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गिरिडीह के पपरवाटांड़ दलित बस्ती के लोगों को नहीं मिल रहा हर घर नल योजना का लाभ, लोगों को प्यास बुझाने के लिए करना पड़ता है जद्दोजहद

Tap water scheme in Giridih. गिरिडीह में हर घर नल योजना दम तोड़ती नजर आ रही है. लोगों को हर घर नल योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. लोगों का आरोप है कि संवेदक की खाओ-पकाओ मानसिकता और विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण ऐसी स्थिति बनी है.

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Tap Water Scheme In Giridih
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 23, 2023, 3:32 PM IST

गिरिडीह में हर घर नल योजना की बदहाली पर रिपोर्ट और जानकारी देते संवाददाता अमरनाथ सिन्हा.

गिरिडीह, पपरवाटांड़ः गिरिडीह के पपरवाटांड़ दलित बस्ती के एक भाग में हर घर नल योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है. बस्ती का यह भाग गिरिडीह की तरफ से डुमरी जाने के क्रम में बायीं तरफ पड़ता है. बस्ती के इस हिस्से में लगभग 150 घर हैं और वोटरों की संख्या 500 के करीब है. यहां जलापूर्ति योजना के नाम पर समय-समय पर योजनाओं में काफी पैसा खर्च किया गया, लेकिन आज भी बस्ती के लोगों को ना के बराबर ही पानी मिल पाता है.

घर-घर बिछाया गया पाइप, पर टंकी में पानी नदारदः इस बार जल एवं स्वच्छता प्रमंडल संख्या 02 द्वारा एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बस्ती में डीप बोरिंग करायी गई थी. साथ ही 16 हजार लीटर क्षमता की पानी टंकी का निर्माण कराया गया था. वित्तीय वर्ष 2021-22 की योजना के तहत 85 घरों तक इस टंकी से पानी की आपूर्ति करने की रुपरेखा तैयार की गई थी. पाइपलाइन बिछाया गया था, लेकिन पानी फिर भी नदारद है. परिणामस्वरूप बस्ती में पानी की समस्या बरकरार है.

पहले भी ठगे गए हैं बस्ती को लोगः ऐसा नहीं है कि इससे पहले इस बस्ती को पानी देने के लिए योजना नहीं मिली. सबसे पहले वर्ष 2010-12 के बीच गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद के कोटे से पानी टंकी का निर्माण कराया गया था, लेकिन इसका फायदा एक भी ग्रामीण को नहीं मिला. इसकी शिकायत जब यहां के पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव और स्थानीय लोगों ने पीएचईडी से की तो जवाब मिला की योजना पूर्ण करनेवाली एजेंसी एनआरईपी थी. एनआरईपी ने इस योजना को पीएचईडी को सुपुर्द ही नहीं किया. फिर यहां आंगनबाड़ी केंद्र और बस्ती के दूसरे छोर में चापानल दिया गया. सोलर टंकी का भी निर्माण कराया गया. एक सोलर टंकी से थोड़ा बहुत पानी मिलता है, लेकिन दूसरा बेकार पड़ा है. यहां के लोगों का कहना है कि इस खराब पड़े चापानल को बनाने के लिए संबंधित विभाग से कई बार गुहार लगायी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

पानी के लिए भटकने को विवश हैं लोगः इस गांव में एक कूप है, जो एक तरफ से धंसा हुआ है. यह कूप गर्मी में सूख जाता है तो बरसात में धंसे हुए हिस्से से नाला का पानी अंदर जाता है. लोगों को दूषित पानी का सेवन करना पड़ता है. यहां की कुछ गलियों में सीसीएल के द्वारा भी पानी का पाइप लाइन बिछाया गया, लेकिन पानी बहुत मुश्किल से मिलता है. यहां के स्थानीय सुखदेव दास, गोविन्द दास, शिवम, खुशी दास, मुकेश सिंह अलावा कई महिलाओं ने बताया कि पानी के लिए डेढ़ से दो किमी दूर जाना पड़ता है. लोगों ने बताया कि हालत यह है कि कई लोग तो छूछन्दरी नदी के दूषित पानी का उपयोग करते हैं.

टंकी बनाने के बाद लापता हुआ ठेकेदारः स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार जब इस गांव में पानी टंकी का निर्माण कराया गया और डीप बोरिंग होने के बाद घर-घर पाइप लाइन बिछने लगा तो ऐसा लगा कि अब समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन स्थिति जस की तस है. नवनिर्मित पानी की टंकी से 10 मिनट ही पानी मिलता है.

मुखिया ने संवेदक पर लगाया मनमानी का आरोपः महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव ने कहा कि पानी टंकी का निर्माण कराने के बाद उन्हें सुपुर्द भी नहीं किया गया है. इसकी शिकायत विभाग से कई दफा की गई है. विभाग इस पर त्वरित कार्रवाई करने की जगह हर बार यही कहता है कि संवेदक को काली सूची में डाला जाएगा. मेरा कहना है कि संवेदक पर कार्रवाई हो. साथ ही साथ पानी की आपूर्ति भी जल्द से जल्द हो.

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घर-घर बिछाया गया पाइप, पर टंकी में पानी नदारदः इस बार जल एवं स्वच्छता प्रमंडल संख्या 02 द्वारा एकल ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत बस्ती में डीप बोरिंग करायी गई थी. साथ ही 16 हजार लीटर क्षमता की पानी टंकी का निर्माण कराया गया था. वित्तीय वर्ष 2021-22 की योजना के तहत 85 घरों तक इस टंकी से पानी की आपूर्ति करने की रुपरेखा तैयार की गई थी. पाइपलाइन बिछाया गया था, लेकिन पानी फिर भी नदारद है. परिणामस्वरूप बस्ती में पानी की समस्या बरकरार है.

पहले भी ठगे गए हैं बस्ती को लोगः ऐसा नहीं है कि इससे पहले इस बस्ती को पानी देने के लिए योजना नहीं मिली. सबसे पहले वर्ष 2010-12 के बीच गांडेय विधायक डॉ सरफराज अहमद के कोटे से पानी टंकी का निर्माण कराया गया था, लेकिन इसका फायदा एक भी ग्रामीण को नहीं मिला. इसकी शिकायत जब यहां के पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव और स्थानीय लोगों ने पीएचईडी से की तो जवाब मिला की योजना पूर्ण करनेवाली एजेंसी एनआरईपी थी. एनआरईपी ने इस योजना को पीएचईडी को सुपुर्द ही नहीं किया. फिर यहां आंगनबाड़ी केंद्र और बस्ती के दूसरे छोर में चापानल दिया गया. सोलर टंकी का भी निर्माण कराया गया. एक सोलर टंकी से थोड़ा बहुत पानी मिलता है, लेकिन दूसरा बेकार पड़ा है. यहां के लोगों का कहना है कि इस खराब पड़े चापानल को बनाने के लिए संबंधित विभाग से कई बार गुहार लगायी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

पानी के लिए भटकने को विवश हैं लोगः इस गांव में एक कूप है, जो एक तरफ से धंसा हुआ है. यह कूप गर्मी में सूख जाता है तो बरसात में धंसे हुए हिस्से से नाला का पानी अंदर जाता है. लोगों को दूषित पानी का सेवन करना पड़ता है. यहां की कुछ गलियों में सीसीएल के द्वारा भी पानी का पाइप लाइन बिछाया गया, लेकिन पानी बहुत मुश्किल से मिलता है. यहां के स्थानीय सुखदेव दास, गोविन्द दास, शिवम, खुशी दास, मुकेश सिंह अलावा कई महिलाओं ने बताया कि पानी के लिए डेढ़ से दो किमी दूर जाना पड़ता है. लोगों ने बताया कि हालत यह है कि कई लोग तो छूछन्दरी नदी के दूषित पानी का उपयोग करते हैं.

टंकी बनाने के बाद लापता हुआ ठेकेदारः स्थानीय लोगों ने बताया कि इस बार जब इस गांव में पानी टंकी का निर्माण कराया गया और डीप बोरिंग होने के बाद घर-घर पाइप लाइन बिछने लगा तो ऐसा लगा कि अब समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन स्थिति जस की तस है. नवनिर्मित पानी की टंकी से 10 मिनट ही पानी मिलता है.

मुखिया ने संवेदक पर लगाया मनमानी का आरोपः महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव ने कहा कि पानी टंकी का निर्माण कराने के बाद उन्हें सुपुर्द भी नहीं किया गया है. इसकी शिकायत विभाग से कई दफा की गई है. विभाग इस पर त्वरित कार्रवाई करने की जगह हर बार यही कहता है कि संवेदक को काली सूची में डाला जाएगा. मेरा कहना है कि संवेदक पर कार्रवाई हो. साथ ही साथ पानी की आपूर्ति भी जल्द से जल्द हो.

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