपी हृदीप ने बताया कि गुमला के इन इलाकों में वर्षों पहले नक्सलियों की गतिविधि बड़े पैमाने पर थी. बीच के समय में कमी आ गई थी, लेकिन पिछले कुछ समय से नक्सलियों की गतिविधि बढ़ी है. इसी को लेकर जिला की पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाते हुए सोमवार को कम्युनिटी पुलिसिंग के तहत ग्रामीणों के पास पहुंच कर उनका हालचाल जाना उनसे बातें की उनकी समस्याओं को जाना और उनके समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया है.
वहीं, सीआरपीएफ 218 बटालियन के कमांडेंट एच रंजीत ने कहा कि नक्सल इलाकों में रहने वाले ग्रामीणों के बीच सामग्रियों का वितरण किया गया है. इसके साथ ही युवाओं को पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया और जिन लोगों ने पढ़ाई छोड़ दी है या जो मुख्यधारा से भटक गए हैं, उन्हें वापस मुख्यधारा में लौटने की अपील की गई है.