गिरिडीह: सम्मेद शिखर जी ( पारसनाथ ) को पूरी तरह से तीर्थ क्षेत्र घोषित करने की मांग जैन समाज द्वारा लगातार की जा रही है (Demand to declare Parasnath as pilgrimage area). देश के कई राज्यों में प्रदर्शन भी हुए हैं. साल के अंत में देश के विभिन्न राज्यों से मधुबन पहुंच रहे तीर्थयात्री भी यही मांग कर रहे हैं. मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, कर्नाटक, राजस्थान समेत कई राज्यों भगवान पार्श्वनाथ के दर्शन को पहुंचे यात्रियों का साफ कहना है कि जिस पवित्र भूमि पर जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की जिस सम्मेद शिखर पर जाने के लिए हर जैनी व्याकुल रहते हैं. भूखे प्यासे ही दर्शन करते हैं. वहां की पवित्रता बरकरार रहनी चाहिए.
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सरकार ने पारसनाथ को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित किया है. इसका जैन समाज की तरफ से विरोध किया जा रहा है. जैन समाज का कहना है कि सम्मेद शिखर जी को पर्यटक क्षेत्र या इको सेंसेटिव जोन घोषित करने से यहां की पवित्रता प्रभावित हो सकती है. तीर्थयात्रियों का कहना है कि सम्मेद शिखर को तीर्थ क्षेत्र घोषित किया जाना चाहिए. उनका यह भी कहा कि जिस तरह मुस्लिमों के लिए मक्का है, हिन्दुओं के लिए वैष्णव देवी-अयोध्या है उसी तरह जैनियों के लिए सम्मेद शिखर है.
2019 में राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को धार्मिक पर्यटक स्थल घोषित किया था. जबकि केंद्र सरकार ने इस क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन नोटिफाइड कर दिया था. इसके बाद से ही जैन धर्म के लोग नाराज चल रहे हैं. हाल के दिनों में देश भर में प्रदर्शन हुए हैं. इसके बाद गिरिडीह के डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने पारसनाथ विकास प्राधिकरण की बैठक की थी और यहा भरोसा दिया था कि सम्मेद शिखर जी की पवित्रता बरकरार रहेगी. वहीं क्षेत्र में पूर्णतः मांस व मदिरा की बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश सम्बंधित अधिकारियों को दिया था. क्षेत्र को पर्यटन स्थल और ईको सेंसिटिव जोन की श्रेणी से निकालने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच पत्र व्यवहार भी शुरू हो गया है.