गोड्डा: साल 2023 में हर क्षेत्र में हुई उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है. लेकिन गोड्डा की सबसे बड़ी उपलब्धि अगर कोई है तो वो ये कि उसने इस साल एक खास देश को अपनी रोशनी से रोशन कर दिया. हालांकि गोड्डा की अपनी स्थितियां बिलकुल भी नहीं बदली. जरा सी हवा या बारिश से गोड्डा घंटों अंधेरे में डूबा रहता है. लेकिन गोड्डा के अडाणी पावर प्लांट से उत्पादित बिजली से पूरा बांग्लादेश रोशन हो रहा है.
आज गोड्डा से सुंदरपहाड़ी, फरक्का होते हुए बांग्लादेश के मुर्शिदाबाद जिले के मोहब्बतपुर गांव के रास्ते बांग्लादेश को कुल 1600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति शुरू हो गयी है. पहला ट्रायल 16 दिसंबर 2022 को किया गया. जिसके तहत बांग्लादेश के विजय दिवस के अवसर पर उपहार के रूप में पहला खेप 350 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की गई. इसके बाद समझौते के तहत इस चरण में बांग्लादेश को कुल 1600 मेगावाट बिजली दी जा रही है.
गोड्डा को मिलनी थी 25 फीसदी बिजली: हालांकि, वादे के मुताबिक अडाणी प्लांट कुल बिजली का 25 फीसदी अन्य स्रोतों से झारखंड को देगा, लेकिन इसकी दर क्या होगी, झारखंड इसे किस आधार पर लेगा, ये सभी मुद्दे अभी लंबित हैं. इसे लेकर मंत्री आलमगीर आलम ने भी आपत्ति जताई थी और कहा था कि अडानी अपने वादे से मुकर रहा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अडाणी पावर प्लांट की बिजली का लाभ झारखंड या गोड्डा को नहीं मिला है.
जहां तक रोजगार की बात है तो 75 फीसदी स्थानीय लोगों को रोजगार देने का हेमंत सोरेन सरकार का कानून अब तक बेकार साबित हुआ है. जो कुछ नौकरियां प्रदान की गई हैं, इनमें बड़े बाबुओं और राजनेताओं से सिफारिश से नौकरी पाने वाले लोग ज्यादा हैं. आम आदमी कम ही लाभान्वित हुए हैं. विधायक दीपिका पांडे सिंह ने इसका विरोध भी किया. उन्होंने स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए प्रदर्शन भी किया था और स्थानीय बेरोजगार युवाओं से आवेदन भी लिया था. हां, अडाणी पावर प्लांट की वजह से गोड्डा तक रेल तेजी से जरूर पहुंची. बड़े-बड़े मॉल बनने से शहर जीवंत हो गया है. इससे बड़े कारोबारियों को जरूर फायदा हुआ है. लेकिन छोटे कारोबारियों को इससे कोई खास लाभ नहीं हुआ.
2011 में प्लांट के लिए बनी थी सहमति: वर्ष 2011 में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता में भारत से बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति करने पर सहमति बनी थी, लेकिन बाद में 2015 में शेख हसीना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बातचीत में यह निर्णय लिया गया कि बांग्लादेश से सटे भारतीय राज्य के एक बिजली संयंत्र से बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति की जाएगी. शुरुआत में पश्चिम बंगाल से पावर प्लांट लगाकर बिजली मुहैया कराने की बात आगे बढ़ी, लेकिन वहां केंद्र और ममता बनर्जी सरकार के बीच तालमेल अच्छा नहीं रहा.
प्लांट के लिए गोड्डा को चुना गया: पश्चिम बंगाल से बात नहीं बनने पर दूसरे विकल्प के रूप में झारखंड को चुना गया. इसके अलावा झारखंड में बीजेपी के नेतृत्व वाली रघुवर दास सरकार थी. इसलिए कोई परेशानी नहीं हुई. झारखंड के गोड्डा को इस प्लांट के लिए चुना गया. इसमें गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की बड़ी भूमिका रही. 2018 में जमीन अधिग्रहण के बाद अडानी पावर प्लांट की नींव रखी गई. जो 2022 में पूरा हुआ.
पहला ट्रायल 16 दिसंबर को बांग्लादेश विजय दिवस ट्रायल हुआ और पहली बार बिजली को बांग्लादेश के मोहब्बतपुर के रास्ते बांग्लादेश में ट्रांसफर किया गया और फिर समझौते के तहत तय की गई 1600 मेगावाट बिजली दी 2023 में बांग्लादेश को अडानी पावर प्लांट से बिजली की आपूर्ति शुरू हो गई. आज पूरा बांग्लादेश गोड्डा की बिजली से जगमगा रहा है. समझौते के तहत तय बिजली बांग्लादेश को दिया तो जा रहा है, लेकिन गोड्डा के लिए जो वादे किए गए थे. उसे पूरा नहीं किया गया है. हाल यह है कि गोड्डा अंधेरे में है. बार-बार लोगों के घरों से बिजली चली जाती है.
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