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नशे की गिरफ्त में गोड्डा के युवा, धड़ल्ले से बिक रहा नशे का सामान

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Published : Jul 10, 2019, 6:17 PM IST

गोड्डा में इन दिनों युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है. युवाओं को नशे का सामान भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है. वहीं, पुलिस की इस ओर उदासीनता से कार्रवाई तो दूर नशे के सामानों की खरीद बिक्री भी धड़ल्ले से की जा रही है.

नशा करते युवा

गोड्डाः आजकल के युवा नशे की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. शहर के हर गली मुहल्ले में चोरी छुपे नशे का सामान मिल जाता है. जिसका नकारात्मक असर भी साफ-साफ दिख रहा है. हर जगह युवाओं की टोली चौकड़ी लगा धुएं का छल्ला उड़ाते देखे जा सकते हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी

आखिर ये मौत का सामान शहर में उपलब्ध कहां से होता है? इसके पीछे जिम्मेदार कौन है? ये धंधा इस कदर बेखौफ कैसे और किसके शह पर चलता है? जाहिर है इन धंधेबाजों को शहर के हुक्मरानों का संरक्षण प्राप्त है. छोटे-छोटे व्यापारी चंद पैसों के लिए लोगों को गांजा जैसी नशीला सामान उपलब्ध कराते हैं, लेकिन ये तो महज छोटे मोहरे मात्र हैं. इनके पीछे एक बड़ा रैकेट काम करता है. ये बात व्यवसायी भी स्वीकारते हैं.

ये भी पढ़ें- रघुवर कैबिनेट का फैसला: देवघर श्रावणी मेला को राष्ट्रीय मेला घोषित करने को लेकर केंद्र सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव

नशे के तार जुड़े हैं बिहार और नेपाल से

इस धंधे के तार बिहार और नेपाल से जुडे़ बताए जाते हैं. इन धंधेबाजों से पूछताछ करने पर बड़ी मछ्ली पकड़ में आ सकती है, लेकिन वो तब संभव होगा जब पुलिस तत्परता दिखाए. ऐसे मामलों में पुलिस लेट लतीफी दिखाती है. जिससे सारा मामला इधर से उधर हो जाता है. समाजसेवी योगेन्द्र मंडल कहते हैं कि दोषी जल्द छूट जाते हैं, उनपर बड़ी करवाई होनी चाहिए. वही, साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि नशे के कारण युवाओं की सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है. वे नशे के गुलाम बन जाते हैं.

गोड्डाः आजकल के युवा नशे की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. शहर के हर गली मुहल्ले में चोरी छुपे नशे का सामान मिल जाता है. जिसका नकारात्मक असर भी साफ-साफ दिख रहा है. हर जगह युवाओं की टोली चौकड़ी लगा धुएं का छल्ला उड़ाते देखे जा सकते हैं.

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आखिर ये मौत का सामान शहर में उपलब्ध कहां से होता है? इसके पीछे जिम्मेदार कौन है? ये धंधा इस कदर बेखौफ कैसे और किसके शह पर चलता है? जाहिर है इन धंधेबाजों को शहर के हुक्मरानों का संरक्षण प्राप्त है. छोटे-छोटे व्यापारी चंद पैसों के लिए लोगों को गांजा जैसी नशीला सामान उपलब्ध कराते हैं, लेकिन ये तो महज छोटे मोहरे मात्र हैं. इनके पीछे एक बड़ा रैकेट काम करता है. ये बात व्यवसायी भी स्वीकारते हैं.

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नशे के तार जुड़े हैं बिहार और नेपाल से

इस धंधे के तार बिहार और नेपाल से जुडे़ बताए जाते हैं. इन धंधेबाजों से पूछताछ करने पर बड़ी मछ्ली पकड़ में आ सकती है, लेकिन वो तब संभव होगा जब पुलिस तत्परता दिखाए. ऐसे मामलों में पुलिस लेट लतीफी दिखाती है. जिससे सारा मामला इधर से उधर हो जाता है. समाजसेवी योगेन्द्र मंडल कहते हैं कि दोषी जल्द छूट जाते हैं, उनपर बड़ी करवाई होनी चाहिए. वही, साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि नशे के कारण युवाओं की सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है. वे नशे के गुलाम बन जाते हैं.

Intro:नशे के गिरफ्त में युवा,गोड्डा में धड़ल्ले से बिक रही है नशे समानBody:गोड्डा के युवा नशे में गिरफ्त में फसते चले जा रहे है।शहर के हर गली मुहल्ले में चोरी छुपे नशे का सामान मिल जाता है।जिसका असर भी साफ साफ दिखता है।हर जगह युवाओ की टोली चौकड़ी लगा धुएं का छल्ला उड़ाते देखा जा सकता है।
लेकिन सवाल की आखिर ये मौत का सामान का शहर में उपलब्ध कहा से होता है।इसके पीछे अल्हिर कौन है।और ये धंधा इस कदर बेख़ौफ़ कैसे और किसके शाह पर चलता है ।जाहिर है इस धंधेवाजो को किसी न हुक्मरानों का संरक्षण प्राप्त है।
छोटे छोटे ब्यापारी चंद रुपयों के खातिर लोगो गांजा जैसी नशे का सामान उपलब्ध कराते है ।लेकिन ये तो महज छोटे मोहरे मात्र है।इनके पीछे एक बड़ा रैकेट काम करता है।ये बाते व्यवसायी भी स्वीकारते है और कहते है कि उन्हें शहर में कोई उपलब्ध कराता है।
Bt- व्यापारी(नशे का सामान बिक्रेता)
इस धंधे के तार बिहार व नेपाल से जुडे।अगर इस धंधेवाजो को तह तक खंगाला जय तो बड़ी मछ्ली भी पकड़ में आयरगी।लेकिन वो तो तब जब पुलिस ततपरता दिखाए।लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस लेट लतीफी के कारण सारा मामला इधर से उधर हो जाता है।समाजसेवी योवेन्द्र मंडल का मानना है कि दोषी जल्द छूट जाते है उनपर बड़ी करवाई होनी चाहिए
Bt-योगेंद्र मंडल-समाजसेवी
वही साइकोलॉजिस्ट मानते है नशे के कारण युवाओ की सोचने समझने की शक्ति चीन होती है औए वो इसका गुलाम बन जाता है
Bt-डॉ एस के मिश्र-सिकोलोगिस्टConclusion:सवाल की आखिर कब तक नशे दाल दाल में फसने के लिए छोड़ दिया जाय।वही इस पूरे मामले पर दिलचस्प ये है कि नशे के धंधेवाज अपनी संलिप्तता स्वीकारते है लेकिन पुलिस व प्रशासन कुछ भी बोलने से गुरेज करती है।वही धंधेवाज बेरोक टोक कारोबार कर रहे है

Note-कल भेजे थे.bite मंगा गया था,अलग से दो बीते भेज डोई है
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