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कोरोना वारियर्स के लिए बनाया जा रहा फेस मास्क, संक्रमण से बचाव के लिए उठाए जा रहे हैं कदम - गुमला के 'गुमला के भक्त' संस्था

पूरे देश में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को लेकर लॉकडाउन को 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. लोगों से घरों में ही रहने की अपील की जा रही है. इसी क्रम में गुमला प्रशासन ने एक जुगाड़ टेक्नोलॉजी अपनाई है, ताकि इस संक्रमण से बचा जा सके.

कोरोना वॉरियर्स के लिए बनाया जा रहा है फेस मास्क
Face Masks being made for Corona Warriors in gumla
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Published : Apr 19, 2020, 1:25 PM IST

Updated : Apr 19, 2020, 8:43 PM IST

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वैसे तो अभी तक कोई दवा नहीं बन पायऊ है, लेकिन इससे बचने के लिए जिला प्रशासन ने जुगाड़ टेक्नोलॉजी अपनाया है. जिला प्रशासन गुमला के सामाजिक संस्था के साथ मिलकर कोरोना वॉरियर्स के लिए फेस मास्क बनवा रहा है.

देखें स्पेशल खबर

परिवार का पालन-पोषण करने में परेशानी

यह फेस मास्क ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक, कपड़े और इलास्टिक से बनाया जा रहा है. इसके लिए सामाजिक संस्था 'गुमला के भक्त' ने इस काम के लिए वैसी महिलाओं का चुनाव किया है, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा था और अपने परिवार का पालन-पोषण करने में परेशानी हो रही थी.

कोरोना संक्रमण से बचाव

इस मास्क को जिला प्रशासन सफाई कर्मचारी, अस्पताल के चिकित्सक, नर्स, स्टाफ और पुलिसकर्मियों के बीच वितरण करेगा. जो इस विषम परिस्थिति में अपने कार्यों को पूर्ण जवाबदेही के साथ कर रहे हैं. इस तरह के बिल्कुल नए सोच के साथ बनाए गए फेस मास्क को इस्तेमाल करने वाले कर्मचारी और अधिकारी कोरोना के संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं. क्योंकि कोरोना का सीधा संपर्क आंख, नाक और मुंह को छूने से होता है या फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है. ऐसे में यह मास्क काफी बचाव का कार्य कर सकती है.

ये भी पढ़ें-रांची में एक और कोरोना मरीज की पुष्टि, वेस्टइंडीज का नागरिक है मरीज

मास्क बनाने का काम

लॉकडाउन के दौरान कई ऐसे लोग हैं, जिनके घर में चूल्हा नहीं जल रहा है और शर्म के कारण अपनी समस्या किसी के सामने नहीं रख पा रहे हैं. ऐसे में जिस तरह से जरूरतमंद महिलाओं को अभी मास्क बनाने का काम मिला है, उससे उन्हें पारिश्रमिक मिलेगी और उनको अपने घर का खर्च चलाने में सहूलियत होगी. ऐसे में 'गुमला के भक्त' के सदस्यों ने ऐसी महिलाओं का चयन कर शहर के अलग-अलग हिस्सों में मास्क बनाने के लिए दिया है.

मास्क बनाने का काम

महिलाओं ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन अब जब मास्क बनाने का काम मिला है, जिससे वो इन परेशानियों का डटकर सामना कर सकते हैं. 'गुमला के भक्त' व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से मास्क बनाने का सलाह दिया गया था, जिसके बाद वह मास्क बनाकर उसने डेमो जिला प्रशासन को दिया तो प्रशासन ने एक हजार मास्क का आर्डर दिया है. इसके साथ ही कई ऐसे सामाजिक संगठन, बैंक और अन्य संगठन है जो इस मास्क का डिमांड कर रहे हैं.

21 लाख से अधिक लोग कोरोना से हैं पीड़ित

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का अब तक कोई दवा नहीं मिल पाया है, जिसके कारण विश्व भर में इस महामारी से एक लाख चालीस हजार से अधिक ने अपनी जान गवा दी है, जबकि 21 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हैं. वैसे इस वायरस के साइकिलिंग को रोकने के लिए एकमात्र विकल्प सोशल डिस्टेंसिंग है. यही वजह है कि भारत सहित कई देशों ने पूरे देश में लॉकडाउन कर दी है, ताकि लोग अपने घरों में रहे और कोरोना वायरस से बच सकें. ऐसे में ईटीवी भारत भी आप से अपील करती है कि आप घर पर रहें, सुरक्षित रहें.

गुमला: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की वैसे तो अभी तक कोई दवा नहीं बन पायऊ है, लेकिन इससे बचने के लिए जिला प्रशासन ने जुगाड़ टेक्नोलॉजी अपनाया है. जिला प्रशासन गुमला के सामाजिक संस्था के साथ मिलकर कोरोना वॉरियर्स के लिए फेस मास्क बनवा रहा है.

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परिवार का पालन-पोषण करने में परेशानी

यह फेस मास्क ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक, कपड़े और इलास्टिक से बनाया जा रहा है. इसके लिए सामाजिक संस्था 'गुमला के भक्त' ने इस काम के लिए वैसी महिलाओं का चुनाव किया है, जिन्हें लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझना पड़ रहा था और अपने परिवार का पालन-पोषण करने में परेशानी हो रही थी.

कोरोना संक्रमण से बचाव

इस मास्क को जिला प्रशासन सफाई कर्मचारी, अस्पताल के चिकित्सक, नर्स, स्टाफ और पुलिसकर्मियों के बीच वितरण करेगा. जो इस विषम परिस्थिति में अपने कार्यों को पूर्ण जवाबदेही के साथ कर रहे हैं. इस तरह के बिल्कुल नए सोच के साथ बनाए गए फेस मास्क को इस्तेमाल करने वाले कर्मचारी और अधिकारी कोरोना के संक्रमण से काफी हद तक बच सकते हैं. क्योंकि कोरोना का सीधा संपर्क आंख, नाक और मुंह को छूने से होता है या फिर संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होता है. ऐसे में यह मास्क काफी बचाव का कार्य कर सकती है.

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मास्क बनाने का काम

लॉकडाउन के दौरान कई ऐसे लोग हैं, जिनके घर में चूल्हा नहीं जल रहा है और शर्म के कारण अपनी समस्या किसी के सामने नहीं रख पा रहे हैं. ऐसे में जिस तरह से जरूरतमंद महिलाओं को अभी मास्क बनाने का काम मिला है, उससे उन्हें पारिश्रमिक मिलेगी और उनको अपने घर का खर्च चलाने में सहूलियत होगी. ऐसे में 'गुमला के भक्त' के सदस्यों ने ऐसी महिलाओं का चयन कर शहर के अलग-अलग हिस्सों में मास्क बनाने के लिए दिया है.

मास्क बनाने का काम

महिलाओं ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. लेकिन अब जब मास्क बनाने का काम मिला है, जिससे वो इन परेशानियों का डटकर सामना कर सकते हैं. 'गुमला के भक्त' व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन ने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से मास्क बनाने का सलाह दिया गया था, जिसके बाद वह मास्क बनाकर उसने डेमो जिला प्रशासन को दिया तो प्रशासन ने एक हजार मास्क का आर्डर दिया है. इसके साथ ही कई ऐसे सामाजिक संगठन, बैंक और अन्य संगठन है जो इस मास्क का डिमांड कर रहे हैं.

21 लाख से अधिक लोग कोरोना से हैं पीड़ित

बता दें कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का अब तक कोई दवा नहीं मिल पाया है, जिसके कारण विश्व भर में इस महामारी से एक लाख चालीस हजार से अधिक ने अपनी जान गवा दी है, जबकि 21 लाख से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हैं. वैसे इस वायरस के साइकिलिंग को रोकने के लिए एकमात्र विकल्प सोशल डिस्टेंसिंग है. यही वजह है कि भारत सहित कई देशों ने पूरे देश में लॉकडाउन कर दी है, ताकि लोग अपने घरों में रहे और कोरोना वायरस से बच सकें. ऐसे में ईटीवी भारत भी आप से अपील करती है कि आप घर पर रहें, सुरक्षित रहें.

Last Updated : Apr 19, 2020, 8:43 PM IST
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