गोड्डाः झारखंड से बांग्लादेश को बिजली आपूर्ति की जा रही है. इसी सिलसिले में गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट का जायजा लेने के लिए बांग्लादेश के ऊर्जा राज्य मंत्री नजरुल हमीद का गोड्डा दौरा (Nazrul Hameed visits Godda) चल रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को वो यहां पहुंचे हैं.
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गोड्डा में अडाणी पावर प्लांट (Adani power plant in Godda) के पीआरओ प्रवीण कुमार ने इसकी पुष्टि की है. उन्होंने बताया कि बांग्लादेश के विजय दिवस यानी 16 दिसंबर 2022 से बांग्लादेश को 800 मेगावाट बिजली की आपूर्ति शुरू हुई है. इसी को लेकर बांग्लादेश के ऊर्जा, बिजली व खनिज संसाधन राज्य मंत्री नजरुल हमीद गोड्डा पहुंचे हैं (Bangladesh Minister of State for Energy in Godda). ऊर्जा राज्य मंत्री सिकटिया स्थित हेलीपैड से सीधे अडाणी पावर प्लांट परिसर गये. इसके बाद वो जिला के मोतिया स्थित पावर प्लांट का मुआयना करेंगे. इस मौके पर मंत्री ने कहा कि गोड्डा आने का मूल उद्देश्य अडाणी पावर प्लांट का जायजा लेना है, क्योंकि झारखंड के गोड्डा अडाणी पावर प्लांट से सीधे बांग्लादेश को बिजली मिल रही है. इसी संबंध में मंत्री प्लांट के पदाधिकारियों के बैठक करेंगे, साथ ही विद्युत आपूर्ति की अद्यतन स्थिति को देखेंगे.
क्या है पावर प्लांट की खासियतः गोड्डा जिला के मोतिया में यह पावर प्लांट 15000 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ है. अडाणी पावर प्लांट का निर्माण चीन की कंपनी सेप्को थ्री और एसटीजी की देखरेख में हुआ है. गंगा नदी से पानी लाने के लिए साहिबगंज से इस पावर प्लांट तक पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है. गोड्डा से लेकर मुर्शिदाबाद तक 105 किलोमीटर लंबी ट्रांसमिशन लाइन बिछाई गयी है. गोड्डा में रेल कनेक्टिविटी के साथ गोड्डा रेलवे स्टेशन से पावर प्लांट तक करीब सात किमी लिंक लाइन पर ट्रायल हुआ. इस लिंक लाइन के जरिए पावर प्लांट के लिए कोयले की ढुलाई की जा रही है. ग्लोबल पैनडेमिक कोरोना की वजह से प्रोजेक्ट को शुरू करने एक साल की देर हुई है. इसे दिसंबर 2021 में ही शुरू कर दिया जाना था.
कब शुरू हुआ प्रोजेक्टः गोड्डा पावर प्रोजेक्ट ने जून 2015 के बाद तब आकार लिया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की यात्रा पर गये थे. वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ मुलाकात में बांग्लादेश में भारतीय ऊर्जा कंपनियों के जरिए बिजली मुहैया कराये जाने पर सहमति बनी थी. बांग्लादेश में बिजली की भारी कमी है. वहां न तो कोयले और पेट्रोल के भंडार हैं और न जलविद्युत परियोजनाओं की खास संभावना. इसके चलते उसे या तो अपने पड़ोसियों से बिजली आयात करनी पड़ती है या फिर अपने यहां पावर प्रोजेक्ट्स के लिए बाहर से सहायता लेनी पड़ती है. प्रधानमंत्री की बांग्लादेश यात्रा के बाद इस दिशा में प्रगति हुई. 11 अगस्त 2015 को अडाणी और बांग्लादेश ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए और दो साल बाद अप्रेल 2017 में शेख हसीना की नई दिल्ली यात्रा के दौरान इम्पलीमेंटेशन एग्रीमेंट पर मुहर लगी. अडाणी के साथ बांग्लादेश का करार 25 साल का है.