गुमला: सरकारी विद्यालयों के छात्र छात्राओं को शैक्षणिक भ्रमण के नाम पर महज खाना पूर्ति किए जाने का मामला प्रकाश में आया है. मिली जानकारी के अनुसार झारखंड शिक्षा परियोजना के तहत गुमला जिलें के विभिन्न प्रखंडों के छात्रों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए बुधवार (29 मार्च) को वीर सपूत भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली खूंटी के उलिहातू गांव ले जाया गया था. जहां महज आधे घंटे में उन्हें भ्रमण कराकर वापस लौटा दिया गया. इसे लेकर लोग विभाग की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं.
क्या है पूरा मामला: छात्र छात्राओं को बुधवार (29 मार्च) को सुबह 8 बजे ही मुख्यालय बुलाया गया था. जहां सभी छात्र छात्राएं समय से पहुंच गए थे. लेकिन विद्यार्थियों को भूखे प्यासे लगभग 5 घंटे से भी अधिक समय तक बस का इंतजार करना पड़ा. गुमला जिला के विभिन्न प्रखंड से स्टूडेंट्स को लेकर लगभग एक बजे बस आयी और उन्हें लेकर उलिहातू के लिए निकली. छात्र छात्राओं ने बताया कि कामडारा एवं तोरपा के बीच बस रोक कर किसी होटल में उन्हें खाना खिलाया गया. जिसके बाद बस उन्हें लेकर लगभग शाम 5 बजे खूंटी के उलिहातू गांव पहुंची. जहां विद्यार्थियों को भगवान बिरसा मुंडा के पैतृक घर दिखा कर महज आधे घंटे में वापस लौटा दिया गया.
गुमला डीईओ सुनील ने साधी चुप्पी: गुमला डीईओ सुनील शेखर कुजुर ने इस मामले में चुप्पी साध ली है. उनसे जब इस बारें में फोन पर जानकारी मांगी गई तो सवाल पूरा सुनने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया. फिर से संपर्क साधने पर उनका मोबाइल स्विच ऑफ आने लगा. बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए लाखों की राशि सरकार खर्च कर रही है. ताकि विद्यार्थियों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए ले जाया सके. और उनका ज्ञान बढ़ सके. लेकिन ऐसे भ्रमण से बच्चों को लाभ हो, इसकी संभावना नगण्य है.