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गोड्डा में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी, खुले में शौच को मजबूर ग्रामीण - गोड्डा में खुले में शौच

गोड्डा का आमडीहा गांव सरकारी रिकॉर्ड में खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है और सड़क किनारे इसका बोर्ड भी लगा दिया गया है, लेकिन जब गांव के लोगों से पूछा गया तो पता चला कि शौचालय निर्माण में गड़बड़ी हुई है, जिससे लोग शौचालय बनवाने की बजाय खुले में शौच करना ठीक समझ रहे हैं.

गोड्डा में शौचालय निर्माण में गड़बड़ी
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Published : Sep 22, 2019, 11:34 PM IST

गोड्डा: खुले में 'शौचमुक्त भारत मिशन' को जिले के पथरगामा प्रखंड में खुले में शौच मुक्त होने का बोर्ड तो लगा है, लेकिन कई लोगों के शौचालय तो बने ही नहीं और जिनके बने है वो मजबूर होकर जाते ही नहीं है.

देखें पूरी खबर

गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड का आमडीहा गांव सरकारी रिकॉर्ड में खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है. इस गांव के मुख्य द्वार पर सड़क के किनारे एक बोर्ड भी लगा दिया गया है, लेकिन धरातल की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. अमडीहा गांव प्रखंड मुख्यालय से 5 किमी की दूरी पर है, जिसे खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है.

ये भी पढ़ें-कांग्रेस ने मोटर वाहन संशोधन अधिनियम का किया विरोध, प्रदीप बालमुचू ने निकाली साइकिल रैली

12 हजार के शौचालय में 2 से 4 हजार तक कमीशन

बोर्ड देखने से तो ऐसा ही लगता है, लेकिन गांव के कुछ लोगों से पूछने पर उन्होंने कहा कि उसे शौचालय मिली ही नहीं है. जब कारण पूछा गया तो जवाब मिला कि ठेकेदार तो आये थे, लेकिन कहा कि 12 हजार की जगह 10 हजार मिलेंगे. ऐसे में कई ग्रामीण तैयार तो हो गए और 12 हजार के शौचालय में 2 से 4 हजार तक कमीशन देकर जैसे तैसे बनवा लिए, लेकिन जिन्होंने कमीशन नहीं दिया उनको आज तक शौचालय नहीं मिला.

इतना ही नहीं आधा दर्जन शौचालय के हालात बता रहे हैं कि उसमें कोई शौच के लिए गया ही नहीं है और लोग आराम से खुले में शौच के लिए जाते है. उनका कहना हैं कि शौचालय इतना कमजोर है कि जाने में डर लगता है.

गोड्डा: खुले में 'शौचमुक्त भारत मिशन' को जिले के पथरगामा प्रखंड में खुले में शौच मुक्त होने का बोर्ड तो लगा है, लेकिन कई लोगों के शौचालय तो बने ही नहीं और जिनके बने है वो मजबूर होकर जाते ही नहीं है.

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गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड का आमडीहा गांव सरकारी रिकॉर्ड में खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है. इस गांव के मुख्य द्वार पर सड़क के किनारे एक बोर्ड भी लगा दिया गया है, लेकिन धरातल की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां करती है. अमडीहा गांव प्रखंड मुख्यालय से 5 किमी की दूरी पर है, जिसे खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है.

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12 हजार के शौचालय में 2 से 4 हजार तक कमीशन

बोर्ड देखने से तो ऐसा ही लगता है, लेकिन गांव के कुछ लोगों से पूछने पर उन्होंने कहा कि उसे शौचालय मिली ही नहीं है. जब कारण पूछा गया तो जवाब मिला कि ठेकेदार तो आये थे, लेकिन कहा कि 12 हजार की जगह 10 हजार मिलेंगे. ऐसे में कई ग्रामीण तैयार तो हो गए और 12 हजार के शौचालय में 2 से 4 हजार तक कमीशन देकर जैसे तैसे बनवा लिए, लेकिन जिन्होंने कमीशन नहीं दिया उनको आज तक शौचालय नहीं मिला.

इतना ही नहीं आधा दर्जन शौचालय के हालात बता रहे हैं कि उसमें कोई शौच के लिए गया ही नहीं है और लोग आराम से खुले में शौच के लिए जाते है. उनका कहना हैं कि शौचालय इतना कमजोर है कि जाने में डर लगता है.

Intro:खुले में शौचमुक्त भारत मिशन को गोड्डा के पथरगामा प्रखंड में किस तरह पलीता लगाया जा रहा इसकी ये बानगी देखिए।जहा एक गांव जहा खुले में शौच मुक्त होने का बोर्ड लगा है।लेकिन कइयों के तो शौचालय बने ही नही है।और जिसके बने है वो जाते ही नही।


Body:गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड का आमडीहा गांव सरकारी रिकॉर्ड में खुले में शौच मुक्त घोषित हो चुका है।इस गांव के मुख्य द्वार पर सड़क के किनारे एक बोर्ड भी लगा दिया गया है।
लेकिन धरातल की हकीकत किनखानी कुछ और ही कहानी बयां करती है।
अमडीहा गांव प्रखंड मुख्यालय से 5 किमी दूरी पर सड़क के किनारे है।जिसे खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया गया है।बोर्ड देख तो ऐसा ही लगता है।लेकिन गांव के कुछ लोग मिले उन्होंने कहा कि मुझे तो शौचालय तो नही मिला जब कारण जानना चाहा तो जवाब मिला कि ठेकेदार तो आये थे लेकिन कहा कि 12 हज़ार की जगह 10 हजार मिलेगा।ऐसे में कई ग्रामीण तैयार तो हो गए और 12 हज़ार के शौचालय में 2 से 4 हज़ार तक कमीशन देकर जैसे तैसे बनवा लिए।लेकिन जो कमीशन लिए तैयार नही हुए उनको आज तक शौचालय नही मिला।
इतना ही नही एक जगह बना आधा दर्जन शौचालय के हालात बता रहे कि उसमें कोई शौच के लिए गया ही नही है।और लोग आराम से खुले में शौच के लिए जाते है।।कहते शौचालय इतना कमजोर है क्या जाए।
bt-ग्रामीण
bt-ग्रामीण
bt-मो सनाउल अंसारी -डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर,स्वच्छ भारत मिशन


Conclusion:सवाल उठता है कि ऐसी योजनाओं के क्या मतलब है,जिसका कोई फायदा ही न हो।और कमीशन खोरी इस कदर हो।जरूरत है योजनाओं को कागजी नही फहरताल पर काम के लायक बनाने की।

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