गोड्डा: सत्तर साल बाद गोड्डा कॉलेज को अपनी जमीन नसीब होगी. ये सब कुछ राज्य सरकार के प्रयास से संभव हो पा रहा है. ये बातें पोड़ैयाहाट विधायक व कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने बताई. गौरतलब है कि 1952 में गोड्डा कॉलेज की स्थापना हुई थी. बताया जाता है कि इसमें कुछ लोगों ने जमीन दान दी थी.
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इस वजह से फंसा था मामला: गोड्डा कॉलेज की अधिकांश जमीन फॉरेस्ट लैंड थी. जिस कारण से कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. जहां एक ओर जो जमीन दान में दी गयी थी, उसके कोई कागजात नहीं थे. वहीं फॉरेस्ट लैंड का भी क्लीयरेंस नहीं था. इस कारण कई लोग जमीन पर अपनी दावेदारी करते हुए अतिक्रमण और अपना-अपना दावा करने लगे थे.
भाजपा नेताओं पर साधा निशाना: विवाद की वजह से जिले के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण कॉलेज के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ था. जिसे गोड्डा विधायक प्रदीप यादव की पहल पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 70 साल पुराना विवाद सुलझाने की पहल की. इसके साथ ही विधायक प्रदीप यादव ने बिना नाम लिए कटाक्ष करते हुए हुए कहा कि वे लोगों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं और कह रहे हैं कि इसके लिए कॉलेज को राशि देनी होगी. जबकि इसके लिए राशि राज्य सरकार देगी. जाहिर है उनका इशारा भाजपा नेताओं की तरफ था.
उन्हें गोड्डा से नहीं कोई मतलब: उन्होंने कहा कि वो अडानी के लिए फॉरेस्ट लैंड क्लीयरेंस करवाने में रुचि रखते हैं. कॉलेज के लिए उन्हें गोड्डा से कोई मतलब नहीं है. जाहिर उनका इशारा भाजपा नेता की तरफ था. वहीं प्रदीप यादव ने कहा कि राज्य सरकार लगातार अच्छे काम कर रही है. जिसमें गोड्डा कॉलेज के विकास के लिए 150 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. जिससे गोड्डा कॉलेज परिसर में अलग-अलग भवन खेल मैदान समेत और भी इंफ्रास्ट्रक्चर बनाये जाएंगे.