गिरिडीह: कृष्णा मांझी, गिरिडीह-बोकारो और धनबाद के इलाके में दहशत का दूसरा नाम रहा है. इन तीनों जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में इस नाम से ही लोग सहम जाते रहे हैं. पारसनाथ की तराई में वाले इलाके में तो इस नाम को सुनकर शायद ही किसी संवेदक के शरीर में सिहरन न होती हो. भाकपा माओवादी रिजनल कमेटी के इस सदस्य को लेवी दिए बगैर क्षेत्र में योजना का संचालन करनेवाले संवेदक को इसका कोपभाजन भी बनना पड़ता रहा है. अब 15 लाख का यह इनामी नक्सली पुलिस की गिरफ्त में है. इसकी गिरफ्तारी से कइयों ने राहत की सांस ली है तो संगठन को तगड़ा झटका लगा है.
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पारसनाथ जोन में कृष्णा मांझी का कद वर्ष 2018 के बाद से धीरे-धीरे ऊंचा होने लगा. जैसे ही इस इलाके में सक्रिय अनल उर्फ पतिराम मांझी को पदोन्नति हो गई और वह सेंट्रल कमेटी मेंबर बन गया. उसे झारखंड के अलावा दूसरे राज्य का जिम्मा मिलने लगा. बाद में स्पेशल एरिया कमेटी मेंबर 25 लाख के इनामी अजय महतो को दूसरे क्षेत्र में संगठन को मजबूत करने की जवाबदेही मिली तो कृष्णा का क्षेत्र विस्तारित होता गया. इस बीच अकबकीटांड में उस वक्त के एसपी सुरेंद्र कुमार झा कि अगुवाई में एक साथ 15 नक्सली के पकड़े जाने और बाद में नुनुचन्द से संगठन का विस्वास उठते ही कृष्णा को पूरे पारसनाथ की जिम्मेदारी मिल गई.
सुनील का था सबसे करीबी: यहां जो जानकारी मिली है उसके अनुसार वर्ष 2015 के जुलाई माह में डुमरी के अग्र परियोजना भवन को जब उड़ाया गया था, उस वक्त अजय महतो के दस्ते में कृष्णा का नाम आया था. यहां के बाद छोटी-बड़ी घटना को अंजाम देने में कृष्णा का नाम आता रहा. 22 जनवरी 2018 को जब डुमरी अनुमंडल की पुलिस ने अकबकीटांड से मनोज नाम के व्यक्ति को लेवी के 6 लाख के साथ पकड़ा था तो यहां भी कृष्णा का नाम आया था. यहां यह भी पता चला था कि मनोज से लेवी लेने के बाद इस रकम को कृष्णा स्पेशल एरिया कमिटी मेंबर सुनील मांझी तक पहुंचाता था. अकबकीटांड में सुनील अपने अन्य साथियों के साथ पकड़ा गया. जिसके बाद यह जानकारी मिली की सुनील के सबसे करीबियों में कृष्णा है.
बढ़ती गई ताकत: अकबकीटांड में एक साथ 15 नक्सलियों के पकड़े जाने और इस दौरान नुनुचंद महतो का संगठन से खटास होने. एक के बाद एक नक्सली के पकड़े जाने के बाद पारसनाथ जोन के हर एक कोने तक कृष्णा की पहुंच हो गई. कहा जाए तो पूरा जोन कृष्णा के हवाले कर दिया गया.
निर्माणाधीन कैंप पर हमले समेत चार दर्जन मामले में रहा है शामिल: पारसनाथ की तराईवाले इलाके में पुलिस व सीआरपीएफ का कैंप बनना शुरू हुआ तो लोगों को उकसाने के काम में कृष्णा का नाम सामने आया था. पर्वतपुर कैंप पर हमले में भी कृष्णा का नाम आया था. इसके अलावा पिछली बार पारसनाथ से निमियाघाट जानेवाले रास्ते में एक साथ 32 आईईडी लगाने में भी कृष्णा का हाथ रहा. 2018 में दंपती की हत्या. झामुमो कार्यकर्ता की हत्या, जून 2022 में पूर्व पंचायत प्रतिनिधि की हत्या समेत लगभग 4 दर्जन छोटी बड़ी घटना में इसका नाम रहा है. कृष्णा से जुड़े दो मामले की जांच तो एनआईए भी कर रही है.
दहशत में थी दुनिया, लेवी वसूल रहा था कृष्णा: कोरोनाकाल, जब सारी दुनिया कोरोना से जूझ रही थी. लोग जिंदगी बचाने में जुटे थे. पूरी दुनिया आर्थिक संकट से जूझ रही थी उस दौरान भी कृष्णा संगठन को अर्थ लाभ देने के लिए जुटा था. पिछली बार फरवरी 2021 में जब पीरटांड़ पुलिस ने एक करोड़ के इनामी नक्सली अनल के दामाद टेकलाल किस्कू और एक अन्य नक्सली दानियल हेम्ब्रम को गिरफ्तार किया था, तो उसने पुलिस को यह बताया था कि कोरोनाकाल में कृष्णा ने पारसनाथ क्षेत्र से 50 लाख तक की लेवी वसूली थी.
प्रशांत की गिरफ्तारी के बाद बौखला गया था कृष्णा: बताया जाता है कि 2021 में जब प्रशांत मांझी व शीला गिरफ्तार हो गई तो इसकी बौखलाहट साफ तौर पर कृष्णा पर देखी गई थी. इसी बौखलाहट में उसने डुमरी के नुरंगो व मुफ्फसिल थाना के सीमावर्ती इलाके में पुल तो मधुबन-खुखरा में मोबाइल टावर को उड़ाने का काम किया था. इसके अलावा कई घटनाओं को अंजाम देने का प्रयास भी कृष्णा के दस्ते द्वारा किया गया था.
कड़ी मेहनत के बाद धराया: एक बाद एक घटना को अंजाम दे कर इलाके में दहशत फैलाने का काम कर चुके कृष्णा को गिरफ्तार करने का प्रयास पिछले दो-तीन वर्षों से चल रही थी लेकिन इसमें सफलता नहीं मिल पा रही थी. हालांकि इस दौरान एसपी अमित रेणू की अगुवाई में पुलिस ने कृष्णा के दस्ते में शामिल कई नक्सलियों को पकड़ा था. पुलिस की इन कार्यवाइयों से कृष्णा को काफी नुकसान हुआ था. इस बार कृष्णा पकड़ा गया. कहा जाता है कि एसपी की टीम ने कृष्णा को पकड़ने के लिए सजगता बरकरार रखी और उसका परिणाम निकला.