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ईटीवी भारत की Exclusive Report: ऐसे होती है कोयले की चोरी, जानें पूरा सच - Coal theft in ECL Rajmahal Project Lalmatia

गोड्डा के ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया में कोयला चोरी बड़े पैमाने पर किया जा रहा. जिसमें गांव के मासूम लोगों को इसका मोहरा बनाया जाता है. कोयला चोरी के इस खेल के पीछे बड़ा रैकेट चलता है. जिसे ईटीवी भारत की टीम ने कैमरे में कैद किया है.

Exclusive report of coal theft in Godda
कोयला चोरी का काला सच
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Published : Jul 20, 2020, 8:50 PM IST

गोड्डाः देश के सबसे बड़े ओपन कास्ट माइंस ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया में कोयले की चोरी का पूरा सच ईटीवी भारत की टीम ने अपने कैमरे में कैद कर लिया है. दरअसलस, ओपन कास्ट माइंस राजमहल परियोजना से कोयला खनन क्षेत्र प्रतिदिन हजारों ट्रक और डंफर से कोयला क्रशर रैक तक पहुंचता है. जिसके बाद ये कोयला रेल ट्रैक से देश के दो बड़े थर्मल पावर एनटीपीसी कहलगांव (बिहार) और एनटीपीसी फरक्का (प.बंगाल) को आपूर्ति की जाती है, लेकिन खनन क्षेत्र से कोयला निकलने के बाद जहां से ट्रक का वजन धर्म कांटा किया जाता है वहीं से कोयले की चोरी का खेल शुरू हो जाता है.

देखें खास रिपोर्ट

बच्चे और बड़े सभी होते हैं शामिल

कोयला चोरी के इस खेल में में गांव के गरीब लोगों का इस्तेमाल होता है. जहां छोटे बच्चे से लेकर बड़े और बुजुर्ग समेत पुरूष और महिलाएं शामिल है. आस-पास के गांव के लोग जैसे ही ट्रक वजन के लिए धीमा किया जाता है, वैसे ही चलती गाड़ी में वो चढ़ जाते है और जितनी जल्दी हो सके वो कोयला को ज्यादा से ज्यादा नीचे गिराते है और फिर नीचे कुछ लोग उन चलती गाड़ियों के बीच से ही कोयले को उठाते है. यही नहीं वाहनों के वजन के बाद चलती गाड़ी से वो जान जोखिम में डालकर कूद भी जाते हैं. निश्चित ही गांव के लोग इतना जोखिम भरा काम पेट के लिए करते है, लेकिन इसके पीछे कई बड़े माफिया सक्रिय होते है.

ये भी पढ़ें- मजबूरी में खिलाड़ी बना मजदूर, राज्य के लिए फिर पदक जीतने की चाहत

यहां से शुरू होता है पूरा खेल

बताया जाता है कि ग्रामीणों द्वारा हाथ से जमा किया गया कोयला बाइक अथवा छोटे वाहनों से एक जगह जमा किये जाते है और फिर इन कोयला को औने-पौने कीमत देकर उसे जगह डंप किया जाता है. जिसके बाद इस कोयले का माफिया के माध्यम से बड़ा खेल होता है. इसमें बड़ी बात है कि ये सब काम बड़े पैमाने पर होते है. ईसीएल प्रबंधन का अपना एक सिक्योरिटी सिस्टम भी. जो यदा-कदा औपचारिक करवाई भी होती है, लेकिन फिर सब कुछ यथावत चलती है. मानो इस पूरे खेल में सबकी हिस्सेदारी और भागीदारी है.

क्या है बड़ा मुद्दा

अब सवाल यह है कि जब ये सब कुछ इतना खुलेआम होता है तो फिर किसी की नजर क्यों नहीं जाती, या फिर प्रबंधन इस ओर से खुद जान बूझकर आंख मूंद लेती है. जहां इस पूरे मामले प्रबंधन का मौन रवैया होता है. स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक लोबिन हेंब्रम का कहना है कि उनकी हमेशा से मांग रही है कि स्थानीय गरीबों को अलग से रोजगार उपलब्ध कराया जाय. जिससे वो अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ कर सके, लेकिन ईसीएल प्रबंधन लाख प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं होने देती है. जाहिर इसके पीछे की वजह क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

गोड्डाः देश के सबसे बड़े ओपन कास्ट माइंस ईसीएल राजमहल परियोजना ललमटिया में कोयले की चोरी का पूरा सच ईटीवी भारत की टीम ने अपने कैमरे में कैद कर लिया है. दरअसलस, ओपन कास्ट माइंस राजमहल परियोजना से कोयला खनन क्षेत्र प्रतिदिन हजारों ट्रक और डंफर से कोयला क्रशर रैक तक पहुंचता है. जिसके बाद ये कोयला रेल ट्रैक से देश के दो बड़े थर्मल पावर एनटीपीसी कहलगांव (बिहार) और एनटीपीसी फरक्का (प.बंगाल) को आपूर्ति की जाती है, लेकिन खनन क्षेत्र से कोयला निकलने के बाद जहां से ट्रक का वजन धर्म कांटा किया जाता है वहीं से कोयले की चोरी का खेल शुरू हो जाता है.

देखें खास रिपोर्ट

बच्चे और बड़े सभी होते हैं शामिल

कोयला चोरी के इस खेल में में गांव के गरीब लोगों का इस्तेमाल होता है. जहां छोटे बच्चे से लेकर बड़े और बुजुर्ग समेत पुरूष और महिलाएं शामिल है. आस-पास के गांव के लोग जैसे ही ट्रक वजन के लिए धीमा किया जाता है, वैसे ही चलती गाड़ी में वो चढ़ जाते है और जितनी जल्दी हो सके वो कोयला को ज्यादा से ज्यादा नीचे गिराते है और फिर नीचे कुछ लोग उन चलती गाड़ियों के बीच से ही कोयले को उठाते है. यही नहीं वाहनों के वजन के बाद चलती गाड़ी से वो जान जोखिम में डालकर कूद भी जाते हैं. निश्चित ही गांव के लोग इतना जोखिम भरा काम पेट के लिए करते है, लेकिन इसके पीछे कई बड़े माफिया सक्रिय होते है.

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यहां से शुरू होता है पूरा खेल

बताया जाता है कि ग्रामीणों द्वारा हाथ से जमा किया गया कोयला बाइक अथवा छोटे वाहनों से एक जगह जमा किये जाते है और फिर इन कोयला को औने-पौने कीमत देकर उसे जगह डंप किया जाता है. जिसके बाद इस कोयले का माफिया के माध्यम से बड़ा खेल होता है. इसमें बड़ी बात है कि ये सब काम बड़े पैमाने पर होते है. ईसीएल प्रबंधन का अपना एक सिक्योरिटी सिस्टम भी. जो यदा-कदा औपचारिक करवाई भी होती है, लेकिन फिर सब कुछ यथावत चलती है. मानो इस पूरे खेल में सबकी हिस्सेदारी और भागीदारी है.

क्या है बड़ा मुद्दा

अब सवाल यह है कि जब ये सब कुछ इतना खुलेआम होता है तो फिर किसी की नजर क्यों नहीं जाती, या फिर प्रबंधन इस ओर से खुद जान बूझकर आंख मूंद लेती है. जहां इस पूरे मामले प्रबंधन का मौन रवैया होता है. स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक लोबिन हेंब्रम का कहना है कि उनकी हमेशा से मांग रही है कि स्थानीय गरीबों को अलग से रोजगार उपलब्ध कराया जाय. जिससे वो अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ कर सके, लेकिन ईसीएल प्रबंधन लाख प्रयासों के बावजूद ऐसा नहीं होने देती है. जाहिर इसके पीछे की वजह क्या होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

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