गोड्डाः आजकल के युवा नशे की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं. शहर के हर गली मुहल्ले में चोरी छुपे नशे का सामान मिल जाता है. जिसका नकारात्मक असर भी साफ-साफ दिख रहा है. हर जगह युवाओं की टोली चौकड़ी लगा धुएं का छल्ला उड़ाते देखे जा सकते हैं.
आखिर ये मौत का सामान शहर में उपलब्ध कहां से होता है? इसके पीछे जिम्मेदार कौन है? ये धंधा इस कदर बेखौफ कैसे और किसके शह पर चलता है? जाहिर है इन धंधेबाजों को शहर के हुक्मरानों का संरक्षण प्राप्त है. छोटे-छोटे व्यापारी चंद पैसों के लिए लोगों को गांजा जैसी नशीला सामान उपलब्ध कराते हैं, लेकिन ये तो महज छोटे मोहरे मात्र हैं. इनके पीछे एक बड़ा रैकेट काम करता है. ये बात व्यवसायी भी स्वीकारते हैं.
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नशे के तार जुड़े हैं बिहार और नेपाल से
इस धंधे के तार बिहार और नेपाल से जुडे़ बताए जाते हैं. इन धंधेबाजों से पूछताछ करने पर बड़ी मछ्ली पकड़ में आ सकती है, लेकिन वो तब संभव होगा जब पुलिस तत्परता दिखाए. ऐसे मामलों में पुलिस लेट लतीफी दिखाती है. जिससे सारा मामला इधर से उधर हो जाता है. समाजसेवी योगेन्द्र मंडल कहते हैं कि दोषी जल्द छूट जाते हैं, उनपर बड़ी करवाई होनी चाहिए. वही, साइकोलॉजिस्ट मानते हैं कि नशे के कारण युवाओं की सोचने समझने की शक्ति कम होने लगती है. वे नशे के गुलाम बन जाते हैं.