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पुरानी पेंशन लागू करने की मांग को लेकर गिरिडीह में अधिवेशन, हेमंत सरकार पर वक्ताओं ने किया प्रहार

पुरानी पेंशन लागू करने की मांग लगातार उठ रही है. इस मांग को जोर देने के लिए नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) का जिला अधिवेशन गिरिडीह में आयोजित हुआ. इस अधिवेशन में वक्ताओं ने हेमंत सरकार को घेरा.

old pension in Jharkhand
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Published : Mar 14, 2022, 11:40 AM IST

गिरिडीह: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (National Movement for Old Pension Scheme NMOPS) के आह्वान पर गिरिडीह में पेंशन चेतना यात्रा सह-जिला अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में झारखंड सरकार के करीब 16 संगठनों के पदाधिकारियों समेत सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. इस दौरान पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की गई. आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार आंकलन के नाम पर पेंशन की घोषणा में देर कर रही है.

इसे भी पढ़ें: 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति की मांग को लेकर विधानसभा का घेराव, आदिवासी संगठनों ने बैठक में लिया निर्णय


वक्ताओं ने क्या कहा: जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा ने कहा की चूंकि पुरानी पेंशन लागू करने की मांग आज सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस मुद्दे ने आज सभी कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर लाया है. वर्तमान में पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे राष्ट्रीय पटल पर छाया हुआ है. चाहे उत्तर में उत्तराखंड और हिमाचल हो, चाहे पश्चिम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, चाहे दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना या चाहे पूर्व में यूपी, बिहार, झारखंड हर जगह यह मुद्दा गूंज रहा है. इस मुद्दे पर आन्ध्र प्रदेश और झारखंड में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. बावजूद वादे के मुताबिक सरकार हमारे हक को लागू करने में देर कर रही है.

महासंघ के अशोक सिंह ने कहा एक सरकारी कर्मचारी औसतन 25-30 साल तक सेवा में रहता है, जबकि सरकारें पांच साल के लिये आती हैं. इन सरकारों के माननीयों के पर्चा दाखिल करने से लेकर वोटिंग और उसके बाद मतगणना तक सरकारी कर्मचारी का अहम रोल होता है पर अक्सर यह देखा जाता है कि सत्ता के सपने देखने तक जो राजनेता कर्मचारियों के अपने सहोदर भाई से बढ़कर सुख-दुख समझने की बात करते रहते हैं. वे सत्ता मिलते ही ब्यूरोक्रेसी के चपेट में आ जाते हैं. झारखंड में सरकार गठन हुए काफी समय बीत चुका है पर अभी तक पुरानी पेंशन को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है, जिससे कहीं न कहीं कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति पनप रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के शिष्टमंडल से हुई वार्ता के दौरान अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल किये गये पुरानी पेंशन बहाली के संकल्प में दृढ़ता का भरोसा तो जरूर दिया लेकिन बजट सत्र के दौरान उस पर पूछे गये प्रश्न पर रुख स्पष्ट नजर नहीं आया, जिससे कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं.

जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा

इस अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम, झारखंड के कोषाध्यक्ष नितिन कुमार, जिला संयोजक मुन्ना प्रसाद कुशवाहा, रविकांत चौधरी, नौशाद शमा, देवेंद्र प्रसाद सिंह, अख्तर अंसारी, कुंवर लाल, तेकलेश्वर महतो, कल्पना सिंह समेत कई लोग मौजूद थे. अधिवेशन का संचालन शिक्षक युगल किशोर पंडित और धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष रविकांत चौधरी ने किया.

गिरिडीह: नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (National Movement for Old Pension Scheme NMOPS) के आह्वान पर गिरिडीह में पेंशन चेतना यात्रा सह-जिला अधिवेशन का आयोजन किया गया. इस आयोजन में झारखंड सरकार के करीब 16 संगठनों के पदाधिकारियों समेत सैकड़ों लोगों ने भाग लिया. इस दौरान पुरानी पेंशन लागू करने की मांग की गई. आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य सरकार आंकलन के नाम पर पेंशन की घोषणा में देर कर रही है.

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वक्ताओं ने क्या कहा: जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा ने कहा की चूंकि पुरानी पेंशन लागू करने की मांग आज सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए इस मुद्दे ने आज सभी कर्मचारी संगठनों को एक मंच पर लाया है. वर्तमान में पुरानी पेंशन का मुद्दा पूरे राष्ट्रीय पटल पर छाया हुआ है. चाहे उत्तर में उत्तराखंड और हिमाचल हो, चाहे पश्चिम में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, चाहे दक्षिण में आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना या चाहे पूर्व में यूपी, बिहार, झारखंड हर जगह यह मुद्दा गूंज रहा है. इस मुद्दे पर आन्ध्र प्रदेश और झारखंड में सत्ता परिवर्तन हो चुका है. बावजूद वादे के मुताबिक सरकार हमारे हक को लागू करने में देर कर रही है.

महासंघ के अशोक सिंह ने कहा एक सरकारी कर्मचारी औसतन 25-30 साल तक सेवा में रहता है, जबकि सरकारें पांच साल के लिये आती हैं. इन सरकारों के माननीयों के पर्चा दाखिल करने से लेकर वोटिंग और उसके बाद मतगणना तक सरकारी कर्मचारी का अहम रोल होता है पर अक्सर यह देखा जाता है कि सत्ता के सपने देखने तक जो राजनेता कर्मचारियों के अपने सहोदर भाई से बढ़कर सुख-दुख समझने की बात करते रहते हैं. वे सत्ता मिलते ही ब्यूरोक्रेसी के चपेट में आ जाते हैं. झारखंड में सरकार गठन हुए काफी समय बीत चुका है पर अभी तक पुरानी पेंशन को अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है, जिससे कहीं न कहीं कर्मचारियों में असंतोष की स्थिति पनप रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से अपनी सरकार के दो वर्ष पूरे होने के अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) के शिष्टमंडल से हुई वार्ता के दौरान अपने घोषणा पत्र में प्रमुखता से शामिल किये गये पुरानी पेंशन बहाली के संकल्प में दृढ़ता का भरोसा तो जरूर दिया लेकिन बजट सत्र के दौरान उस पर पूछे गये प्रश्न पर रुख स्पष्ट नजर नहीं आया, जिससे कर्मचारी असमंजस की स्थिति में हैं.

जिला संयोजक मुन्ना कुशवाहा

इस अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम, झारखंड के कोषाध्यक्ष नितिन कुमार, जिला संयोजक मुन्ना प्रसाद कुशवाहा, रविकांत चौधरी, नौशाद शमा, देवेंद्र प्रसाद सिंह, अख्तर अंसारी, कुंवर लाल, तेकलेश्वर महतो, कल्पना सिंह समेत कई लोग मौजूद थे. अधिवेशन का संचालन शिक्षक युगल किशोर पंडित और धन्यवाद ज्ञापन कोषाध्यक्ष रविकांत चौधरी ने किया.

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